40 डिग्री पर यूरोप में हो रही मौतें, फिर राजस्थान में 50 डिग्री में कैसे जिंदा है लोग?
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40 डिग्री पर यूरोप में हो रही मौतें, फिर राजस्थान में 50 डिग्री में कैसे जिंदा है लोग?

भीषण गर्मी से इस वक्त पूरे दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप में डराने वाले हालात पैदा हो रहे है. कई लोगों की मौत हो गई है और कई लोग बीमार पड़ रहे हैं. लू की चपेट में आए दिन वहां लोगों की मौतों में इजाफा  हो रहा है. आंकड़ों की मानें तो यूरोप में इस समय गर्मियों का मौसम अनुमान से भी ज्‍यादा गर्म हैं. 

40 डिग्री पर यूरोप में हो रही मौतें, फिर राजस्थान में 50 डिग्री में कैसे जिंदा है लोग?

Weather Alert: हालात इतने डरावने हैं कि ब्रिटेन में रनवे तक पिघलने लगा है. वहीं एशियाई देशों में आने वाला भारत जिसके राजस्थान समेत ऐसे कई राज्य है, जहां मई जून के महीने में लू की चपेट में पूरा भारत होता है. पर यहां लोगों में इस तरह का भीभत्स माहौल ना के बराबर पाया जाता है. लोगों में गर्मी से होने वाली व्याकुलता दिखती है पर डराने वाला मंजर कम देखने को मिलता है. 

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पर ऐसा क्यों होता है कि, भारत के राजस्थान में मई से जुलाई के महीने में पड़ने वाली हीट वेव से लोगों की मौत की संख्या अधिक नहीं होती, जितनी यूरोपीय देशों में हाल फिल्हाल में हो रही है है,जबकि यहां का तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है . विशेषज्ञों का मानना है कि, इस तापमान में यहां के लोग को रहने की आदत हो जाती है. पर इसके अलावा भी कई ऐसे कारक होते है, जिन्हें जनना जरूरी है जो इस प्रकार हैः-

इस बारें में विशेषज्ञों का कहना है कि यहां पड़ने वाली आर्द्रता वाली सूखी गर्मी होती है, जो इंसानी जीवन के लिए  उचित होती है, पर हल्की बारिश और धूप के बाद होने वाली उमस भरी गर्मी काफी हानिकारक होती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां की जलवायु की खास बात यह है कि यहां कि उत्तरी देशों का डाटा 'वेट बल्ब टेपरेचर' के आधार पर बना है. इसी तकनीक के कारण वह भारत के तापमान का सही से अनुमान नहीं लगा पाती है.

क्या होता है वेट बल्ब टेपरेचर

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यह एक ऐसा उपाय है जो गर्मी और आर्द्रता को जोड़ता है.“वेट-बल्ब टेम्परेचर वह न्यूनतम तापमान है, जिस पर निरंतर दबाव में पानी के हवा में वाष्पीकरण के जरिए  हवा को ठंडा किया जा सकता है.

टेपरेचर को कैसे बताता है

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गीले बल्ब का तापमान अनिवार्य रूप से मापता है कि वर्तमान मौसम की स्थिति में वातावरण कितना जल वाष्प धारण कर सकता है. कम गीले बल्ब के तापमान का मतलब है कि हवा सूख रही है और उच्च गीले बल्ब के तापमान की तुलना में अधिक जल वाष्प धारण कर सकती है.

गर्म देश है सबसे परेशान 
उतरी ध्रव में गर्मी का असर ज्यादा होता है, जबकि दक्षिणी ध्रुव के लोगों  के लोग इसके आदि हो चुके होते है. उत्तरी अक्षांशों में व्यापक गर्मी के कारण मृत्यु दर बढ़ती है. 

जीवनशैली में हो रहा बदलाव 

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भारत के राजस्थान समेत अन्य राज्यों में भीषण गर्मी और लू के कारण आकंड़ों में इसलिए भी कमी देखी जाती है क्योंकि यहां के लोगों ने अपने आप को उसी हिसाब में ढाल लिया है जिसके कारण यहां के लोगों में गर्मी का प्रभाव कम देखा जा सकता है.

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