आसमान छूती महंगाई और बेरोजगारी की आग में घी डालने वाला है बजट- शिक्षा मंत्री कल्ला
Advertisement

आसमान छूती महंगाई और बेरोजगारी की आग में घी डालने वाला है बजट- शिक्षा मंत्री कल्ला

मोदी सरकार 2.0 ने आज अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किया. बजट में टैक्स में छूट दी गई है. 7 लाख रुपये तक की कमाई पर छूट दी गई है. बजट पेश होने के बाद सत्तापक्ष बीजेपी जहां इसे भारत के स्वर्णिम विकास वाला बजट बता रहा है. वहीं, कांग्रेस इसे निराश करने वाला बता रहा है.

आसमान छूती महंगाई और बेरोजगारी की आग में घी डालने वाला है बजट- शिक्षा मंत्री कल्ला

जयपुर: मोदी सरकार 2.0 ने आज अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किया. बजट में टैक्स में छूट दी गई है. 7 लाख रुपये तक की कमाई पर छूट दी गई है. बजट पेश होने के बाद सत्तापक्ष बीजेपी जहां इसे भारत के स्वर्णिम विकास वाला बजट बता रहा है. वहीं, कांग्रेस इसे निराश करने वाला बता रहा है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में  शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने बजट पर तीखी प्रतिक्रिया दी.

बीडी कल्ला ने केन्द्रीय बजट को आसमान छूती मंहगाई और बेलगाम बेरोजगारी की आग में घी डालने वाला बताया है. डॉ. कल्ला ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार देश की जर्जर होती अर्थव्यवस्था से आमजन का ध्यान भटकाने, आंकड़ों को छिपाने, उनमें घालमेल करने और सही तथ्यों पर पर्दा डालने के खेल में माहिर है, इस बजट में भी नए जुमलों के माध्यम से जनता को भ्रमित करने का कुत्सित प्रयास किया गया है.

यह भी पढ़ें: आज से जयपुर एयरपोर्ट बना साइलेंट एयरपोर्ट, उड़ान और बोर्डिंग के लिए अनाउंसमेंट नहीं

दो करोड़ रोजगार देने के वादा का क्या हुआ- कल्ला

शिक्षा मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार में आने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के युवाओं से प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन इस सरकार का गत 9 सालों का कुशासन इस बात का गवाह है कि देश की युवा शक्ति को रोजगार मुहैया कराने के मसले पर लगातार ठगा जा रहा है.

इस बार के बजट में भी बेरोजगारी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों पर कोई ठोस उपाय नहीं किए गए है, यह देश के युवाओं और आमजन की उम्मीदों पर कुठाराघात है.डॉ. कल्ला ने बताया कि बजट में सामाजिक सुरक्षा, आधारभूत ढांचे, शहरी और समावेशी विकास को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं, वे ऊँट के मुंह में जीरे के समान है.इस बजट से राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होगी तथा विकास की दर अवरुद्ध होगी.आर्थिक सर्वेक्षण में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित जीडीपी दर का गत तीन सालों में न्यूनतम होना इस बात का स्पष्ट संकेत है.

Trending news