दक्षिण राजस्थान में बच्चों को शिक्षा से जोड़ा, पेड़ ने नीचे बैठ के पढ़ाया,अब मिलेगा पद्मश्री
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दक्षिण राजस्थान में बच्चों को शिक्षा से जोड़ा, पेड़ ने नीचे बैठ के पढ़ाया,अब मिलेगा पद्मश्री

Moolchand Lodha : मूलचंद लोढ़ा ने बताया कि पहाड़ों के बीच एक महूए के पेड़ के नीचे बैठकर बच्चो को पढ़ाना शुरू किया. 

दक्षिण राजस्थान में बच्चों को शिक्षा से जोड़ा, पेड़ ने नीचे बैठ के पढ़ाया,अब मिलेगा पद्मश्री

Moolchand Lodha : डूंगरपुर आदिवासी इलाके में स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा के काम करने वाले मूलचंद लोढ़ा को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. आरएसएस के प्रचारक से पद्मश्री के सम्मान के बीच उन्होंने सेवा से जुड़े अनेक ऐसे काम किए जिससे लोगों को आंखो की रोशनी मिली तो वही गरीब आदिवासी इलाके के बच्चे शिक्षा से जुड़ पाए. इस सफर के बीच कई तरह के विरोध ओर परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उनकी सादगी और सेवा की वजह से तमाम मुश्किलों को दूर करते हुए लोगों के बीच जुड़े रहे.

पद्मश्री सम्मान हासिल करने वाले मूलचंद लोढ़ा ने बताया की सबसे पहले के आरएसएस के स्वयंसेवक है. उन्होंने बताया कि 1968 में वे आदिवासी इलाके में प्रचारक बनकर आए. 1982 तक डूंगरपुर में प्रचारक रहते सेवा के काम किए. इसके पाली और राजस्थान के किया इलाको में गए, लेकिन तब उन्हे समझ में आया की वास्तव में डूंगरपुर जिला पिछड़ा हुआ है. उन लोगों के बीच रहकर सेवा कार्यों की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने शिक्षा और चिकित्सा सेवा का रास्ता चुना. 23 सालो में अब तक 350 से ज्यादा आई कैंप लगाए और 17 हजार से ज्यादा लोगो के आंखों के ऑपरेशन कर उन्हे रोशनी देने का काम किया.

मझोला गांव में 5 बच्चो से छात्रावास किया शुरू किया मूलचंद लोढ़ा ने बताया कि 6 जून 2000 को सबसे पहले मझोला गांव में जनजागरण जन सेवा मंडल का गठन किया. इसके बाद  5 बच्चो से छात्रावास की शुरुआत की. उन बच्चो को पढ़ाना और खाने पीने का इंतजाम किया. इसके बाद सेवा कार्यों के लिए सरकार ओर प्रशासन से जमीन मांगी. मझोला में 300 बीघा जमीन बिलानाम थे. लेकिन लोग उस पर कब्जा कर बैठे हुए थे. लोगों को लगा की ये लोग जमीन हड़प लेंगे. इस वजह से विरोध किया तो पाल मांडव, माथुगामडा इन गांवों में भी जमीन देखी. आखिर में वागदारी में 12 बीघा जमीन मिली और फिर यही से सेवा के काम जारी रखे. उन्होंने बताया कि वागदरी में जो जमीन मिली वो भी दो सरपंचों के बीच की लड़ाई का हिस्सा थी. पहाड़ों के बीच एक महूए के पेड़ के नीचे बैठकर बच्चो को पढ़ाना शुरू किया. इसके बाद तत्कालीन राज्यपाल अंशुमान सिंह, मंत्री रहते गुलाबचंद कटारिया, तत्कालीन कलेक्टर अखिल अरोड़ा ने सहयोग किया. सामुदायिक हॉल बनाया. आज इसी जमीन पर अस्पताल, स्कूल, छात्रावास, मंदिर, भोजनशाला समेत कई भवन बने हुए है.

इमरजेंसी के समय पीएम मोदी के साथ भी काम किया
मूलचंद लोढ़ा ने बताया की वे जब आरएसएस के प्रचारक थे. उस समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रचारक हुआ करते थे. वे अहमदाबाद महानगर के प्रचारक थे. इमरजेंसी में चिंगारी पत्रिका निकलती थी. जिसे अहमदाबाद में प्रिंट करवाने के बाद छुपते छुपाते यहा लाकर बांटते थे.

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