नगर निगम ग्रेटर में इन दिनों सफाई व्यवस्था के हालात बिगडते जा रहे हैं. कचरे की समस्या से लेकर सीवरेज, लाइटों की समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि से लेकर आमजन त्रस्त हैं. 15-15 दिन से कचरे की गाड़यां नहीं आ रही हैं.
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Jaipur: सड़क, सीवर और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए जनता का संघर्ष... हर दिन हर स्तर पर शिकायतें, लेकिन सुनवाई नहीं... बुनियादी सुविधाओं की चिंता न तो मौजूदा शहरी को है न अफसरों को. नगर निगम ग्रेटर का अमला काम करने को तैयार नहीं. यह वर्तमान स्थिति है शहर की जबकि हम स्मार्ट सिटी की परिकल्पना में लगे हैं. हालात ये है की अब जनता और जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम दफ्तरों के बाहर धरना देना पड़ रहा है.
नगर निगम ग्रेटर में इन दिनों सफाई व्यवस्था के हालात बिगडते जा रहे हैं. कचरे की समस्या से लेकर सीवरेज, लाइटों की समस्या को लेकर जनप्रतिनिधि से लेकर आमजन त्रस्त हैं. 15-15 दिन से कचरे की गाड़यां नहीं आ रही हैं. सीवरेज का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा हैं. मजबूरन आज सांगानेर की जनता और जनप्रतिनिधियों को नगर निगम ग्रेटर सांगानेर जोन दफ्तर के आगे धरने पर बैठना पड़ा. करीब दो घंटे तक जनप्रतिनिधियों-आम नागरिकों ने भाषण के जरिए खूब अफसरों को खरी-खोटी सुनाई. तख्तियां लेकर पहुंचे लोगों ने मेयर से समस्याओं के समाधान की गुहार लगाई.
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आम नागरिकों का कहना है कि अगर जिम्मेदार अफसर समस्याओं का समाधान कर लें तो शहर स्वतः ही साफ हो जाएगा. मूलभूत सुविधाओं के नाम पर शहर की बदतर स्थिति है. राजधानी की सड़कों पर जगह-जगह लगे कचरे के ढेर, सीवरेज का बहता पानी, टूटी सड़कें, घूमते आवारा पशु और गलियों में स्ट्रीट लाइट बंद होने से पसरा सन्नाटा नजर आता है. कचरे संग्रहण की गाड़ियां 15-15 दिन से नहीं आ रही है. अफसर फोन नहीं उठाते हैं. कांग्रेस नेता पुष्पेन्द्र भारद्वाज का कहना है कि सरकार कांग्रेस की है लेकिन नगर निगम ग्रेटर में बोर्ड भाजपा का हैं. पिछले डेढ़ साल में जो हालत शहर के बिगड़े हैं, वो कभी नहीं हुए हैं. यदि जरूरत पड़ी तो नगर निगम मुख्यालय पर भी धरना दिया जाएगा.
शहर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है लेकिन वो अपने दफ्तर के बाहर से ही कचरे का ढेर नहीं उठवा पा रहा है तो फिर शहर को स्वच्छ कैसे बना पाएगा. सांगानेर जोन दफ्तर के ठीक बाहर कचरे का ढेर ने आमजनता की समस्याओं को लेकर दिए धरने पर मुहर लगा दी. कचरे की गाड़ियां नहीं आने से आसपास के इलाके के लोग भी जोन दफ्तर के आगे बने ओपन डिपो पर ही कचरा डालकर जा रहे थे. उनका कहना है कि जब गाड़ियां नहीं आती तो फिर कचरा तो घर में रख नहीं सकते हैं.
बहरहाल, राजधानी के लोग कूड़े के ढेर पर सांस ले रहे हैं. हालात दिन-प्रतिदिन विकट होते जा रहे हैं. अब हर गली के बाहर ओपन डिपो बन गए हैं, जहां लोग अपने घर का कचरा फेंकते हुए नजर आ जाएंगे. नगर निगम प्रशासन व्यवस्था पटरी पर लाने की बात कर रहा हैं लेकिन कब तक बेपटरी व्यवस्था पटरी पर आएगी.
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