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जयपुर: नगर निगम ग्रेटर को जल्द ही सौ करोड़ रुपए तक हाउसिंग बोर्ड से मिलने का रास्ता साफ हो गया हैं. दशकों से बकाया का पहली किश्त निगम ग्रेटर को मिल चुकी हैं. आर्थिक तौर पर खस्ता हाल नगर निगम को इससे बड़ी मदद मिल सकेगी. करीब इससे दोगुनी राशि निगम ग्रेटर जेडीए पर भी बकाया हैं, लेकिन अभी तक जेडीए से यह राशि निगम को नहीं मिली हैं
लंबे अरसे बाद आवासन मंडल ने नगर निगम की उधारी चुका दी है. राजस्थान आवासन मण्डल ने विकास कार्यों के लिए नगर निगम ग्रेटर को एक साथ 23 करोड़ 23 लाख रुपए चुकाए हैं. आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर और निगम आयुक्त महेन्द्र सोनी को इस राशि का चेक प्रदान किया.
दरअसल, जयपुर नगर निगम ग्रेटर के पास जयपुर का बड़ा क्षेत्र है. जिसमें सफाई, सड़क और लाइटिंग से लेकर बाकी विकास के काम-काज निगम कराता हैं, लेकिन हाउसिंग बोर्ड और जेडीए द्वारा निगम को कॉलोनियां ट्रांसफर तो कर दी जाती है. लेकिन इसके बाद सफाई से लेकर बाकी तमाम-काम काज की जिम्मेदारियां संभालने वाले निगमों को कोई राशि का भुगतान नियमित तौर पर नहीं किया जाता है. हाउसिंग बोर्ड या जेडीए अपनी जमीनों की निलामी से पन्द्रह प्रतिशत का भुगतान विकास कार्यो के पेटे दिया जाना होता हैं, लेकिन बरसो से इसे लेकर बकाया रहा हैं.
तंगहाली से जूझ़ रहे नगर निगम ग्रेटर को मिला बूस्टर
नगर निगम ग्रेटर को हाउसिंग बोर्ड से साल 2010 से लेकर साल 2022 तक के करीब 23 करोड़ 23 लाख रुपए का भुगतान किया गया. हाउसिंग बोर्ड आयुक्त पवन अरोड़ा ने इसे लेकर निगम महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त महेन्द्र सोनी को इसके लिए चैक सौंपा. गत वर्ष नगर निगम के साथ हुई संयुक्त बैठक में वर्ष 2010-11 से 2019-20 के दौरान विक्रय की गई सम्पत्तियों के एवज में निगम को देय हिस्सा राशि एवं नगर निगम क्षेत्र में विकास कार्यों पर मण्डल द्वारा व्यय की गई राशि का समायोजन किया गया था. समायोजन के बाद मण्डल की निगम पर 55.58 करोड रुपये की राशि बकाया है. निगम को 11.11 करोड रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से 2020-21 एवं 2021-22 की 15 प्रतिशत हिस्सा राशि का समायोजन करने के बाद उसके क्षेत्र में विकास कार्यों के लिये 23 करोड 23 लाख 12 हजार रुपये उपलब्ध कराए हैं.
सौ करोड़ रुपये और भुगतान होने की संभावना
हाउसिंग बोर्ड द्वारा साल 2022-2023 तक के बकाया का भुगतान अभी और किया जाना हैं. इसे निगम को करीब सौ करोड़ रुपए और भुगतान मिलने का रास्ता साफ हो गया हैं. इसी वित्तीय वर्ष में बाकी का भुगतान भी निगम ग्रेटर को मिल सकेगा. इसके लिए पूर्व में भी कई बार निगम ने पत्र लिखकर हाउसिंग बोर्ड को ध्यान दिलाया था, लेकिन निगम कमीश्नर महेन्द्र सोनी ने इस मसले को लेकर हाउसिंग बोर्ड से लगातार पत्र व्यवहार किया. जिसके बाद बोर्ड ने राशि स्वीकृत करते हुए निगम को दिए जाने वाले 15 प्रतिशत की राशि का भुगतान बोर्ड ने कर दिया हैं.
अब शहर की सफाई के साथ-साथ निगम द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्यो को इससे बड़ी गति मिल सकेगी. आर्थिक तौर पर परेशानियां झेल रहे निगम के लिए अब भी जेडीए और बिजली कंपनियों से भी अपना बकाया वसूल करना भी बड़ी चुनौती बना हुआ हैं. जिनके लिए कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं. हालांकि हाउसिंग बोर्ड से बरसो के बकाया मिलने के बाद निगम प्रशासन के लिए बड़ी उम्मीदें जागी है. दीपक गोयल जी मीडिया जयपुर