Dungarpur : राजस्थान के डूंगरपुर के बिछीवाड़ा के छापी गांव में भाईदूज पर हर साल गाय दौड़ मेला लगता है. गाय दौड़ में कई तरह की 200 गायों ने दौड़ लगाई. गायों के साथ उनके मालिक भी गायों को हांकते हुए दौड़े. इस दौड़ में सफेद रंग की गाय जीती.
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Dungarpur : राजस्थान के डूंगरपुर के बिछीवाड़ा के छापी गांव में भाईदूज पर हर साल गाय दौड़ मेला लगता है. गाय दौड़ में कई तरह की 200 गायों ने दौड़ लगाई. गायों के साथ उनके मालिक भी गायों को हांकते हुए दौड़े. इस दौड़ में सफेद रंग की गाय जीती.
गांव में ये परंपरा 100 सालों से चल रही है. स्थानीय मान्यता है कि गाय मेले के बाद पूरा साल अच्छा रहता है. इस दौड़ में भाग लेने वाली गायों को मोर पंखों से सजाया जाता है. छापी के आसपास के चंद्रवासा, बिछीवाड़ा, गूंदीकुआ, धामोदा, गेंहुवाड़ा समेत कई गांव के लोग मेले में शामिल होते हैं.
अलग अलग गांव से छापी पहुंची गायों को एक मैदान में खड़ा किया जाता है. इस बार 200 गायों ने दौड़ लगाई थी. इसके बाद गायों को हांकने और हूटिंग करने के साथ ही गायों को दौड़ाया जाता है. जो गाय जीतती है उसके रंग के आधार पर अगले साल कैसी बारिश होगी इसका अनुमान लगाया जाता है.
जैसे इस बार 200 गायों में जीत सफेद गाय की हुई है. इसलिए माना जाएगा कि अगला साल अच्छा रहेगा और अच्छी बारिश से फसल की अच्छी पैदावार होगी. दौड़ लगवाने से पहले सभी गांव के लोग पारंपरिक रूप से भगवान शिव के मंदिर में पूजा अर्चना करने जाते हैं.
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