लम्पी के खिलाफ चुरू में जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने जागरुकता अभियान का शुभारंभ किया.
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Churu: लम्पी रोगी से बचाव और नियंत्रण के लिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से पूरे राज्य में पैम्फलेट छपवाकर पशुपालकों को वितरण किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में जिला कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने सोमवार को जिला सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय चूरू की ओर से छपवाए गए पैम्फलेट बालाजी गौशाला के संचालक रविशंकर पुजारी को देकर जागरुकता अभियान का आरंभ किया.
इस दौरान जिला कलक्टर ने कहा कि लम्पी बीमारी से बचाव और नियंत्रण के लिए जन-जागरुकता बहुत महत्त्वपूर्ण है. हर पशुपालक को यह बात पता होनी चाहिए कि वो कौनसी बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर हम अपने मवेशियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इलाके के लोगों के लिए खेती और पशुपालन जीवन रेखा हैं. लिहाजा शासन-प्रशासन संकट की इस घड़ी में पूरी तरह पशुपालकों के साथ हैं. लेकिन पशुपालकों को खुद भी जागरूक होना होगा. क्योंकि अपने पशु के सर्वाधिक पास वो ही हैं और उनका सबसे बेहतर बचाव कर सकते हैं.
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि पशुपालक रोग के लक्षण दिखाई देते ही पास के पशु चिकित्सालय में सूचना दें. रोगी पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग बांध कर रखें और समय पर इलाज कराएं. रोग से बचाव और उपचार के लिए पारम्परिक, घरेलू उपचार भी किया जाना चाहिए. यह रोग कोरोना वायरस की तरह अपना रूप बदलकर नहीं फैलता है. यह रोग मच्छर-मक्खी, चींचडों आदि से फैलता है. लम्पी स्किन रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है.
पशु गृह, गौशालाओं को संक्रमण से मुक्त करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट के 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव किया जाना चाहिए. रोगी पशु को संतुलित पशु आहार, हरा पौष्टिक चारा खिलाएं. रोगी पशु के दूध को उबालकर काम में लिया जा सकता है. संक्रमित क्षेत्र में टीकाकरण नहीं करना चाहिए. रोग ग्रस्त इलाके में पशुओं का आना-जाना रोका जाना चाहिए. मौजूदा वक्त में रोग से बचाव के लिए गोट पॉक्स वैक्सीन को पशु चिकित्सा अधिकारियों के दिशा निर्देश अनुसार लगवाया जाए. संक्रमित पशु को गोट पॉक्स वैक्सीन नहीं लगाने की सलाह दी गई है. रोगी मृत पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण किया जाना आवश्यक है.
इस दौरान एडीएम लोकेश गौतम, सीईओ हरीराम चौहान, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक कुमार अजय, पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक डॉ. निरंजन चिरानिया, डॉ. मेवाराम, डॉ. वीएस राठौड़ आदि मौजूद रहे.
Reporter- Gopal Kanwar
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