वो 10 बातें जो बर्बाद कर सकती हैं, आपके बच्चे की जिंदगी, भूल कर भी ना करें ऐसा
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वो 10 बातें जो बर्बाद कर सकती हैं, आपके बच्चे की जिंदगी, भूल कर भी ना करें ऐसा

Bad Parenting : अमिर खान की "तारे जमीन पर" मूवी आप सभी ने देखी होगी और लगभग सभी ने खुद को दर्शील सफारी या फिर उसके बड़े भाई के रोल में महसूस किया होगा. मूवी देखते वक्त आपके भी आंसू निकले होंगे. आपको लगा होगा कि ये फिल्म आपके बचपन की कहानी है. 

वो 10 बातें जो बर्बाद कर सकती हैं, आपके बच्चे की जिंदगी, भूल कर भी ना करें ऐसा

Bad Parenting : अमिर खान की "तारे जमीन पर" फिल्म में दिखाया गया, हर किरदार आपको आपके बचपन के किसी ना किसी किरदार की याद दिला रहा होगा. पूरा दोष आपने अपने पैरेंट्स पर डाल दिया होगा. लेकिन क्या अब, जब आप खुद एक मां या बाप के किरदार को अपनी जिदंगी में निभा रहे है. तो उन गलतियों को दोहरा रहे हैं जो आपने मूवी में देखी थी. 

इसमें कोई दोराय नहीं कि बच्चों का पालन पोषण कितना मुश्किल होता है, ये सिर्फ मां-बाप ही समझ सकते हैं. कई बार बच्चों से बात करते वक्त आप कुछ ऐसा बोल देते हैं. जो बच्चों के छोटे से मन को प्रभावित कर देता है और इसका उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है.

बच्चों को अनुशासन सिखाते वक्त और उन्हें सही रास्ते पर लाने के दौरान भी हम बच्चों के सामने कठोर शब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं. ऐसे में आपको इन बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के सामने क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है 

बच्चों की तुलना करना
मां-बाप अक्सर खुद से बच्चे की तुलना करने लगते हैं. कि जब आप उनकी उम्र के थे तो क्या क्या करते थे या क्या नहीं करते थे. ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं है. हर बच्चा अलग होता है. उसकी अपनी काबलियत होती है. आपकी तुलना करने की आदत उसको चिड़चिड़ा बना सकती है और उसके आत्मविश्वास को कम कर सकती है. ऐसे बचे नकारात्मक हो जाते हैं.

एक गलती बार बार करना
आपका बच्चा अभी सीखने की उम्र में है. हर कोई गलती करता है तो वो तो अभी बच्चा ही है. गलतियां दोबराना बुरा नहीं है. ऐसा करने पर बच्चा अनुभव ले रहा है और ये अनुभव उसको बात में काम आएंगे. आप प्यार से उसे समझाएं. 

मुझे अकेला छोड़ दो
जब आप दिन भर की भागदौड़ से थक जाते हैं और कुछ वक्त अकेला रहना चाहते हैं. ऐसे में अपनी दिन भर की थकान को बच्चे पर गुस्सा करके नहीं निकाले. आप ध्यान से देखेंगे तो आप अपने बच्चे में ही खुशी और सुकून महसूस करेंगे. आप उससे बात करें और दिन भर क्या किया पूछे. धीरे धीरे वो भी समझने लगेगा कि आप थके हैं. आप अगर तनाव में रहेंगे तो आपका बच्चा भी तनाव महसूस करेगा. 

शर्म आनी चाहिए 
किसी भी बच्चे को कहा जाने वाला ये वाक्य सबसे बुरा है. कभी कभी बच्चे किसी की नहीं सुनते. ऐसे में कुछ देर उनको अकेला छोड़ दें कुछ ना कहें. अपने बच्चे के साथ कभी भी इन शब्दों को प्रयोग नहीं करें. याद रखें आपके बच्चे वही करेंगे जो आप से सीखेंगे. 

तुम बिल्कुल मां/ बाप की तरह हो
कई बार पति-पत्नी के बीच रिश्ते कड़वाहट से भरे होते हैं. जिनका असर बच्चे की परवरिश पर पड़ता है. कुछ केस में मां-बाप को अलग होना पड़ता है. इस पूरे सफर में आप दोनों की कड़वाहट के बच्चे गवाह होते हैं .अगर आप अपने पार्टनर का गुस्सा अपने बच्चे पर ये कहकर निकालेंगे कि वो बिल्कुल अपनी मां या अपने पिता की तरह है तो बच्चे आपकी भी बिल्कुल इज्जत नहीं करेंगे.

हमेशा परेशान करते हो
कभी कभी अनजाने में और कभी कभी जान बूझकर बच्चे ऐसा कुछ करते हैं जो आपको अच्छा नहीं लगेगा. ऐसे में विवेक का इस्तेमाल करें ना ही चिल्लाएं. आपका बार बार बच्चों पर चिल्लाना उन्हे आदतन ऐसा करने पर मजबूर कर देगा. किसी बात के लिए रोकने के लिए लॉजिकल या फिर अपने अनुभव के साथ बात को समझाया सकता है. यकीन मानें प्यार में बहुत ताकत होती है.

ऐसा बच्चा होने से अच्छा बच्चा ही ना हो
जब आप भयानक तनाव से गुजर रहें हो तो ऐसी बात बच्चों से बोल देते हैं. जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इसलिए ऐसा कभी कुछ ना कहें कि बात में अपने बात पर पछतावा हो. बच्चों से बात करते वक्त हमेशा ध्यान रखें. 

बच्चों के सामने बुराई ना करें
अपने बच्चों के साथ कभी भी किसी की बुराई नहीं करें, कई बार पेरेन्ट्स गुस्से में बच्चों के सामने दूसरों की बुराई कर देते हैं. खासतौर पर अपने पार्टनर या परिवार के किसी सदस्य की बुराई, जो की बिल्कुल गलत है. ऐसे करने पर बच्चों का उस परिवार के सदस्य या शख्स के लेकर नजरिया बदल जाएगा.
 
घर की आर्थिक स्थिति और बीमारियों के बारे में बात ना करें
बच्चों का मन बहुत कोमल होता है. कुछ भी बुरा सुनना या देखना उसके मन पर छाप छोड़ और पूरी जिंदगी रहती है. इसलिए घर के बुरे हालात के बारे में उनसे चर्चा ना करें. अपने आस पास की परिस्थितियां बच्चे खुद समझ जाते हैं आपको बोलने की जरूरत नहीं है.

लड़के-लड़की में भेदभाव
लड़कियों को कम बोलना चाहिए, लड़कों को रोना नहीं चाहिए. ये सोच पुरानी हो चुकी है. अगर आज भी आप ऐसी सोच रखते हैं तो इसका बुरा असर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है. अपने भावनाएं जाहिर नहीं कर पाने से बड़ी सजा नहीं हो सकती. ऐसे बच्चे घर से बाहर अपने ढूंढने लगते हैं और गलत संगति पर फंसकर अपनी जिंदगी में गलत फैसले ले सकते हैं. 

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