Rajasthan Election 2023: राजस्थान में बीजेपी मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय में घुसपैठ कर रही है. इसके लिए पार्टी ने अल्पसंख्यक मोर्चा के जरिए मुस्लिम समुदाय सूफी वर्ग, प्रबुद्ध, युवा तथा महिलाओं सहित हर वर्ग में अलग अलग कार्यक्रम चला रखे हैं.
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Rajasthan Election 2023: बीजेपी अपने मिशन मरूधरा को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है. पार्टी से अब तक अछूते रहे मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय में घुसपैठ कर रही है. बीजेपी सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि के साथ ही पीएम मोदी की योजनाओं के सहारे धीरे धीरे मुस्लिम वोटरों पर पकड़ बनाने का काम कर रही है.
इसके लिए पार्टी ने अल्पसंख्यक मोर्चा के जरिए मुस्लिम समुदाय सूफी वर्ग, प्रबुद्ध, युवा तथा महिलाओं सहित हर वर्ग में अलग अलग कार्यक्रम चला रखे हैं, जिनके जरिए मुस्लिम समुदाय की बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही है, जिनका फायदा उसे विधानसभा चुनाव में होने की उम्मीद है. बीजेपी कैसे मुस्लिम समुदाय से अपनी दूरियां मिटाने का काम कर रही है.
राजस्थान में सत्ता के महासंग्राम का आखिरी दौर जारी है और कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही प्रमुख पार्टियां जीत के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को मात देने के लिए लिए अपना अपना दांव चल रही है. बीजेपी मिशन मरूधरा को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. प्रदेश में 30 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां सीधे सीधे अल्पसंख्यक समुदाय तय करता है कि विधायक कौन बनेगा.
वहीं दस विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां निर्णायक भूमिका में तो नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यकों की बहुलता है. ऐसे में बीजेपी इन विधानसभा सीटों पर अपनी निगाहें गड़ाए हुए हैं. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा को मिशन मरूधरा का सपना पूरा करने के लिए इन विधानसभा क्षेत्रों में पूरी तरह झोंक दिया है. मोर्चा की ओर से मुस्लिम समुदाय में पैठ जमाने के लिए हर वर्ग को साधने की कोशिश की जा रही है.
जानकारों का कहना है कि वर्ष 2003 से पहले कट्टर हिंदुत्व के कारण बीजेपी अल्पसंख्यकों के लिए अछूत सी मानी जाती थी और अल्पसंख्यक समुदाय जुड़ने से कतराता था. बीजेपी से अल्पसंख्यकों को जोड़ने के लिए उन्हें मोर्चा में सीधे मंडल अध्यक्ष बनाया जाता था, लेकिन फिर भी मंडल नहीं भरते थे. दूसरी ओर बीस साल में धीरे धीरे हालात बदले हैं कि अब बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा में राजनीतिक पद हासिल करने की होड़ दिखाई देती है. हालात यह है कि पार्टी का पद लेने के लिए विधायक सांसदों से सिफारिश तक करवा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी भी अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कई कार्यक्रम कर रही है.
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुसैन खान का कहना है कि मोर्चा कार्यकर्ता अल्पसंख्यक समाज में लगातार सम्पर्क बनाए हुए हैं. इसके लिए सूफी सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं इनके जरिए दरगाहों पर जाकर सूफी संतों से सम्पर्क कर रहे हैं. इन दरगाहों पर मुस्लिमों के साथ ही सभी धर्मों के लोग आते हैं, जिससे उनसे आसानी से सम्पर्क हो रहा है.
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इसके साथ ही मुस्लिम समाज के नौकरी पेशा, रिटायर्ड अधिकारी वर्ग, रिटायर्ड फौजी, प्रोफेशनल्स सहित अन्य प्रबुद्धजनों के साथ बैठकें की जा रही है. उनसे वोट मांगने की बजाय पीएम मोदी सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण के साथ ही अन्य योजनाओं पर चर्चा की जा रही है. मोर्चा पदाधिकारियों का मानना है कि पढ़ा लिखा मुस्लिम तबका मोदी सरकार तथा अन्य सरकारों की योजनाओं में तुलनाकर जुड़ रहा है.
छोटे छोटे समूह में महिला सम्मेलन किए जा रहे हैं. इनके जरिए महिलाओं को बताया जा रहा है कि कांग्रेस 1986 में तीन तलाक खत्म करने का मामला लेकर आई लेकिन लागू नहीं कर सकी, वहीं मोदी सरकार ने इसे लागू कर दिया. हुसैन खान का कहना है कि तीन तलाक का कानून आने के बाद करीब 85 फीसदी मामलों में महिलाओं को राहत मिली है.
देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अल्पसंख्यक समाज से जुड़ाव बढ़ाने के लिए मोदी मित्र बनाए जा रहे हैं. एक विधानसभा क्षेत्र में 700 तथा लोकसभा क्षेत्र में पांच हजार मोदी मित्र बनाए जा रहे हैं. ये मोदी मित्र अल्पसंख्यकों के बीच मोदी सरकार की योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं. मुस्लिम समुदाय के लिए पीएम मोदी सरकार में जितनी घोषणाएं और योजनाएं हुई और उनका फायदा मिला है, उतना पिछले 70 साल में नहीं मिला.
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हमीद खां मेवाती ने कहा कि कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को हमेशा ही वोट बैंक समझा है. यही कारण है कि मुस्लिम समाज को भी समझ में आने लगा है कि उनका असली खैरख्वाह कौन है. पिछले दिनों जयपुर में मुस्लिम महापंचायत हुई थी जिसमें नौ विधायकों को बुलाया गया था, लेकिन कोई नहीं आया.
ऐसे में कांग्रेस के खिलाफ मुस्लिम समाज का आक्रोश सड़क पर आ गया. वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार के समय अल्पसंख्यक समाज से छह राज्यमंत्री और एक कैबीनेट मंत्री थे. सबके पास पॉवर और काम करवाने की योग्यता थी.
इधर कांग्रेस ने बोर्डों के चैयरमेन भी आचार संहिता के तीन महीने पहले ही बनवाए हैं जो काम भी नहीं करवा पा रहे. इसको लेकर भी अल्पसंख्यक समुदाय की कांग्रेस से नाराजगी है.
हुसैन खान का कहना है कि मोदी सरकार में 300 से ज्यादा जन कल्याण की योजनाएं चलाई जा रही है. केंद्र की किसी भी योजनाओं को धर्म के नाम पर नहीं बांटा है , इतना ही नहीं अल्पसंख्यकों के लिए अलग से भी योजना चलाई गई है. उन्होंने कहा कि देश में अनुमानित 17 फीसदी मुस्लिम समुदाय है लेकिन योजनाओं का लाभ 30 से 35 फीसदी मिला है , यानी पॉपुलेश के आंकड़ों में भी देखे तो दो गुना ज्यादा लाभ मिला है. हुसैन ने कहा कि अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता मोदी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घर पर दस्तक दे रहे हैं.
- मोदी सरकार की 300 योजनाओं में 30 से 35 फीसदी अल्पसंख्यकों को मिला फायदा
- देश में 11 करोड़ शौचालय में 2.9 करोड़ अल्पसंख्यकों के लिए बनें
- 9 करोड़ गैस कनेक्शन में 2.8 करोड़ अल्पसंख्यक
- 46 करोड़ जनधन खातों में से 30 फीसदी अल्पसंख्यकों के खाते खुले
- 4 करोड़ आवास योजना में 40 लाख आवास अल्पसंख्यकों को मिले
- जनधन बीमा योजना , मुद्रा लोन योजना में 20 फीसदी लोन अल्पसंख्यक को लाभ मिला
- गरीब कल्याण योजना 30 फीसदी फायदा अल्पसंख्यक समुदाय को मिला
- उच्च शिक्षा का आंकड़ा एक लाख बीस हजार था,जो बढ़कर एक लाख अस्सी हजार हो गया
- हज कोटा एक लाख बीस हजार था, जो पीएम मोदी के प्रयास से बढ़कर एक लाख 75 हजार हो गया
इन्हीं योजनाओं के सहारे मुस्लिम समुदाय को बीजेपी और खासकर पीएम मोदी से जोड़ा जा रहा है. अल्पसंख्यक पदाधिकारियों का कहना है कि मुस्लिमों का बीजेपी की तरफ रूझान बढ़ा है और इसका फायदा आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा. अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यक्रमों में के साथ ही पार्टी के अन्य कार्यक्रमों में भी मुस्लिमों की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन ये वोट में कितना परिवर्तित हो पाएगी यह चुनाव के नतीजे ही बताएंगे.