सरकार ने किया राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियमों में सरलीकरण, खनन क्षेत्र को होंगे फायदे
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सरकार ने किया राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियमों में सरलीकरण, खनन क्षेत्र को होंगे फायदे

राज्य सरकार ने 16 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रुल्स 2017 में आवश्यक प्रावधान किए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की खनिज खोज व खनन कार्य को प्रोत्साहन और वैध खनन को बढ़ावा देने की मंशा को ध्यान में रखते हुए नियमों को सरल किया गया है.

सरकार ने किया राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियमों में सरलीकरण, खनन क्षेत्र को होंगे फायदे

Jaipur: राज्य सरकार ने राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन नियमों का सरलीकरण किया है. इन नियमों का सरलीकरण माइनर मिनरल सेक्टर बूस्ट करने, वैध खनन को बढ़ावा देने, प्रक्रिया को युक्तिसंगत और पारदर्शी बनाने और राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी के लिए किया गया है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि संशोधित नियमों के अनुसार, अब लीज अवधि 2040 तक बढ़ाने, खनन पट्टों का आसानी से हस्तांतरण, एक हैक्टेयर से कम स्ट्रिप लीजधारी को आवंटित करने, खातेदारी में खनन पट्टा जारी करने की अधिकतम सीमा चार हैक्टयर को हटाने, लीज जारी होने के एक साल की अवधि में पर्यावरण क्लीयरेंस लाने की छूट के साथ ही खनन पट्टाधारियों को त्रैमासिक ऑन लाईन रिटर्न भरने की सुविधा दी गई है.

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राज्य सरकार ने 16 अगस्त को एक अधिसूचना जारी कर राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रुल्स 2017 में आवश्यक प्रावधान किए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की खनिज खोज व खनन कार्य को प्रोत्साहन और वैध खनन को बढ़ावा देने की मंशा को ध्यान में रखते हुए नियमों को सरल किया गया है.

क्या कहना है एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल का
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि नए संशोधित प्रावधानों के अनुसार अब 15 गुणा डेडरेंट प्रीमियम पर 31मार्च, 2025 को समाप्त हो रही माइनर मिनरल के खनन पट्टों और क्वारी लाइसेंस की अवधि 31मार्च, 2040 तक बढ़ा दी गई है. इससे खनन पट्टाधारियों और क्वारी लाइसेंसधारियों को रिन्यूवल की जटिलताओं से छुटकारा मिल सकेगा और राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी. इसी तरह से खनन पट्टों के पास की एक हैक्टेयर से कम क्षेत्र के स्ट्रीप क्षेत्र को संबंधित खननपट्टाधारी को आवंटित किया जा सकेगा.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अब तक खनन पट्टों के हस्तांतरण की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल थी जिसे आसान बनाते हुए संशोधित नियमों के अनुसार माइनर मेजर के खननपट्टाधारी से लीज हस्तांतरण पर डेड रेंट, लाइसेंस फीस प्रीमियम 10 गुणा और अधिकतम 10 लाख के स्थान पर 5 लाख और अधिकतम 5 लाख रुपये लिया जाएगा. इसी तरह से खनन पट्टाधारियों को मासिक के स्थान पर त्रैमासिक रिटर्न सबमिट करने की सुविधा दी गई है. समय पर मासिक रिटर्न नहीं भरने पर 500 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना होता था उसे अब 500 रुपये. प्रतिमाह और अधिकतम 5 हजार रुपये. किया गया है.

पर्यावरणीय क्लीयरेंस लाने की छूट होगी 
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि नए प्रावधानों के अनुसार खनन पट्टाधारियों की खानों का रजिस्ट्रेशन होने के बाद एक साल की अवधि में उन्हें पर्यावरणीय क्लीयरेंस लाने की छूट होगी पर खनन पट्टाधारी को पर्यावरणीय क्लीयरेंस के बाद ही खनन कार्य आरंभ करने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने बताया कि माइनर मिनरल में खातेदारी खनन पट्टों की अधिकतम चार हैक्टेयर की सीमा को हटा दिया गया है.

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