राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी शहर के 200 बेड के सामान्य अस्पताल में कई अव्यवस्थाएं हैं. अस्पताल के वार्ड बॉय रैफर और बीमार मरीज को एंबुलेंस में शिफ्ट करने तक नहीं जाते. स्थिति यह है कि खुद परिजन ही बीमार मरीज को लेकर जाते हैं और जब एंबुलेंस या वाहन उपलब्ध नहीं होती तो अस्पताल के गेट पर जमीन पर मरीज को लिटाकर ड्रिप चढ़ाते नजर आते हैं.
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Bari, Dholpur News: धौलपुर जिले के बाड़ी शहर के 200 बेड के सामान्य अस्पताल में अव्यवस्थाएं हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही. पिछले 3 महीने से तो स्थिति और बिगड़ती नजर आ रही है.
अस्पताल के पीएमओ द्वारा हालांकि काफी प्रयास किए गए हैं लेकिन लगातार जहां जेबकटी और बाइक चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं. वहीं अस्पताल के जच्चा एवं बच्चा वार्ड में संक्रमण को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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अस्पताल के वार्ड बॉय रैफर और बीमार मरीज को एंबुलेंस में शिफ्ट करने तक नहीं जाते. स्थिति यह है कि खुद परिजन ही बीमार मरीज को लेकर जाते हैं और जब एंबुलेंस या वाहन उपलब्ध नहीं होती तो अस्पताल के गेट पर जमीन पर मरीज को लिटाकर ड्रिप चढ़ाते नजर आते हैं. कुल मिलाकर पूरे आलम से अस्पताल के पीएमओ भी अवगत हैं लेकिन समस्या के समाधान का प्रयास नहीं किया जा रहा.
जच्चा वार्ड के हालात यह हैं कि प्रसूता को सोने तक के लिए बेड पर जगह नहीं रहती क्योंकि उसके परिजन और देखने आए रिश्तेदार या पुरुष उसी पलंग पर बैठे और सोते नजर आते हैं जबकि नियमानुसार जच्चा और बच्चा के पास पलंग पर किसी को नहीं बिठाया जाना चाहिए. जिसको लेकर स्टाफ भी तैनात है लेकिन स्टाफ किसी से कुछ नहीं कहता. पूरे दिन जच्चा वार्ड में यही आलम दिखाई देता है. ऐसे में यदि संक्रमण फैलता है या नवजात शिशु को कोई बीमारी होती है तो इसकी जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता.
सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता
अस्पताल में सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता बरती जाती है, विशेष साफ-सफाई के अभाव में वार्डों में गन्दगी, शौचालयों में सड़ान्ध मारती बदबू, फटेहाल गद्दे, चद्दर, यहां तक की भर्ती मरीजों को केन्यूला व दवाई लगाने वाले स्थान की दीवारों को देखकर ऐसा लगता है कि वर्षों से अस्पताल की सफाई नहीं हुई है, वहीं वार्डों में लाइट की फिटिंग में खुले हुये तारों, ऑक्सीजन की सप्लाई भी जगह-जगह से उखड़ी हुई डली हुई है, इससे ना केवल मरीजों को परेशानी होने की सम्भावना है बल्कि साफ, सफाई के बिना संक्रमण फैलने की सम्भावनायें भी बढ़ जाती है.
नहीं मिलते स्ट्रेचर
जिले के दूसरे बड़े अस्पताल में इमरजेंसी में आये ब्लड प्रेशर मरीजों को जहां बीपी स्टूमेंट तक नहीं है, वहीं, रोजमर्रा आने वाले दुर्घटनाग्रस्त मरीजो के लिए भी एक ही स्ट्रेचर है, जिसके कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे अन्य दुर्घनाग्रस्त मरीजों को स्ट्रेचर के लिए इंतजार करना पड़ता है, इसी इंतजार में कई दुर्घटनाओं के शिकार लोग गंभीर हालत से जूझते हैं.
यूं तो सामान्य चिकित्सालय 200 बेड का है, लेकिन चिकित्सालय में एक भी फिजिशियन नहीं है, यहां तक की सोनोलॉजिस्ट के अभाव में सोनोग्राफी मशीन भी धूल खा रही है, जिसके कारण क्षेत्र की सैकड़ों प्रसूताओं का प्रतिदिन धौलपुर जाकर पैसे और समय की बर्बादी होती है.
अधिकारियों द्वारा भी निरीक्षण और दौरे हुए
यूं तो समय-समय उच्चाधिकारियों द्वारा अस्पताल की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जाता है, लेकिन निरक्षण के बावजूद भी अस्पताल की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं होता तो यह निरीक्षण औपचारिक ही साबित होते है, इस अस्पताल में पिछले दिनों जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयंती लाल मीणा, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक केसी मीणा,यहां तक की जिला कलेक्टर अनिल कुमार अग्रवाल द्वारा निरीक्षण किया गया, जिसमे उन्होंने मौखिक रुप से अस्पताल प्रशासन को सुधार हेतु दिशा निर्देश भी दिये थे, लेकिन फिर भी कोई सुधार नहीं होने के चलते यह निर्देश औपचारिक ही साबित हुये. लोगों का कहना है कि औपचारिक इलाज के लिए चल रहे अस्पताल में जहां इलाज के नाम पर औपचारिकतायें निभाई जा रही हैं, वहीं उच्चाधिकारियों के निरीक्षण भी धरातल पर औपचारिकतायें ही साबित हो रही हैं.
क्या कहना है पीएमओ डॉ. हरीकिशन मंगल का
पूरे मामले को लेकर अस्पताल के पीएमओ डॉ. हरीकिशन मंगल का कहना है कि अस्पताल के जच्चा वार्ड में तैनात स्टाफ मरीज के साथ आये परिजनों से जच्चा और बच्चा के पास बैठने की मना करता है लेकिन कोई नहीं सुनता. ऐसे में अब जच्चा वार्ड के प्रभारी से और स्टाफ से बैठक कर मामले का समाधान का प्रयास किया जाएगा क्योंकि यह स्थिति ठीक नहीं है. वार्ड में भीड़ होने पर कई प्रकार के संक्रमण का खतरा रहता है.
Reporter- Bhanu Sharma
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