Beliefs : घर में किसी भी शुभ कार्य से पहले एक बार मंदिर में भगवान के दर्शन करना जरूरी बताया गया है. जहां भगवान से उस काम को पूरा करने और साथ रहने की कामना लोग करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को मंदिर जाते वक्त ये काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
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Temple Puja : शुभ कार्य से पहले भगवान से विनती करना और आभार जताना हमारे संस्कारों में हैं. हिंदू धर्म में इस परंपरा को हम बचपन से निभाते आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि महिलाओं को मंदिर में जाते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से पहले ही अपने बाल बांध लेने चाहिए. बाल खुले रखकर कभी पूजा पाठ नहीं करना चाहिए.
मंदिर में प्रवेश करते समय मन शांत और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होना चाहिए. क्योंकि मंदिर में जाने का उद्देश्य ही भगवान को आत्मसात करना होता है. जब भी मंदिर में जाएं तो साफ और शुद्ध होकर जाना चाहिए. क्या आपके घर का झूला भी खुद ही झूलने लगता है, जानें क्या कहता है वास्तुशास्त्र
महिलाओं के बाल खुले होने पर उनका ध्यान पूजा की बजाय अपने बालों के ठीक करने पर जा सकता है. बंधे बालों के साथ पूजा करने पर मन जल्दी भक्ति में लग जाता है.
हमारे पुराणों की मानें तो महाभारत और रामायण में भी बालों के खुले होने को नकारात्मकता से जोड़ा गया है. बालों का खुला होगा क्रोध दर्शने का प्रतीक माना गया है. बालों का खुला होगा हमेशा ही नकारात्मक कार्यों से जुड़ा रहा है चाहे वो द्रोपदी का चीरहरण रहा हो या फिर कैकेयी का कोप भवन में बैठना.
जानकार तो ये भी बताते हैं कि अगर किसी पूजा पाठ या शुभ काम में महिलाएं बाल खोलकर बैठती हैं तो पूजा भी स्वीकार्य नहीं होती है. ऐसी पूजा को देवता स्वीकार नहीं करते और घर में दुर्भाग्य आ जाता है. खुले बालों में नकारात्मकता जल्द प्रवेश कर जाती है. Garuda Purana : इस तरह की हरकतों से बचें पुरुष, नहीं तो अगले जन्म में बनेंगे औरत
इसलिए मंदिर में कभी भी महिलाओं को बाल खोलकर नहीं जाना चाहिए और सिर को ढकना चाहिए. ताकि किसी बुरी शक्ति की प्रवेश मन मस्तिष्क में ना हो. कुलमिलाकर देखें तो हिंदू धर्म में बाल बांधना और सिर को ढककर मंदिर में प्रवेश करना सम्मान और भक्ति का प्रतीक है जिसका पालन महिला को करना चाहिए.
डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है जिसकी zeemedia पुष्टि नहीं करना