Chittorgarh latest news: राजस्थान के में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लगातार बेहतर प्रयासरत किए जा रहे है. तो वहीं सूबे के कुछ बड़े अस्पतालों में जिम्मेदार अधिकारी मुख्यमंत्री की आमजन को बेहतर इलाज दिलवाने की मंशा को पलीता लगाने में कोई कसर नही छोड़ रहे.
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Chittorgarh news: राजस्थान के में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लगातार बेहतर प्रयासरत किए जा रहे है, प्रदेश में राइट टू हेल्थ और चिरंजीवी योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. तो वहीं सूबे के कुछ बड़े अस्पतालों में जिम्मेदार अधिकारी मुख्यमंत्री की आमजन को बेहतर इलाज दिलवाने की मंशा को पलीता लगाने में कोई कसर नही छोड़ रहे. चित्तौड़गढ़ जिले से सबसे बड़े सांवलिया जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम मरीजों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भारी पड़ता नजर आ रहा हैं. ऐसा ही एक मामला शनिवार को चित्तौड़गढ़ के सांवलियाजी जिला अस्पताल में देखने को मिला.
जिसमें अस्पताल में इलाज करवाने आया एक दिव्यांग मरीज़ बिना व्हील चेयर और स्ट्रैचर के जमीन पर घसीट घसीट कर जख्मी हो गया खानाबदोश जीवन जी रहे मरीज मुख्तार सिंह ने बताया कि उसकी एक आंख खराब हो गई, जिसे डॉक्टर को दिखाने आया था. दिव्यांग होने के बावजूद किसी ने उसकी सुध नहीं ली. उसे अस्पताल में किसी नर्सिंग स्टॉफ ने ना तो व्हील चेयर मुहैया करवाई और ना स्ट्रेचर दिया गया. ऐसे में मरीज के जमीन पर घसीट कर चलने से उसका घुटने के पास से पहले से कटा पैर बुरी तरह जख्मी हो गया. मरीज का कहना था कि आंख खराब होने की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती कर इलाज करवाना था.
लेकिन खाना बदोश जीवन होने के कारण उसके पास पहचान संबंधित किसी प्रकार का दस्तावेज नहीं थे. इस वजह से उसे अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. इसी तरह का एक और मामला जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ यानी ऑर्थोपेडिक के कक्ष के बाहर देखने को मिला. यहां हाथ पैर में फ्रैक्चर जैसी दर्द भरी तकलीफ के बावजूद कई मरीज़ जिनमें बच्चे, महिलाएं, बूढ़े शामिल थे, डॉक्टर को दिखाने के लिए कतार में खड़े होकर अपने नंबर का इंतजार करते दिखे. गौर करने की बात तो ये थी कि छोटी मोटी सामान्य समस्याओं वाले मरीजों और गंभीर मामलों में इमरजेंसी में डॉक्टर से जांच करवाने वाले मरीजो को एक ही कतार में खड़ा किया गया.
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इस वजह से मरीजों के साथ तीमारदार भी अपनी बारी के इंतजार में परेशान होते दिखे. बताया जाता है कि जिले भर की तहसील क्षेत्र से हादसों और दुर्घटनाओं में फ्रेक्चर के मामलो में रोजाना सैकड़ों जरूरतमंद मरीज सांवलियाजी जिला असपताल में इलाज करवाने आते हैं. जिला मुख्यालय का बड़ा असपताल होने के बाद भी यहां कई बीमारियों से जुड़े रोग विशेषज्ञो की कमी के चलते मरीजों को निजी अस्पतालों में दिखाना पड़ता है. तो दूसरी ओर फ्रेक्चर जैसी तकलीफदेह स्थिति में डॉक्टर को दिखाने के इंतजार में इस तरह के मरीजों का घंटो कतार में खड़े रहना और भी ज्यादा कष्टदायक हो जाता है. बावजूद इसके अस्पताल के जिम्मेदारों को मरीजों की तकलीफ से कोई सरोकार नजर नहीं आता.