International Trade Fair News: हर साल दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार 14 नवंबर से शुरू हुए चौदह दिवसीय 41वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला काफ़ी खास होने की उम्मीद है. क्योंकि कोरोना की मार के बाद पहली बार मेले में काफी आकर्षण देखा जा रहा है. इस बार मेले की थीम “वोकल फॉर लोकल, लोकल फॉर ग्लोबल ’’रखी गई है.
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International Trade Fair News: देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे मेले में भारत के सभी राज्यों की कला संस्कृति और धरोहर को प्रदर्शित किया जाता है. इस व्यापार मेले में राजस्थान पवेलियन को लेकर क्या आकर्षण और रिस्पांस देखने पर पता चला कि राजस्थान पवेलियन में सरकारी अव्यवस्थाओं के चलते ऑडियंस में नाराजगी देखी जा सकती है. लाखों रुपया खर्च करके राजस्थान सरकार प्रदेश की कला संस्कृति और धरोहर को प्रमोट करने के लिए ट्रेड फेयर में राजस्थान पवेलियन में प्रदेश के विभिन्न कलाकारों को अपने उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शनी का मौक़ा देती है.
जिसमें राजस्थान के हर कोने से हस्तशिल्प सहित कई परंपरागत कला के आर्टिजंस अपने उत्पादों का प्रदर्शन करते और बेचते हैं. लेकिन जब मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया तो पता चला कि अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान पवेलियन में असुविधाओं का अंबार देखने को मिला. सरकारी मशीनरी की असंवेदनशीलता की वजह से राजस्थान के उत्पाद और कला संस्कृति का प्रदर्शन आशा अनुरूप नहीं हो पा रहा है. क्योंकि ऑडियंस को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जोधपुर से आए हुए लोगों का कहना है कि पहले तो यहां पर स्टॉल बहुत छोटे कर दिए गए हैं, उसमें भी शेयरिंग में स्टॉल लगाने पड़ रही है. अधिकारियों को अवगत करवाने के बावजूद किसी तरीके से सुविधाओं में कोई इज़ाफ़ा नहीं हो रहा है.वहीं आर्टिजंस की शिकायत है कि यहां पर सबसे बड़ी दिक्कत इंटरनेट सुविधा नहीं होने से ऑनलाइन पेमेंट नहीं हो पाता है, इसलिए व्यापार पर इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है. साथ ही आर्टिजेंस के लिए जिस तरीके से राजस्थान सरकार का उद्देश्य है, उसके अनुरूप यहां पर अधिकारियों का व्यवहार अनुकूल नहीं है.
आर्टिजेंस का कहना है कि हर साल के मुकाबले इस साल भीड़ तो देखी जा सकती है, लेकिन उतना रेस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा है. आर्टिजेंस का यहां तक कहना है कि यहां पर अन्य राज्यों को भी स्टॉल अलॉट कर दी जाती है, जिससे मूल राजस्थान के आर्टिजेंस को मौका नहीं मिल पाता है.
स्टॉल्स पर बात करने से पता चला की एक मथुरा से और एक बिहार के रहने वाले जयपुर के नाम पर खाने पीने के उत्पाद बेच रहे थे. यहां तक कि उन स्टॉल्स पर मूल राजस्थान की बजाय दिल्ली, केरल सहित अन्य राज्यों के आर्टिफिशियल कई उत्पाद बेचे जा रहे हैं.अधिकारियों की अनदेखी की वजह से राजस्थान के आर्टिजेंस को अन्य राज्यों में अपने उत्पाद बेचने के लिए जाने को मजबूर होना पड़ रहा है.
यहां एक और चीज देखने को मिली कि जो राजस्थान को पवेलियन के लिए जगह अलॉट की गई है. उसके आधे हिस्से में तो राजस्थान सरकार के रिक्को और टूरिज्म मिनिस्ट्री स्टॉल ने ही जगह घेर रखी है. इनमें किसी भी तरह की विभागीय एक्टिविटी नजर नहीं आती. इसलिए आर्टिजेंस ने कहा कि इस जगह पर कई और स्टॉल हो सकती थी. लेकिन हमारी बात पर कोई गौर नहीं करता.
जयपुर रजाई बेच रहे रऊफ का कहना है कि यहां की समस्याओं को लेकर अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है, लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं हुआ है. हमें आश्वासन दिया जाता है कि अगली बार समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा.
खरीदारी करने पंजाब से आए लोगो ने कहा कि मैं राजस्थान की कला और संस्कृति की फेन हूं. भले ही पंजाबी हूं लेकिन मेरे घर में सारी चीज राजस्थानी है. राजस्थान का ट्रेडिशनल आर्ट बहुत पसंद है.
इस वर्ष राजस्थान मंडप में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से व्यापार मेले में भाग लेने आये उद्यमियों द्वारा लगभग 27 स्टालों का प्रदर्शन किया है. जिसमें राज्य सरकार के राजकीय विभागों सहित राजस्थान के विश्व प्रसिद्व हस्तशिल्प उत्पादों को विशेष रूप से देश-विदेश में धूम मचाने वाली राजस्थानी हस्तशिल्प वस्तुओं में लाख की चूडीयां, महिलाओं के श्रृंगार के विविध आईटम्स, जयपुरी रजाईयां, टैक्सटाईल्स का सामान, चद्दरे और मोजड़ियों के उत्पादों के स्टॉल शामिल है.
उद्योग आयुक्त महेंद्र पारेख ने भी पवेलियन का निरीक्षण और उद्यमियों, दस्तकारों, व्यवसायियों, कलाकारों और विभागीय प्रतिनिधियों से मिल कर उनकी शिकायतें सुनी. पवेलियन की व्यवस्था देख रहे राजसिको के अधिकारी रामकिशन रेगर ने कहा कि राजस्थान पवेलियन को आगामी समय में बेहतर बनाने के लिए आर्टिजंस और आगंतुकों के सुझावों पर गहनता से विचार करके सरकार के समक्ष रखा जाएगा. ताकि राजस्थान पवेलियन को अन्य राज्यों की तुलना में शानदार बनाया जा सके.