राजस्थान में 30 लाख लोग परेशान! आखिर परिवहन विभाग क्यों लागू नहीं कर पा रहा बजट घोषणा?
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राजस्थान में 30 लाख लोग परेशान! आखिर परिवहन विभाग क्यों लागू नहीं कर पा रहा बजट घोषणा?

Rajasthan: राजस्थान परिवहन विभाग आमजन के हित में बजट घोषणा को ही लागू नहीं कर पा रहा है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ड्राइविंग लाइसेंस और वाहनों के पंजीयन प्रमाण पत्र ई फॉर्मेट को लेकर घोषणा की थी. कब पूरी होगी बजट घोषणा, क्या हैं अड़चनें?

 

राजस्थान में  30 लाख लोग परेशान! आखिर परिवहन विभाग क्यों लागू नहीं कर पा रहा बजट घोषणा?

Rajasthan: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में घोषणा करते हुए कहा था कि अब आमजन को ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी के ई-फॉर्मेट के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसके लिए उन्हें स्मार्ट कार्ड रखने की जरूरत नहीं होगी. ई- लाइसेंस और ई-आरसी को वैध माना जाएगा.इसके पेटे आमजन से लिए जाने वाले 200 रुपए के शुल्क से भी जनता को राहत मिलेगी.

 मुख्यमंत्री की इस बजट घोषणा को परिवहन विभाग 3 महीने बाद भी लागू नहीं कर पा रहा है. परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो निजी कंपनियों के दबदबे के चलते यह बजट घोषणा अभी तक लागू नहीं हो सकी है. आपको बता दें कि परिवहन विभाग की ओर से सालाना करीब 30 लाख लोगों को स्मार्ट कार्ड जारी होते हैं. वाहन पंजीयन और ड्राइविंग लाइसेंस के इन स्मार्ट कार्ड से परिवहन विभाग को बहुत ज्यादा आय भी नहीं होती.

55 रुपए कंपनी को, विभाग को 145 रुपए

- परिवहन विभाग ने 2 निजी कंपनियों को दिया हुआ है टेंडर
- रोजमार्टा और एमटेक इनोवेशन करती हैं स्मार्ट कार्ड सप्लाई
- 38.50 रुपए है स्मार्ट कार्ड की सप्लाई की कीमत
- प्रति जिला 11 से 14 रुपए है प्रिंटिंग कॉस्ट
- GST और इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट को मिलाकर औसतन 55 रुपए कंपनी की लागत
- परिवहन विभाग को प्रति कार्ड होती 145 रुपए आय 
- हर साल 30 लाख कार्ड बनते प्रदेशभर में
- इस तरह परिवहन विभाग को सालाना 43.50 करोड़ की होती आय
- CM अशोक गहलोत ने आमजन से 200 रुपए शुल्क नहीं लेने को कहा
- ई-लाइसेंस और ई-आरसी जारी करने के हैं निर्देश

स्मार्ट कार्ड की सप्लाई और प्रिंटिंग नहीं

परिवहन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो स्मार्ट कार्ड सप्लाई करने वाली कंपनियों की आय का मुख्य स्रोत केवल स्मार्ट कार्ड की सप्लाई और प्रिंटिंग नहीं है, बल्कि इसके अलावा स्मार्ट कार्ड जल्दी प्रिंट कर देने के नाम पर आमजन से दलालों के मार्फत अतिरिक्त पैसे ले जाते हैं. इस खेल में परिवहन विभाग के कार्मिक और निजी कंपनी के प्रतिनिधि दोनों शामिल होते हैं.

 यदि विभाग ई-लाइसेंस और ई-आरसी सिस्टम को पूरी तरह लागू करता है,तो इससे आमजन को 200 रुपए देने से राहत मिल सकेगी,वहीं वैकल्पिक तौर पर जो लोग स्मार्ट कार्ड रखना चाहेंगे,वे अतिरिक्त शुल्क चुकाकर ले सकेंगे. इस नई व्यवस्था को लागू करने को लेकर परिवहन मुख्यालय में अभी मंथन का दौर जारी है. देखना होगा कि विभाग इस बजट घोषणा को कब तक लागू कर सकेगा ?

रिपोर्टर- काशीराम चौधरी

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