सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से सटे जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में तीन दिन से टाइगर (बाघ) का मूवमेंट मिला है. इसको लेकर वन विभाग की टीम लगातार सर्च अभियान चला रही है.
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Jamwa Ramgarh: सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र से सटे जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में तीन दिन से टाइगर (बाघ) का मूवमेंट मिला है. इसको लेकर वन विभाग की टीम लगातार सर्च अभियान चला रही है. जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में 32 साल बाद बाघ के मूवमेंट से ग्रामीणों में दहशत है. सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र के बफर जोन की अजबगढ़ रेंज के डगोता वन नाका क्षेत्र से गायब चल रहे टाइगर एसटी-24 बताया जा रहा है.
जमवारामगढ के रेंजर प्रेमप्रकाश मीना ने बताया कि टाइगर एसटी-24 ने बुधवार सुबह 11 बजे सांऊ गांव में रामनाथ पटेल की ढाणी के पीछे जंगल में बडे जंगली जानवर के भैंस पाडी का शिकार किया था. पगमार्क पहचानने वाले ग्रामीणों ने वनकर्मियों को सूचना दी. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंची और देखा तो टायगर के पगमार्क मिले.
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सूचना पर सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्र अलवर से टाइगर मॉनिटरिंग टीम भी मौके पर पहुंची और टाइगर के पगमार्क की पुष्टी की. रेंजर प्रेमशंकर मीना ने बताया कि टाइगर एसटी- 24 के डोडा डूंगर से पापड की ओर मूवमेंट के पगमार्क मिले है. दो टीमें टाइगर की ट्रेकिंग कर मूवमेंट पर नजर रख रही है. जमवारामगढ़ रेंजर ने बताया कि जमवारामगढ़ में अंतिम बार 1990 में यानी 32 वर्ष बाद जंगल में टाइगर देखा गया है.
टेरीटरी बनाने का करते है प्रयास
एसटी-24 टाइगर की उम्र ढाई वर्ष है. टाइगर अमूमन जंगल में खुद के वर्चस्व वाला इलाका यानी टेरेटरी बनाते है. व्यस्क होते ही टाइगर टेरेटरी बनाना प्रारंभ कर देते है. वन अधिकारियों ने बताया कि संभवतया टाइगर एसटी-24 ने टेरेटरी बढ़ाने के चलते जंगल से भटक गया. टाइगर जिस रास्ते से आता है, उसी से वापस लौट जाता है.
Reporter: Amit Yadav
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