Chittorgarh News: मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश अरुण जैन ने अपने एक महत्वपूर्ण क्लेम प्रार्थना पत्र में प्रार्थी गणों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने का आदेश पारित किया.
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Chittorgarh News: मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश अरुण जैन ने अपने एक महत्वपूर्ण क्लेम प्रार्थना पत्र में प्रार्थी गणों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने का आदेश पारित किया. मामले के अनुसार प्रार्थीया मंजूलता और प्रार्थीया आराधना ने अधिवक्ता योगेश व्यास के जरिए क्लेम प्रार्थना पत्र माननीय अधिकरण के समक्ष पेश कर बताया कि दिनांक 13 जुलाई 2016 को घायल प्रार्थीया आराधना और उसके साथ मंजूलता और आराधना का पुत्र सानिध्य एवं मंजूलता के पति घनश्याम शर्मा रात्रि को 10 बजे के लगभग अपनी कार नंबर आरजे 14 सीयू 9175 में सवार होकर आकोला से भीलवाड़ा आ रहे थे.
13 जुलाई 2016 की घटना
समेलिया फाटक के पास आगे चल रहे ट्रक के ड्राइवर ने अपने वाहन को तेज गति और लापरवाही पूर्वक चलाकर रोड पर खींचकर ब्रेक लगा दिए जिससे पीछे से जा रही अल्टो कार जिसे उसका चालक घनश्याम शर्मा चला रहा था दुर्घटनाग्रस्त हो गई. जिससे इस गंभीर दुर्घटना में प्रार्थीया मंजूलता के पति घनश्याम शर्मा और आराधना के पुत्र सानिध्य शर्मा की मृत्यु हो गई. प्रार्थीया आराधना और मंजूलता दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए. जिस पर मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण चित्तौड़गढ़ में मृतक के वारिसान और घायलों के द्वारा क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने बाबत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए.
क्लेम प्रार्थना पत्र में बताया कि दुर्घटना में मृत्यु हो गई
अपने क्लेम प्रार्थना पत्र में मंजूलता ने बताया कि वक्त दुर्घटना उनके पति घनश्याम शर्मा जिनकी उम्र 59 वर्ष थी उनकी इस गंभीर दुर्घटना में मृत्यु हुई तथा आराधना ने अपने क्लेम प्रार्थना पत्र में बताया कि उसके पुत्र सानिध्य की भी इस सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई तथा दोनों प्रार्थीया भी गंभीर रूप से घायल हो गई जिस पर क्षतिपूर्ति राशि प्रार्थीगणों को दिलाई जाए.
प्रार्थीगण के द्वारा क्लेम प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के बाद विपक्षी बीमा कंपनी ने माननीय अधिकरण के समक्ष जवाब पेश कर बताया कि उक्त दुर्घटना स्वयं मृतक की गलती से हुई है इसमें ट्रक चालक का किसी प्रकार से कोई योगदान नहीं रहा है और ना ही प्रार्थीगणों को किसी प्रकार की कोई स्थायी अयोग्यता व्याप्त हुई है.
बीमा कंपनी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया
अधिकरण के समक्ष दौराने बहस प्रार्थीगण के अधिवक्ता योगेश व्यास का यह तर्क रहा कि उक्त दुर्घटना में स्वयं मंजू लता एवं आराधना मौके की चश्मदीद गवाह है जिसने दुर्घटना होते हुए देखा और अपने बयानों में उक्त दुर्घटना का संपूर्ण विवरण बताया है तथा इसके अलावा विपक्षी बीमा कंपनी ने किसी प्रकार की ऐसी कोई साक्ष्य माननीय अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत नहीं की है जिससे कि यह साबित होता हो कि यह दुर्घटना स्वयं मृतक की गलती से हुई है. प्रार्थीगण के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए माननीय अधिकरण ने उक्त दुर्घटना ट्रक चालक की गलती से होना माना और उसकी गलती मानते हुए इस गंभीर दुर्घटना में एक ही परिवार के दो जनों की मृत्यु तथा दोनों प्रार्थीया के गंभीर घायल होने पर उन्हें क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने का अधिकारी माना.
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इस पर माननीय अधिकरण के द्वारा प्रकरण संख्या 360/ 2016 जो कि स्वयं घायल प्रार्थीया आराधना का पेश किया गया था उसमें अधिकरण ने घायल प्रार्थीया को ₹192600 क्षतिपूर्ति राशि, तथा प्रकरण संख्या 361/2016 जो की घायल मंजूलता की ओर से पेश किया गया, उसमें 1,13,960 रूपये, तथा प्रकरण संख्या 362/2016 जिसमें कि मृतक घनश्याम शर्मा की मृत्यु होने से उसके परिवार के द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
2016 से लेकर अदायगी तक 6% वार्षिक ब्याज भी पाने का अधिकारी माना
उसमें 45,80,452 रूपये, और प्रकरण संख्या 376/2016 जिसमें की आराधना के पुत्र सानिध्य की मृत्यु होने पर उसके परिवार के द्वारा पेश किया गया था उसमें 6,84,752 रुपये की क्षतिपूर्ति राशि विपक्षी बीमा कंपनी से पाने का अधिकारी माना और उक्त क्षतिपूर्ति राशि पर सितंबर 2016 से लेकर अदायगी तक 6% वार्षिक ब्याज भी प्रार्थीगणों को पाने का अधिकारी माना, जिससे उक्त समस्त क्षतिपूर्ति राशि मय ब्याज के 76 लाख 5 हजार 457 रुपए बनती है जो कि प्रार्थीगण विपक्षी बीमा कंपनी से पाने के अधिकारी है.
Reporter-Deepak Vyas