डूंगरपुर जिले की झोथरी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पाडली गुजरेश्वर में अब पीएम आवास योजना में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. इस फर्जीवाड़े में खुद योजना के लाभार्थी भी शामिल है.
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Chaurasi: डूंगरपुर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला डूंगरपुर जिले की झोथरी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पाडली गुजरेश्वर का है, जहां पर पीएम आवास योजना में कई कार्य सालों से अधूरे पड़े हैं और शुरू भी नहीं हुए हैं लेकिन अन्य लोगों के पूर्ण आवासों के फोटो अपलोड कर आवासों की किश्तें ग्राम पंचायत के सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से उठा ली गई हैं. वहीं, भुगतान लाभार्थी के खाते में आने से लाभार्थी भी मुंह नहीं खोल रहे हैं.
डूंगरपुर जिले की झोथरी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पाडली गुजरेश्वर में अब पीएम आवास योजना में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. इस फर्जीवाड़े में खुद योजना के लाभार्थी भी शामिल है. दरअसल ग्राम पंचायत पाडली गुजरेश्वर निवासी जितेंद्र कुमार ने शिकायत की है, जिसमें बताया गया है कि पाडली गुजरेश्वर पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना में कई आवासों के कार्य सालों से अपूर्ण है और कुछ आवासों के कार्य तो शुरू तक नहीं हुए लेकिन उन आवासों का आधा या फिर पूरा भुगतान ग्राम पंचायत के सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से उठा लिया गया है. इधर भुगतान लाभार्थी के खाते में आने से लाभार्थी भी मुंह नहीं खोल रहे हैं और आज भी उन्हीं टूटे-फूटे कच्चे घरो में बसर करते हैं. पंचायत के सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी ने लाभार्थियों से मिलकर गांव में बने कुछ पक्के मकानों के फोटो इसी गांव के प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों के पूरे बने मकानों के रूप में वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए हैं.
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वहीं, उसका भुगतान उठा लिया. ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आए हैं और इन फर्जी वालों की पुष्टि भी मौके के असल हालात करते नजर आ रहे हैं. वहीं, पक्के मकानों के शौचालय के फोटो भी सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करते हुए कई लोगो को लाभ दिलाया गया है.
फर्जीवाड़े के ये हैं मामले
केस-1
पाडली गुजरेश्वर पंचायत के गड़ारोड़ा गांव में लक्ष्मी गमेती (कोड: RJ 2735133) के नाम से वर्ष 2020 में पीएम आवास स्वीकृत हुआ था. लेकिन लक्ष्मी गमेती ने आवास का कार्य शुरू ही नहीं किया लेकिन पंचायत के सरपंच लीलाराम गमेती और ग्राम विकास अधिकारी देवीलाल रोत ने लाभार्थी लक्ष्मी से मिलीभगत कर गांव के जितेन्द्र के पूर्ण मकान का फोटो वेबसाइट पर अपलोड करते हुए एक लाख 20 हजार की राशि उठा ली जबकि मौके पर लक्ष्मी का आवास बना ही नहीं है और आज भी मौके पर कच्चा घर मौजूद है.
केस-2
पाडली गुजरेश्वर पंचायत के गड़ारोड़ा गांव में राजकुमारी गमेती (कोड: 2760526) के नाम से वर्ष 2020 में पीएम आवास स्वीकृत हुआ था. लेकिन यहां भी सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी ने लाभार्थी से मिलकर किसी अन्य व्यक्ति के पूर्ण आवास का फोटो अपलोड करके एक लाख 20 हजार की राशि उठा ली. राजकुमारी के जिस झोपड़े का फोटो कार्यस्थल के लिए अपलोड किया गया था, वो झोपड़ा आज भी ऐसे ही भौतिक हालत में मौके पर खड़ा है और परिवार वहीं गुजर करता है. वहीं इसी घर के शौचालय निर्माण में भी अन्य लाभार्थी के मकान के शौचालय का फोटो अपलोड कर रकम उठा ली गई है.
केस-3
वहीं, पाडली गुजरेश्वर पंचायत के गड़ारोड़ा गांव में प्रवीण का निर्माणाधीन प्रवीण (कोड : 1017077 का पीएम आवास अब भी अधूरा और जर्जर है लेकिन यहां भी सरपंच लीलाराम गमेती और ग्राम विकास अधिकारी देवीलाल रोत ने लाभार्थी से मिलकर एक लाख 20 हजार की राशि खाते में जमा करवाकर उठा ली. ये तीन केस पूरे गांव में चल रहे फर्जीवाड़े की बानगी मात्र है और ठीक से जांच की जाए तो हर स्वीकृति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है.
सामुदायिक भवन पर भी सरपंच का कब्जा
इधर पाडली गुजरेश्वर पंचायत की ओर से गड़ारोड़ा गांव में एक सामुदायिक भवन आमजन की सुविधाओं के लिए करीब 5 लाख रुपये में बनाया गया था लेकिन यह सामुदायिक भवन सरपंच लीलाराम के कब्जे में है. लीलाराम ने इस भवन में अपनी आटा चक्की लगा रखी है और इस भवन पर खुद सरपंच का ताला लगा हुआ है. ऐसे में सरपंच की दबंगई का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.
क्या कहना है जिला परिषद सीईओ का
इधर इस मामले में जब जिला परिषद सीईओ दीपेन्द्र सिंह राठौड़ से बात की गई तो उन्होंने कहा की मामले की शिकायत आई है. टीम का गठन करते हुए पीएम आवास योजना में हुई फर्जीवाड़े की जांच करवाई जायएगी. यदि फर्जीवाड़ा हुआ है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
बहरहाल ग्राम पंचायत पाडली गुजरेश्वर के सरपंच लीलाराम गमेती और ग्राम विकास अधिकारी की ओर से किए जा रहे भ्रष्टाचार डूंगरपुर जिले में हो रहे फर्जीवाड़े की बानगी मात्र है. अगर विभाग द्वारा पूरे मामले की जांच गंभीरता से करवाई जाती है तो और भी भ्रष्टाचार के मामले में पंचायत से निकल सकते है. खैर अब देखने वाली बात होगी कि मामले की जांच कब तो पूरी हो पाती है और दोषियों एक खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है?
Reporter- अखिलेश शर्मा
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