Dausa: हर्षोल्लास से मनाई जा रही महाशिवरात्रि पर्व, मंदिरों में लगा भक्तों का तांता
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Dausa: हर्षोल्लास से मनाई जा रही महाशिवरात्रि पर्व, मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

राजस्थान के दौसा जिले में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. शिवालय ओम नमः शिवाय बम बम भोले और हर हर महादेव की गूंज से गुंजायमान हैं.

Dausa: हर्षोल्लास से मनाई जा रही महाशिवरात्रि पर्व, मंदिरों में लगा भक्तों का तांता

Dausa News: दौसा जिले में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. शिवालय ओम नमः शिवाय बम बम भोले और हर हर महादेव की गूंज से गुंजायमान हैं.

तड़के सवेरे से ही मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और उपवास का विशेष महत्व माना जाता है और शिवरात्रि पर शनि प्रदोष भी है. ऐसे में शिवरात्रि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. हर कोई शिव मंदिरों में पहुंचकर बाबा भोले को मनाने और रिझाने में लगा हुआ है.

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मान्यता है कि शिवरात्रि पर जो भी पूरे विधि विधान से बाबा भोले की पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूरी होती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

मान्यता है कि भगवान शिव भोले होते हैं और वह जल्दी प्रसन्न होते हैं, जिसके चलते उनके हृदय से करुणा निकलती है और भक्तों का उद्धार होता है. दौसा जिला मुख्यालय पर भी प्राचीन पंच महादेव के मंदिर स्थापित है इसीलिए दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है. सोमनाथ, गुप्तनाथ, सेहजनाथ, देवगिरी पर्वत की तलहटी में स्थित बैजनाथ और देवगिरी पर्वत पर साक्षात बाबा नीलकंठ महादेव विराजमान है, जिसके चलते दौसा शहर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है.

इन पांचों प्राचीन शिव मंदिरों में शिवलिंग का उद्गम अपने आप हुआ है. ऐसे में ये मूर्तियां स्वयंभू हैं, जिसके चलते इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. वैसे तो 12 महीने इन मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन महाशिवरात्रि पर्व पर यहां विशेष आयोजन होते हैं. वहीं, भक्तों की तादाद भी कई गुना बढ़ जाती है देवगिरी पर्वत पर विराजमान बाबा नीलकंठ महादेव के यहां तो दौसा शहर के ही नहीं बल्कि जिले के बाहर के लोग भी महाशिवरात्रि पर पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं.

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क्या कहना है बुजुर्गों का
दौसा शहर के बुजुर्गों की मानें तो पूर्व में कई साल पहले इन मंदिरों के जीर्णोद्धार के चलते खुदाई की गई थी लेकिन इन मंदिरों में स्थापित शिवलिंग का कोई और छोर नहीं आया. ऐसे में इन्हीं मूर्तियों को फिर से स्थापित कर दिया गया तब से इन पांचों प्राचीन शिव मंदिरों के प्रति लोगों की आस्था और अधिक बढ़ गई. यही वजह है कि यहां बड़ी तादाद में शिव भक्त पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं महाशिवरात्रि पर्व पर यहां मेले जैसा आयोजन रहता है.

वहीं श्रावण माह में भी यहां दूरदराज से शिव भक्त पहुंचकर बाबा भोले की पूजा अर्चना करते हैं. भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी यहां पुख्ता बंदोबस्त किए जाते हैं. इन पांचों प्राचीन शिव मंदिरों में भव्य साज-सज्जा की गई है.

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