हनुमान जी ने भगवान सूर्यदेव को बनाया था गुरु, करने पड़े थे जतन, तब बने 'नौ निधियों' के दाता
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हनुमान जी ने भगवान सूर्यदेव को बनाया था गुरु, करने पड़े थे जतन, तब बने 'नौ निधियों' के दाता

हनुमान जी ने भी सूर्यदेव को गुरु बनाया था और सभी वेदों का ज्ञान हासिल किया था. आज नए साल का आगमन भी सूर्य उदय के साथ हो रहा है. ऐसे में सूर्यकी उपासना और उन्हें प्रसन्न कर मनचाहा वरदान पा सकते है.

हनुमान जी ने भगवान सूर्यदेव को बनाया था गुरु, करने पड़े थे जतन, तब बने 'नौ निधियों' के दाता

Hanuman Ji And Surya Dev Story: साल 2023 का उदय सूर्योदय के साथ हो रहा है, ज्योतिष की मानें तो इस पूरे साल 2023 में भी सूर्य का प्रभाव रहेगा. हिंदु शास्त्र के अनुसार सूर्य में बहुत ऊर्जा होती है.जो लोग रोज सूर्य की पूजा करते हैं, सूर्य को अर्घ्य देते हैं, उनका ज्ञान बढ़ता है. सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं. हिंदु धर्मग्रंथ में बताया गया है कि हनुमान जी ने भी सूर्यदेव को गुरु बनाया था और सभी वेदों का ज्ञान हासिल किया था. 

आज नए साल का आगमन भी सूर्य उदय के साथ हो रहा है. रविवार का दिन भगवान भास्कर यानी सूर्य देव का है. ऐसे में सूर्यकी उपासना लाभकारी माना गया है.

सूर्यदेव से गुरु बनने की प्रार्थना की हनुमान जी ने

एक कथा के अनुसार कहा गया है कि हनुमान जी जब बाल्यावस्था से थोड़े बड़े हुए तो उनके माता-पिता यानी अंजनी और केसरी ने उन्हें सूर्यदेव के पास भेजा, ताकि वे सभी वेदों का ज्ञान हासिल कर सके, अपने माता-पिता की बात मानकर हनुमान जी ने सूर्य देव के पास पहुंच गए. उन्होंने सूर्य से गुरु बनने की प्रार्थना की. सूर्यदेव ने सोचा कि यह बालक इतना बलशाली है कि कुछ समय पूर्व मुझे ही निगल गया था कहीं इसे शिष्य बना लिया तो पता नहीं और क्या क्या उत्पात मचायेगा.

सूर्य देव हनुमान जी बात सुनी और कहा कि मैं एक पल भी कहीं ठहरता नहीं हूं. मेरा रथ लगातार चलता है, मैं रथ से उतर नहीं सकता, ऐसे में मैं तुम्हें ज्ञान कैसे दे सकता हूं? हनुमान जी बोले कि आप बिना रुके ही मुझे शिक्षा दे सकते हैं, मैं आपके साथ चलते-चलते ज्ञान हासिल कर लूंगा. सूर्य देव ने हनुमान जी की बात मान ली. इसके बाद सूर्य देव ने हनुमान जी को सभी वेदों का ज्ञान दिया, शास्त्रों के रहस्य बताए. हनुमान जी भी शांति के साथ सारी बातें समझी.

हनुमानजी की पाठशाला 

जब हनुमानजी सूर्यदेव के शिष्य बने तब हनुमानजी ने अपने स्वरुप को विराट किया. उसके बाद जिस वेग से भगवान सूर्य अपने रथ पर चल रहे थे उसी वेग से सूर्य के समानांतर हनुमानजी उड़ने लगे. सूर्यदेव ने उन्हें एक एक करके सभी विद्याएं देना प्रारम्भ किया.

हनुमानजी की शिक्षा में आया था व्यवधान

पराशर सहिंता के अनुसार सूर्य को हनुमानजी को 9 प्रकार की विद्या प्रदान करनी थी परंतु उन 9 विद्याओं में 5 विद्याएं तो हनुमानजी को दे दी पर 4 विद्याएं ऐसी थी जो केवल विवाहितों को ही प्रदान की जाती है. सूर्यदेव ने हनुमानजी को आगे की विद्या के लिए विवाह करने को कहा.

हनुमानजी की बढ़ गई थी मुश्किल

हनुमानजी बाल्यकाल से ही ब्रह्मचर्य का पालन करने का निर्णय ले चुके थे. अब विवाह वो कर नहीं सकते थे और यदि विवाह नहीं करते तो आगे की विद्या उन्हें प्राप्त नहीं हो सकती थी. हनुमानजी निराश हो गए और सोच में पड़ गए की इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाए.हनुमानजी ने सोचा की गुरु से बड़ा मार्गदर्शक इस संसार में कोई दूसरा नहीं है.

इसलिए हनुमानजी ने सोचा कि अपने गुरु सूर्य देव से ही समाधान लिया जाए. ऐसा विचार कर हनुमानजी सूर्य के पास आये और अपनी समस्या बताई. सूर्य देव ने कहा कि समस्या तो गंभीर है. एक तरफ विवाह के बिना तुम्हे विद्या प्राप्त नहीं होगी और दूसरी तरफ तुमने ब्रह्मचर्य का पालन करने का व्रत लिया है. सूर्य देव ने एक युक्ति सुझाई की हनुमान तुम एक काम करो किसी कन्या से विवाह कर लो पर गृहस्थी मत बसाना. तो तुम्हारा ब्रह्मचर्य भी नहीं टूटेगा और तुम विद्या भी प्राप्त कर लेना.

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हनुमानजी का विवाह के लिए कन्या की तलाश

हनुमानजी अपने गुरु की आज्ञा के अनुसार कन्या की खोज में निकल गए लेकिन जैसे ही वे अपना यह प्रस्ताव रखते कि हम आप से विवाह करेंगे पर गृहस्थी नहीं बसाएंगे तो कन्या या उनके माता पिता विवाह से साफ इंकार कर देते थे. कन्या की तलाश में हनुमानजी का बहुत समय नष्ट हो गया अन्त में वे अपने गुरु के पास पुनः इस समस्या के समाधान के लिए पहुंचे.

हनुमानजी का सूर्य पुत्री सुवर्चला से विवाह प्रस्ताव

हनुमानजी की विद्या प्राप्ति के प्रति निष्ठा को देख कर सूर्यदेव प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपनी परम तपस्वी पुत्री सुवर्चला से सारा वृत्तांत बताया और विवाह के लिए प्रस्ताव रखा. सुवर्चला ने जब यह जाना की विवाह उपरान्त गृहस्थी नहीं बसानी है तो वो भी विवाह को तैयार हो गई क्योंकि सुवर्चला स्वयं बड़ी तपस्विनी थी अतः उन्हें भी उनके तपस्या में कोई विक्षोभ ना दिखा और वे विवाह को मान गई.

हनुमानजी का विवाह

फिर हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह कराया गया. विवाह होते ही हनुमानजी अपने आगे की विद्या प्राप्ति में लग गए और सुवर्चला अपनी तपस्या में लीन हो गई. इस प्रकार हनुमानजी का विवाह तो हुआ पर वे ब्रह्मचारी ही रहे.

हनुमानजी की गुरु दक्षिणा

आगे हनुमानजी ने सूर्य देव से सारी विद्याओं को ग्रहण किया. विद्या प्राप्ति के बाद हनुमानजी ने अपने गुरु सूर्य नारायण से गुरु दक्षिणा के लिए प्रार्थना की. सूर्य देव ने हनुमान की शिष्यता से प्रसन्न हो कर गुरु दक्षिणा में कुछ नहीं लेने की बात कही. परंतु हनुमानजी ने पुनः आग्रह किया तब सूर्य देव को अपने संकटग्रस्त पुत्र सुग्रीव की याद आ गई और हनुमानजी से गुरु दक्षिणा स्वरुप सुग्रीव की रक्षा और उसकी सहायता करने की बात कही. हनुमानजी ने सूर्यदेव की बात मान सुग्रीव की सहायता करने चले गए.

हनुमान जी कहलाए अष्ट सिद्ध नौ निधि के दाता

इस प्रकार हनुमानजी ने अत्यंत कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी विद्याओं को सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से प्राप्त किया. हनुमानजी सर्व समर्थ है, उनसे कोई भी विद्या अलग नहीं है. वे सभी विद्याओं के दाता है. हनुमानजी बल बुद्धि विद्या के दाता है. बहुत ही कम समय में सारी प्रकार की विद्याओं को ग्रहण कर लिया था. 
 बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहुँ क्लेश विकार ।

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