पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक का समापन, 28 देशों के दो हज़ार से ज़्यादा प्रतिनिधि हुए शामिल
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पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक का समापन, 28 देशों के दो हज़ार से ज़्यादा प्रतिनिधि हुए शामिल

पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक का आज समापन हो गया. 28 देशों के दो हजार से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए. सौ से ज्यादा एक्जिबिटर्स और हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने भाग लिया. डेनमार्क, फिनलैंड, तंजानिया और कजाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक का समापन, 28 देशों के दो हज़ार से ज़्यादा प्रतिनिधि हुए शामिल

Jaipur : पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक का आज समापन हो गया. 28 देशों के दो हजार से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए. सौ से ज्यादा एक्जिबिटर्स और हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने भाग लिया. डेनमार्क, फिनलैंड, तंजानिया और कजाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. समापन समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे. जल की कमी और जनसंख्या की अधिकता के असंतुलन को दूर करने में भारत सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की गई.

वॉटर फाउंडेशन की ओर से आयोजित पांच दिवसीय इंडिया वॉटर वीक के समापन समारोह में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल की कमी और जनसंख्या की अधिकता के असंतुलन को दूर करने में भारत लक्ष्यबद्ध होकर काम कर रहा है. इस दिशा में अब तक जो काम हुआ है, वह वास्तव में दुनिया के समक्ष भारत की ओर से जल सुशासन के विकेन्द्रीकरण का मॉडल है.

शेखावत ने कहा कि पांच दिन के इस अमृत मंथन में जो नवनीत हम सबको बौद्धिक के रूप में प्राप्त हुआ है. उस ज्ञान को हमें यहां से जाकर अपने अपने क्षेत्र में धरातल पर उतारना है. उन्होंने कहा कि इस वीक में जल पर विस्तृत चर्चा हुई. नई तकनीकों का आदान-प्रदान हुआ. इस दौरान जो ज्ञान हमें मिला, भारतीय संस्कृ़ति के अनुसार उस पर सबका अधिकार है. इस ज्ञान का उपयोग मानव कल्याण के लिए करना होगा.

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि वर्तमान में पानी का विषय एक चुनौती के रूप में उभरा है, जिन देशों में जनसंख्या और पानी की उपलब्धता में विषमता है, उन देशों के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है. भारत भी उनमें से एक है. इन पांच दिनों में हमने भूगर्भ जल, नदियों के सूखने और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति आदि पर विचार किया है. उन्होंने कहा कि विशाल जनसंख्या और पानी की कमी वाले देश की स्थितियां होने के बावजद जिस तरीके से भारत ने जल पर काम किया है. उससे हमारा देश आज पूरे विश्व में रोल मॉडल के रूप में उभरा है. मुझे प्रसन्नता है कि भारत के विभिन्न हिस्सों और 28 अन्य देशों से आए प्रतिनिधियों ने यहां जल के विषय पर उपयोगी मंथन किया.

शेखावत ने कहा कि जल पर चर्चा के इस महाकुंभ मेंं तकनीक के जिन विषयों में चर्चा हुई है, उम्मीद है कि वह भारत के लिए उपयोगी साबित होगी. इन तकनीकों का उपयोग घर घर में पानी पहुंचाने के लिए, भूजल के पुनर्भरण और नदियों को सदानीरा बनाने के लिए किया जाएगा. शेखावत ने कहा कि पिछले आठ वर्ष में जल का विषय सामूहिक सोच के साथ साथ सरकार की पॉलिसी के रूप में उभरा है. जल आर्थिक गतिविधियों का एक केन्द्र भी है. ऐसे समय में जबकि भारत पूरे विश्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जा रहा है, देश में पानी की निर्बाध उपलब्धता जरूरी है. हम इस संकल्प के साथ यहां से प्रयाण करें कि यहां जो कुछ सीखा है, जाना है, उसे धरातल पर उतारने में सहभागी बनेंगे. भारत ने दुनिया के सामने जल सुशासन के विकेन्द्रीकरण का मॉडल प्रस्तुत किया है. उस मॉडल को और सुदृढ करना है.

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