हनुमानगढ़ में लगातार बढ़ता नशा समाज के लिए एक बड़ी चिंता, सामाजिक जागरूकता की जरूरत
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हनुमानगढ़ में लगातार बढ़ता नशा समाज के लिए एक बड़ी चिंता, सामाजिक जागरूकता की जरूरत

हनुमानगढ़ में लगातार बढ़ता नशा समाज के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बना हुआ है. बढ़ते अपराधों में भी नशा एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है. शहर से निकल कर अब नशे ने ग्रामीण इलाकों में भी जड़ें मजबूत कर ली है. नशे का फैशन से शुरू होकर लत बनने तक का सफर युवाओं में तेजी से तय हो रहा है.

पुलिस ने नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया

Hanumangargh: हनुमानगढ़ में लगातार बढ़ता नशा समाज के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बना हुआ है. बढ़ते अपराधों में भी नशा एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है. शहर से निकल कर अब नशे ने ग्रामीण इलाकों में भी जड़ें मजबूत कर ली है. नशे का फैशन से शुरू होकर लत बनने तक का सफर युवाओं में तेजी से तय हो रहा है. नशा चाहे हेरोइन का हो चाहे मेडिकल गोलियों का, नशे की लत की चपेट में आ रहे सबसे अधिक 20 साल से कम के युवा हैं. शौक और फैशन के तौर पर शुरु करने के बाद नशा अपना रंग दिखाना शुरू करता है. बाद में ये ही शौक लत या बुरी आदत बनकर उभरता है. जो उनकी मौत का कारण बनता जा रहा है. जिस की आपूर्ति ना होने पर युवा फिर अपराध की ओर बढ़ जाता है. कई युवा इसी नशे की ओवरडोज और दुष्प्रभावों से अपना जान तक गंवा चुके हैं.  समाज में बढ़ रहे अपराधों के बीच नशा भी एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है. 

पुलिस ने पिछले पांच महीने में एसपी डॉ अजय सिंह राठौड़ के नेतृत्व में नशे के खिलाफ बड़ी संख्या में कार्रवाइयां हुई है. पुलिस की अगर नशे के खिलाफ की गई मई महीने तक की कार्रवाई का पिछले दो साल का तुलनात्मक विश्लेषण देखें तो
2021 के पहले पांच महीने की 96 कार्रवाई में अफीम 9.100 किलो, गांजा 7.970 किलो, डोडा पोस्त 1555.650 किलो, हिरोईन (चिट्टा) और स्मैक 284 ग्राम, नशीली गोलियां 376795 के साथ ही 25 वाहन और 558000 नगद जब्त किए थे. 

तो वहीं 2022 के पहले पांच महीनों में नशे के खिलाफ 169 कार्रवाई में अफीम 18.590 किलो और 1610 पौधे वजन 78.800 किग्रा , गांजा 26.145 किलो, डोडा पोस्त 1435.850 किलो, हिरोईन (चिटा) और स्मैक 2.057 किलो, नशीली गोलियां 208502 के साथ-साथ 64 वाहन और लगभग 25.50 लाख रूपये नगद भी जब्त किए हैं. हनुमानगढ़ एसपी डॉ अजय सिंह ने बताया कि हनुमानगढ़ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. पुलिस नशे को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. पुलिस ने नशे पर पिछले 5 महीने में गत सालों से डेढ़ से दो गुना अधिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया. 

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पुलिस नशे को रोकने के लिए दो अलग-अलग तरीके से काम कर रही है. पहला नशे के खिलाफ ऑपरेशन प्रहार के तहत नशे की धरपकड़ मुकदमा गिरफ्तारियां की जा रही है, तो वही ऑपरेशन संजीवनी के तहत पुलिस पब्लिक पंचायत के माध्यम से लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने की मुहिम भी चला रखी है. एसपी डॉ अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि पुलिस नशे के खिलाफ लगातार मुहिम चलाए हुए है, लेकिन नशे को खत्म करने का स्थाई समाधान समाज को साथ में लिए बिना संभव नहीं लगता. इसी को लेकर ऑपरेशन संजीवनी के तहत पुलिस ने पुलिस पब्लिक पंचायत कार्यक्रम शुरू कर रखा है.

जिसके तहत पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में ग्राम पंचायत स्तर पर संवाद कर आमजन को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक कर लोगों में यह विश्वास पैदा किया जा रहा है कि आमजन अगर पुलिस का सहयोग करें तो नशे और अन्य अपराधों पर स्थाई रोक भी लगाई जा सकती है. एसपी अजय सिंह ने बताया कि समाज में नशा खत्म करने के लिए जरूरी है की यह एक सामाजिक अभियान बने जिससे की लोगों में जागरुकता आएगी. नशा जिस तरह से युवा पीढ़ी को नुकसान पहुंचाने के साथ-ही अपराधों में भी बड़ा कारण बन कर उभर रहा है, वो बड़ी चिंता का विषय है. 

वहीं मनोरोग विशेषज्ञ डॉ ओपी सोलंकी का कहना है कि पिछले दो-तीन सालों में इलाके में चिट्ट के नशे का प्रभाव युवा पीढ़ी में ज्यादा देखा गया है. डॉ सोलंकी ने बताया कि ज्यादातर गरीब और दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले युवा नशे की चपेट में आ रहे है. 15 से 20 साल के युवा सबसे ज्यादा चिट्टे और अन्य नशो के चपेट में आ रहे है. चिट्टे के नशे से युवा न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी बीमार हो रहे है. जो कि एक बड़ी सामाजिक चिंता भी है. डॉ सोलंकी ने बताया कि युवा पहले शौक-शौक में चिट्ठे का नशा करना सीख लेते हैं, लेकिन बाद में ये लत की जरूरत पूरी न होने पर युवा अपराध का सहारा लेने से भी गुरेज नहीं करते.  जिसके चलते अपराध भी बढ़ रहे हैं. पुलिस लगातार कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन जब तक नशे के खिलाफ एक सामाजिक आंदोलन खड़ा नहीं होगा तब तक स्थाई समाधान मुश्किल नजर आता है. 

समाज में अपनी जड़ें गहरी कर चुका नशा अब अपराध का बड़ा कारण बन कर उभर रहा है. इसे सिर्फ पुलिस की कार्रवाइयों के भरोसे रोक पाना किसी भी समाज के लिए बेहद मुश्किल है. नशे पर स्थाई रोक के लिए जरूरी है कि नशे के खिलाफ एक सामाजिक अभियान खड़ा हो. हर घर तक ये बात पहुंचे कि नशा किस तरह समाज को खोखला और अपराधों को बढ़ावा दे रहा है. समाज का अगर एक बड़ा हिस्सा अगर नशे को खत्म करने के लिए कमर कस ले तो आने वाले समय में युवा पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य दिया जा सकता है. 

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