शहर के बीचों बीच होने के बावजूद जनाना अस्पताल बहा रहा है दुख के आंसू, जानिए पूरी खबर
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शहर के बीचों बीच होने के बावजूद जनाना अस्पताल बहा रहा है दुख के आंसू, जानिए पूरी खबर

जनाना अस्पताल का निर्माण सन् 1941 में खेतड़ी रियासत के तत्कालीन राजा सरदार सिंह के कहने पर सेठ रामकुमार जौहरीमल झुंथाराम तिजोरीवालों ने अपने पिता सेठ जमुनासहाय की स्मृति में करवाया था. 

जनाना अस्पताल बहा रहा है दुख के आंसू

Kotputli: राजस्थान के कोटपुतली कस्बे के सराय मौहल्ला स्थित राजकीय सरदार जनाना अस्पताल की वीरानी अपने आप में ही एक कहानी बयां करती है. कभी मरीजों की आवक से गुलजार यह अस्पताल आज सुनसान पड़ा रहता है. इसकी बदहाली की सबसे बडी जिम्मेदार राज्य सरकार है, जिसकी उपेक्षा के कारण कभी क्षेत्र का सबसे बड़ा प्रसूति केंद्र होने का दर्जा रखने वाला यह अस्पताल आज महज एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा पाने के लिए भी तरस रहा है. 

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जनाना अस्पताल का निर्माण सन् 1941 में खेतड़ी रियासत के तत्कालीन राजा सरदार सिंह के कहने पर सेठ रामकुमार जौहरीमल झुंथाराम तिजोरीवालों ने अपने पिता सेठ जमुनासहाय की स्मृति में करवाया था. उस समय खेतड़ी रियासत द्वारा यहां पर राजकीय सरदार स्कूल और विक्टोरिया जूबली अस्पताल (सिटी डिस्पेंशरी) का निर्माण भी हुआ था. तिजोरीवाले सेठों ने जनाना अस्पताल के साथ स्टाफ क्वाटर, कुआं, पशु अस्पताल और नर्सिंग अधीक्षक कोठी का निर्माण भी करवाया था. वहीं अस्पताल में फर्नीचर और ऑपरेशन के लिए जर्मनी निर्मित विदेशी औजार भी उपलब्ध करवाए गए थे जो आज भी अस्पताल की एक अलमारी में धुल फांक रहे हैं.

आपको बता दें कि 2001-02 तक यहां से पीपी सेंटर का दर्जा भी समाप्त कर दिया गया, जिसे यहां मरीजों की संख्या साल दर साल घटती चली गई. कभी यहां के आउटडोर में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की आवक थी जो अब दर्जन भर मरीजों तक सिमट कर रह गई है. चालू वर्ष में अभी तक केवल 8 से 10 प्रसव के केस अस्पताल में आए हैं. हालांकि मौजूदा चिकत्सकों की मेहनत से आउटडोर में मरीजो की संख्या बढ़ी है और अस्पताल में साफ-सफाई सहित अच्छी व्यवस्थाए दिखने लगी है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सरकार इसकी ओर ऊंचा दर्जा देवे तो शहर वासियों को और भी बेहतर इलाज मिल सकता है.

जनाना अस्पताल में इलाज लेने वाले अधिकतर लोगों का मानना है कि यहां इलाज बहुत अच्छा मिल रहा है. साथ ही अगर राजकीय बीडीएम अस्पताल से प्रसुती विभाग (जच्चा बच्चा केंद्र) का स्थानान्तरण यहां कर दिया जाए तो एक ओर बीडीएम चिकित्सालय पर मरीजों का दबाव कम होगा. वहीं इस अस्पताल के दिन भी फिर सकते हैं. यहीं नहीं ऐसा करने के लिए यहां पर पर्याप्त मात्रा में सुविधायें भी उपलब्ध होंगी. वहीं अस्पताल में निम्न पद रिक्त चल रहे हैं, उन्हें भी पूरा करने की आवश्यकता है. फिलहाल एक गायनिक, एक वार्ड ब्वॉय, एक स्वीपर के पद जो स्वीकृत है, अभी रिक्त चल रहे है

जनाना अस्पताल शहर के बीचों बीच है जिस कारण मरीजों को यहां आने में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है, वहीं राजकीय बीडीएम जिला अस्पताल हाइवे के दूसरी तरफ है. जहां पर मरीज आसानी से नहीं जा सकता है. साथ ही ढाई से तीन हजार की OPD होने से भी भारी भीड़ रहती है, जिसके कारण मरीजों को सुगम व्यवस्था नहीं मिल पाती है. राज्य सरकार अगर सरदार जनाना अस्पताल को PHC से CHC भी क्रमोनित करे तो शहर वासियों को बहुत अच्छा इलाज मिल सकता है, साथ ही बीडीएम अस्पताल का भार भी कम हो सकता है.

आजादी से पहले बने सरदार जनाना अस्पताल का भवन आज भी नए भवनों को मात देता है. भवन में हाल, लंबे चौड़े कमरे, वार्ड और सभी प्रकार की भवन संबंधी सुविधाएं हैं, लेकिन आज शहर के बीचों बीच होने के बावजूद भी इस अस्पताल में सुविधाएं नहीं मिल पाई स्थानीय लोग और चिक्तक्स चाहते हैं. राज्य सरकार इसको क्रमोनित कर ऊंचा दर्जा दे ताकी इसकी बदहाली की तस्वीर सुधर सके.

Reporter: Amit Yadav

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