CJ Pankaj Mithal : राजस्थान हाईकोर्ट के 40 वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेने के साथ ही जस्टिस पंकज मिथल का एक आदेश राजस्थान की न्यायपालिका के बीच काफी चर्चा में आ गया है.
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CJ Pankaj Mithal : इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस पंकज मिथल शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट के 40 वें मुख्य न्यायाधीश बन गए. राजभवन में आयोजित हुए एक भव्य समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने उन्हे पद और गोपनियता की शपथ दिलाई. जस्टिस मिथल के शपथ ग्रहण के साथ ही राजस्थान की न्यायपालिका में उनका एक आदेश बहुत तेजी से वाट्सप ग्रुपों में शेयर किया जा रहा है.
इस आदेश में जस्टिस पंकज मिथल ने न्यायिक अधिकारियों के लिए कई ऐसे निर्देश जारी किए हैं जिनके जरिए इन न्यायिक अधिकारियों को अनचाहे प्रोटोकॉल से मुक्त रखा गया हैं. इसमें सबसे ज्यादा उस आदेश की चर्चा है जिसमें कहा गया है कि जब भी कोई मुख्य न्यायाधीश आपके क्षेत्र से गुजर रहे है, तो न्यायिक अधिकारी किसी भी सूरत में हाईवे पर उनकी आगवानी के लिए खड़े नहीं रहेंगे.
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहें है. जम्मू कश्मीर सीजे रहते हुए उनके द्वारा 22 जून 2022 को ही एक सर्कुलर जारी किया गया था. जिसके जरिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी न्यायिक अधिकारियों के लिए अदालत समय के दौरान बरते जाने वाले आचरण के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए गए थे.
इस आदेश के तहत लोअर ज्यूडिशरी के न्यायिक अधिकारियों के लिए कुल 14 दिशानिर्देश जारी किए गए थे, इन दिशानिर्देशो की पालना नहीं करने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गई थी.
सर्कुलर के ये दिशानिर्देश इस प्रकार से रहें-
1. मुख्य न्यायाधीश या हाइकोर्ट जज की यात्रा के समय कोई भी न्यायिक अधिकारी उनकी आगवानी नहीं करेंगे
2. केवल सीनियर गैर न्यायिक अधिकारी ही मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश की आगवानी करेंगे
3. मुख्य न्यायाधीश न्यायिक अधिकारियों की बैठक बुलाते है तो वह न्यायालय समय से पहले या बाद ही होगी.
4. किसी विजिट के दौरान मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश किसी अधिकारी को बुलाया जाता है तो वह न्यायालय समय के बाद ही बुलाया जा सकता है
5. बिना ऑफिसियल कार्य के कोई भी न्यायिक अधिकारी मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश की विजिट के दौरान नहीं मिलेंगे
6. मुख्य न्यायाधीश या किसी भी न्यायाधीश की विजिट के दौरान किए गए खर्च केवल हाइकोर्ट द्वारा ही वहन किए जाएंगे, कोई भी जिला न्यायाधीश या सीजेएम अपने द्वारा व्यय नहीं करेंगे
7. मुख्य न्यायाधीश या किसी भी न्यायाधीश की निजी यात्रा की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी
8. कोई भी न्यायिक अधिकारी किसी भी जज या मुख्य न्यायाधीश के लिए धार्मिक यात्रा की व्यवस्था नहीं करेंगे
9. मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश की यात्रा के दौरान कोई भी न्यायिक अधिकारी भोजन, होटल या ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं करेंगे
10. मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश की विजिट के दौरान न्यायिक अधिकारी द्वारा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगे
11. कोई भी न्यायिक अधिकारी या कर्मचारी मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश कोई किसी प्रकार का गिफ्ट या सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे
12. एक भी आदेश की पालना नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी
13. मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश की विजिट के दौरान किसी भी न्यायिक अधिकारी को लाइजनिंग ऑफिसर की ड्यूटी नहीं दी जाएगी. केवल गैर न्यायिक अधिकारी ही प्रोटोकॉल अधिकारी के तौर पर कार्य करेंगे
14. न्यायालय समय के दौरान कोई भी न्यायिक अधिकारी मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश को हाइवे या किसी भी जगह आगवानी नहीं करेंगे.
मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल के शपथग्रहण के बाद से ही जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल का ये आदेश चर्चा में आ गया हैं, क्योकि राजस्थान में मुख्य न्यायाधीश के निजी सचिव से लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सहित कई कार्यालयों के सीनियर और अनुभवी न्यायिक अधिकारी गैर न्यायिक कार्य कर रहे हैं.
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