सरसों की खेती से लहलहाया पूरा इलाका, किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान
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सरसों की खेती से लहलहाया पूरा इलाका, किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

  राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों में रबि के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में सरसों को प्रमुख फसल माना जाता है. जो इन दिनों क्षेत्र के खेतों में तैयार होकर खड़ी हुई है.सडक़ किनारे खेतों में सरसों में पीले फूल राहगीरों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

सरसों की खेती से लहलहाया पूरा इलाका, किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

 

चित्तौड़गढ़:  राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों में रबि के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में सरसों को प्रमुख फसल माना जाता है. जो इन दिनों क्षेत्र के खेतों में तैयार होकर खड़ी हुई है.सडक़ किनारे खेतों में सरसों में पीले फूल राहगीरों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं. राजस्थान और पंजाब सहित कई राज्यों में सरसों की साग सर्दियों में बढ़े शौक से खाई जाती है. हालांकि सरसों की अधिकांश फसल का उपयोग तेल बनाने के लिए किया जाता है.सरसों का तेल गर्म तासीर का होता है, जो साग-सब्जी बनाने के साथ ही विभिन्न प्रकार के अचार बनाने के काम लिया जाता है.

इस वर्ष सर्दी तेज होने के कारण सरसों की फसल अच्छी होने की उम्मीद है, क्योंकि तेज सर्दी से सरसों में लगने वाली बीमारियां और कीट लगने की आशंका कम है.विशेष रुप से सरसों को मोयला नामक कीट नुकसान पहुंचाता है.लेकिन तेज सर्दी के कारण इस वर्ष मोयला पनपने की कम सम्भावना है. इससे किसानों में उत्साह है.

राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत देते हुए सरसों की फसल का बीमा प्रीमियम पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी 1003 रुपये प्रति हेक्टर रखा है.इसके साथ ही सरसों की फसल में नुकसान होने पर प्रति हेक्टर 66926 रुपये की राशि मुआवजे के रूप में तय की है.

Reporter- Deepak vyas

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