फरिश्ता बन लोगों के काम आ रहे 'एंबुलेंस मैन', एक दो नहीं 12 सालों से कर रहा निस्वार्थ सेवा
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फरिश्ता बन लोगों के काम आ रहे 'एंबुलेंस मैन', एक दो नहीं 12 सालों से कर रहा निस्वार्थ सेवा

 जब इंसान अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर किसी दूसरे के लिए काम आए और उससे भी ज्यादा पूरा जीवन औरों के लिए न्यौछावर कर दे तो वह फरिश्ता ही कहलाता है. समाज में हमारे बीच बहुत सारे लोग होते हैं, जो दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझ उसे दूर करने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं.

फरिश्ता बन लोगों के काम आ रहे 'एंबुलेंस मैन', एक दो नहीं 12 सालों से कर रहा निस्वार्थ सेवा

चूरू: जब इंसान अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर किसी दूसरे के लिए काम आए और उससे भी ज्यादा पूरा जीवन औरों के लिए न्यौछावर कर दे तो वह फरिश्ता ही कहलाता है. समाज में हमारे बीच बहुत सारे लोग होते हैं, जो दूसरों के दुख-दर्द को अपना समझ उसे दूर करने के लिए पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं. चूरू जिले में एक ऐसा ही शख्स है जिसने पूरा जीवन दूसरों के लिए कुर्बान कर दिया है. द एंबुलेंस मैन के नाम से चर्चित यह शख्स 12 सालों से निस्वार्थ सेवा कर मानवता की मिसाल पेश कर रहा है.   

हम बात कर रहे हैं श्याम सुंदर स्वर्णकार की. जिन्होंने कोरोना काल में लोगों की निस्वार्थ सेवा की और आज भी दिन-रात जरूरतमंदों के लिए काम आ रहे हैं.पेशे से एक कंपनी में सेल्समैन श्याम सुंदर अपनी नौकरी के साथ ही मानवता के लिए अपना योगदान भी दे रहे हैं. 

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60 से अधिक शवों का किया अंतिम संस्कार

दरअसल, श्याम सुंदर के मन में सेवा करने का ख्याल उस वक्त आया जब 12 साल पहले वह ड्यूटी के लिए घर से निकले थे. उस दौरान एक दिन सड़क हादसे में घायल पंजाब निवासी परिवारजनों की मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचाया और उनकी जान बचाई, तब से श्याम सुंदर सोनी का सेवा निरंतर जारी है. आज क्षेत्र में कहीं भी हादसे की सूचना मिलते ही  श्याम सोनी वहां पहुंचकर अपने सहयोगी नवरत्न बिजारनिया की एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाते हैं और उनका इलाज के लिए जी जान लगा देते हैं. 

अगर कोरोना काल की बात करू तो श्यामसुंदर स्वर्णकार ने मानवता का असली चेहरा दिखाया. जब अपने अपनों से दूर जा रहे थे, कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार करवाने व किसी मरीज की की मदद करने वाला कोई नहीं होतो उसके साथ जयपुर तक जा कर उसका उपचार करवाकर उसकी जान बचाते रहें. इतना ही नहीं श्याम स्वर्णकार ने कोरोना काल में दो महीने अपने घर से दूर रहकर 60 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार भी करवाया.

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3000 हजार से ज्यादा सड़क हादसों में पहुंचकर की प्रशासन की मदद 

इसके अलावा सोनी अब तक 3000 से अधिक सड़क हादसों में पहुंचकर पुलिस - प्रशासन की मदद की है. सोनी की खास बात ये है कि वे अब तक 61 बार रक्तदान कर चुके हैं. किसी को भी रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए अरेंजमेंट भी करवाते हैं. सोनी 5 हजार से अधिक यूनिट विभिन्न कैंपों में युवाओं से रक्तदान करवा चुके हैं. इन सब कार्यों के लिए सोनी को जिला प्रशासन से लेकर कई बार राष्ट्रीय स्तर तक के सम्मान मिल चुके हैं. सोनी ने कहा कि वे ये सेवाएं निरंतर जारी रखेंगे व इस मानव जीवन को जीते हुए लोगों की अंतिम सांस तक मदद करेंगे..सोनी का कहना है कि अपने लिए तो सब जीते है..कभी दूसरों के लिए भी जी कर तो देखो..

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