Jaipur: नए पुलिस थानों, चौकियों और कार्यालयों की जमीन आवंटन की फाइलें सरकारी दफ्तरों में फंस गई है. इधर, मामला सरकार तक पहुंचा तो मुख्य सचिव उषा शर्मा को थानों-चौकियों के जमीन आवंटन के लिए दखल देना पड़ा.
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Jaipur: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मकसद है पूरे प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहद मजबूत और सुदृढ हो, इसलिए उन्होंने नए पुलिस थानों, चौकियों, सीओ-एएसपी कार्यालयों की घोषणा की ताकि क्राइम कंट्रोल हो और जनता को राहत मिल सके लेकिन हकीकत में नए पुलिस थानों, चौकियों और कार्यालयों की जमीन ही ''खिसकी'' हुई नजर आ रही है. इनमें ज्यादातर के पास खुद की बिल्डिंग तो दूर जमीन ही नहीं है. इनके जमीन आवंटन की फाइलें सरकारी दफ्तरों में फंस गई है. इधर, मामला सरकार तक पहुंचा तो मुख्य सचिव उषा शर्मा को थानों-चौकियों के जमीन आवंटन के लिए दखल देना पड़ा.
बजट में बड़ी संख्या में नए पुलिस थानों, चौकियों तथा एएसपी कार्यालयों की घोषणा
प्रदेश में अपराध बढ़ने पर कानून व्यवस्था बिगड़ने लगती है तब राज्य सरकार उन क्षेत्रों में नए पुलिस थाना- चौकियां, सीओ-एएसपी कार्यालय खोलने की मंजूरी देती है. सरकार स्थानीय जनता, जन प्रतिनिधियों और पुलिस मुख्यालय की मांग पर नए थाना-चौकियां स्वीकृत करती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इनकी मांगों तथा क्राइम कंट्रोल तथा सुदृढ़ कानून व्यवस्था को देखते हुए बजट में बड़ी संख्या में नए पुलिस थानों, चौकियों तथा उप अधीक्षक तथा एएसपी कार्यालयों की घोषणा कर दी.
जमीन आवंटन की फाइल सरकारी दफ्तरों में फंसकर रह गई
आम जनता को जल्द राहत के लिए गृह विभाग ने नए थानों-चौकियों के क्रियान्वयन की स्वीकृति भी जारी कर दी. इसके बाद थाना-चौकियां, कार्यालय क्रियाशील भी हो गए, लेकिन खुद की बिल्डिंग का पेंच अटक गया. कहीं जमीन मिल गई, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया, वहीं अधिकतर जगह जमीन का अवंटन ही नहीं पाया. जमीन आवंटन की फाइल सरकारी दफ्तरों में फंसकर रह गई. इधर राज्य सरकार ने बजट घोषणा की क्रियान्वति रिपोर्ट मांगी तो हकीकत सामने आई कि थानों चौकियों के लिए धरातल ही नहीं है.
बिना योजना कर दी जाती है घोषणा
जानकर सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हो या भाजपा, सत्ता में कोई भी पार्टी हो, पुलिसकर्मियों को बदहाली से निकालने के लिए दावे और वादे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ काम नहीं हो पाता. थानों-चौकियां की घोषणाएं कर दी जाती है, लेकिन जमीन या संसाधनों पर ध्यान नहीं दिया जाता. आबादी के साथ ही क्राइम बढ़ने के मद्देनजर भविष्य में कहां-कहां पुलिस थानों-चौकियों की जरूरत होगी, इसका आकलन नहीं किया जा रहा. वहीं सरकारी दस्तावेजों में इनके लिए पहले जमीन आवंटन का प्रावधान किया गया है. इसको लेकर अफसर और जनप्रतिनिधि भी कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं.
इन्हें जमीन मिली, लेकिन निर्माण में लगेगी देर
पुलिस मुख्यालय सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा में भिवाड़ी के प्रशासनिक और आवासीय भवनों तथा 27 पुलिस थानों के प्रशासनिक भवनों के लिए 138 करोड़ 35 लाख की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी. इनमें भिवाड़ी के साथ ही झालावाड़ महिला पुलिस थाना, पहाड़ा उदयपुर, बेगूं, कोतवाली दौसा के टेंडर जारी की जा चुकी है, जबकि शेष थानों की निविदा प्रक्रिया अभी प्रक्रियाधीन है. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि टेंडर पूरा होने तथा निर्माण होने में कितना समय लगेगा.
इनकी जमीन का अता-पता ही नहीं है
मुख्यमंत्री गहलोत ने पिछले दो बजट में 7 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक , 16 पुलिस उप अधीक्षक, 55 पुलिस थाने एवं 59 पुलिस चौकियां खोले जाने की घोषणा की गई. इनमें से 1 अति. पुलिस अधीक्षक, 7 सी.ओ.कार्यालय, 22 पुलिस थानो एवं 16 पुलिस चौकियो के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की जा चुकी है. वहीं 6 एएसपी, 9 डीएसपी, 33 पुलिस थानों तथा 43 पुलिस चौकियों के जमीन आवंटन का मामला अटका हुआ है। पुलिस से इसके लिए जानकारी मांगी गई तो पीएचक्यू से जवाब आया कि जमीन आवंटन के प्रयास जारी है.
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मुख्य सचिव ने की पहल, ली बैठक
मुख्य सचिव उषा शर्मा ने 12 अक्टूबर को पुलिस थानों चौकियों, कार्यालयों के लिए जमीन आवंटन के मामले को लेकर बैठक बुलाई. बैठक में प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी सहित अन्य अफसर जुड़े. मुख्य सचिव ने जमीन आवंटन में आ रही परेशानियों की जानकारी ली और इस मामले को जल्द निबटाने के निर्देश दिए.