Science Fact ब्रेन मैपिंग Test जिसमें फंसकर आफताब ने कबूला 35 टुकड़ों का सच, कैसे होता है ये टेस्ट
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Science Fact ब्रेन मैपिंग Test जिसमें फंसकर आफताब ने कबूला 35 टुकड़ों का सच, कैसे होता है ये टेस्ट

Brain Mapping Technique: अपराधों की गुत्थी को सुलझाने   के लिए पुलिस  ब्रेन मैपिंग तकनीक का इस्तेमाल करती है. दावा किया जाता है कि इस तकनीक की मदद से अपराध से जुड़े आरोपी के बारे में कई अहम जानकारियां  सामने आती है. तो चलिए जानते है कैसे और किस तरीके से होता है  Brain Mapping Test.

Science Fact ब्रेन मैपिंग Test जिसमें फंसकर आफताब ने कबूला 35 टुकड़ों का सच, कैसे होता है ये टेस्ट

Brain Mapping Test: जु्र्म की दास्तान भी अजीब होती है वक्त बदलने के साथ साथ इसे करने के पैटर्न और भी भयानक होते जा रहे है. इसकी एक बानगी हाल ही में श्रद्धा और आफताब मर्डर केस में सुनने को मिली. जुर्म जितना संगीन था, पैर्टन उतना ही डरावना, जिसने भी एक बार इस केस को सुना उसके पैरों के तले जमीन खिसके बिना नहीं रही. क्योंकि कोई अपने ही प्यार को इतनी बेहरमी के साथ 32 टुकड़े कैसे कर सकता है. जैसे -जैसे आफताब के जुर्म की कड़ियां सामने आ रही है.  लोगों के रौंगटे खड़े हो रहे है. लेकिन उससे ज्यादा इस केस की तहकीकात करने वालों के तरीकों भी बदल रहे है. वह कभी नार्को तो कभी लाई डिटेक्टर के जरिए आफताब से सच निकलवाने के तरीके ढूंढ रहे है. अब पुलिस आगे जांच के लिए ब्रैन मैपिंग का सहारा लेने जा रही है, जिससे वह यह जान पाए की आखिर आफताब ने इतने संगीन जुर्म को इतनी सावधानी के साथ कैसे किया ?  

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क्या है ब्रेन मैपिंग?
ब्रेन मैपिंग एक न्यूरोसाइंस तकनीक है, जिसके के जरिए ब्रेन में मौजूद तरंगों की जांच की जाती है. इस जांच से यह समझा  जाता है कि आरोपी ने भयानक  अपराध किया है उसे करने के लिए उसका दिमाग किस हद तक सक्षम है. यह एक नॉन-इंवेजिव  प्रोसेस है, जिसके जरिए शरीर में किसी तरह  का कोई काटना या इंजेक्शन नहीं लगाया जाता. ब्रेन मैपिंग के कारण इंसान को किसी तरह का शारीरिक या मानसिक नुकसान नहीं पहुंचता.

कैसे होता है ब्रेन मैपिंग टेस्ट
ब्रेन मैपिंग टेस्ट के जरिए दिमाग में उठने वाली तरंगों की स्टीड की जाती है.  इसके लिए  जिसका ब्रेन मैपिंग टेस्ट किया जाता है उस व्यक्ति के सिर से सेंसर्स को कनेक्ट किया जाता है.  जिस व्यक्ति का टेस्ट किया जाता है उसके दिमाग में पता लगाने के लिए उसके सिर पर हेड कैप्चर लगाा जाता  है.

 उस व्यक्ति के सामने क्राइम से जुड़े सीन को उसके सामने सिस्टम पर दिखाए और सुनाए जाते हैं.  ब्रेन मैपिंग में  नार्को टेस्ट की तरह कोई दवा नहीं दी जाती है. टेस्ट लैब में कुर्सी पर बिठाकर इस खास तकनीक से सच और झूठ का पता लगाया जाता है. जिस मशीन को सिर के सेंसर्स से कनेक्ट  किया जाता है उसी मशीन पर आ रही तरंगों को देखकर यह पता लगाया जाता है कि वह कितना सच या झूठ बोल रहा है. जब भी किसी आरोपी को लेकर लैब जाया जाता है तो इसके पहले खास तैयारी करनी होती है. लैब में सबसे पहले FSL एक्सपर्ट उस केस स्टडी को देखते हैं और फिर सवालों की लिस्ट तैयार की जाती है। इसके बाद शुरू होता है आरोपी का इंटरव्यू. कई बार एक ब्रेन मैपिंग करने में 7 से 8 दिन का वक्त लग जाता है.

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