Dholpur News: चंबल नदी में घड़ियाल संरक्षण को नई दिशा, 32 घड़ियाल और एक मगरमच्छ को मिला नया घर
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Dholpur News: चंबल नदी में घड़ियाल संरक्षण को नई दिशा, 32 घड़ियाल और एक मगरमच्छ को मिला नया घर

Jaipur News: देवरी घड़ियाल केंद्र से 32 घड़ियाल और एक मगरमच्छ को चंबल नदी के सरसैनी घाट पर प्राकृतिक वातावरण में छोड़ा गया. 2022 बैच के 98 घड़ियालों में से अब तक 57 मुक्त किए गए हैं. चंबल अभ्यारण्य में घड़ियालों की संख्या बढ़कर 2512 हो गई, संरक्षण प्रयास जारी हैं.

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Rajasthan News: देवरी घडिय़ाल केन्द्र पर कृत्रिम वातावरण में संरक्षित हो रहे 32 घडिय़ाल को चम्बल नदी के प्रकृतिक वातावरण में मुक्त कर दिया है. नदी के सरसैनी घाट पर मुक्त किये गये घडिय़ाल में 30 नर तथा दो मादा शामिल हैं. इसके साथ ही वन विभाग द्वारा रेस्क्यू किये गये मगर को भी सरसैनी घाट पर ही चम्बल नदी में छोड़ा गया. इस वर्ष चम्बल नदी में 2022 बैच के 98 घडिय़ाल को मुक्त किया जाना था. इनमें से 13 जनवरी को 25 और आज 32 घडिय़ाल चम्बल में छोड़ दिये जाने के साथ ही राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य में विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ाल की संख्या लगभग 2512 से अधिक बताई जा रही है. इस वर्ष 98 घडिय़ाल को चम्बल नदी के विभिन्न घाटों पर विचरण के लिये छोड़ा जाना है. अभी कुछ समय के दौरान ही 41 और घडिय़ालों को चम्बल में मुक्त किया जायेगा. इससे चम्बल में घडिय़ाल की संख्या लगभग 2553 से अधिक होने की संभावना है.

आज दोपहर में देवरी घडिय़ाल अभ्यारण्य केन्द्र का दल 32 घडिय़ाल को लेकर चम्बल नदी के सरसैनी घाट पर पहुंचा. वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एवं अधीक्षक राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य देवरी रेंज श्यामसिंह चौहान के नेतृत्व में इन घडिय़ाल तथा रेस्क्यू किये गये मगर को नदी में स्वतंत्र विचरण के लिये मुक्त कर दिया गया. चम्बल नदी के विभिन्न घाट से लाये गये अण्डों से निकले इन घडिय़ाल शावकों का पालन वर्ष 2022 से किया जा रहा था. कृत्रिम वातावरण में घडिय़ाल की जीवन दर 50 प्रतिशत तथा प्राकृतिक वातावरण में लगभग 2 प्रतिशत मानी जाती है. विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ाल के संरक्षण व संवद्र्धन के लिये देवरी पर निर्मित घडिय़ाल केन्द्र में घडिय़ाल शावकों को तीन वर्ष अथवा इनकी लम्बाई 1 मीटर 20 सेन्टीमीटर होने के बाद चम्बल नदी में मुक्त किया जाता है. घडिय़ाल विमोचन से पूर्व उनकी पूंछ पर लगाये गये टैंग के माध्यम से लगभग एक वर्ष तक सतत निगरानी की जाती है. इस दौरान इनकी गतिविधियां, जीवन यापन, भोजन, आवास का अवलोकन किया जाता है. विदित हो कि 1975 से 1977 के मध्य दो वर्ष के दौरान विलुप्त प्राय: जलीय जीव की विश्व व्यापी खोज के साथ गणना की गई थी, जिसमें सम्पूर्ण विश्व में पाये गये लगभग 200 घडिय़ालों में से 46 चम्बल में पाये गये थे.

उस दौरान विलुप्त प्राय: जलीय जीव घडिय़ालों के संरक्षण व संवद्र्धन के लिये चम्बल नदी के 435 किलोमीटर के क्षेत्र को राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य घोषित कर रेत व मिट्टी के खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस क्षेत्र में मध्यप्रदेश, राजस्थान व उत्तरप्रदेश के क्षेत्र शामिल हैं. वहीं देवरी पर घडिय़ाल केन्द्र बनाया गया. वर्ष 1980 से वन विभाग द्वारा चम्बल नदी के विभिन्न घाटों से 200 अण्डे देवरी केन्द्र पर लाकर प्राकृतिक वातावरण में रखे जाते हैं. वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एवं अधीक्षक राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभ्यारण्य देवरी रेंज श्यामसिंह चौहान ने बताया कि शेष 41 घडियालों को विचरण के लिये छोड़े जाने का कार्यक्रम शीघ्र निर्धारित किया जायेगा.

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