भीलवाड़ा के जहाजपुर के कोटडी कोटड़ी उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत रीठ सरपंच योगिता शर्मा व उनके पति व पंचायत समिति सदस्य बनवारी शर्मा ने. दोनों ने रीठ पंचायत की उजड़ी खस्ताहालत में पड़ी 400 बीघा चारागाह की बिगड़ती हालत व लगातार हो रहें अवैध कब्जों से निजात दिलाने का बीड़ा उठाया.
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Bhilwara: कहते हैं अगर कुछ दिल में कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. ऐसा ही कुछ करने की शुरुआत की हैं पर्यावरण संरक्षण की सोच रखने वाले कोटड़ी उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत रीठ सरपंच योगिता शर्मा व उनके पति व पंचायत समिति सदस्य बनवारी शर्मा ने. दोनों ने रीठ पंचायत की उजड़ी खस्ताहालत में पड़ी 400 बीघा चारागाह की बिगड़ती हालत व लगातार हो रहें अवैध कब्जों से निजात दिलाने का बीड़ा उठाया और पर्यावरण के लिए कुछ करने की मन में इच्छा जगी तो, अपने मित्र भीलवाड़ा निवासी अभिषेक कचोलिया के साथ मिलकर एक युवा टीम तैयार की. उसके बाद उपखंड अधिकारी कोटड़ी गोविंदसिंह भीचर से मार्गदर्शन लेकर भीलवाड़ा कोटडी मुख्य सड़क मार्ग पर पुलिस वृत्त कार्यालय के पास मानसिंहजुपड़ा के नजदीक रीठ पंचायत की डेढ़ सौ बीघा चारागाह भूमि को फिर से बचाने व बसाने की पहल शुरु कर दी.
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इसमे सबसे पहले मधुवन बनाने के लिए भामाशाह तैयार कर जन सहयोग से डेढ़ सौ बीघा चरागाह भूमि पर 700 पोल रोपकर तारबंदी करवाई गई. उसके बाद युवा टीम के साथ मिलकर जन सहयोग से प्रथम चरण में 2100 पेड़ लगाने की शुरुआत की गई. वहीं कुल पाँच हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य बनाया. धीरे धीरे कई भमाशाह इस अभियान से जुड़ने लगे व भामाशाह अभिषेक कचोलिया ने तीन लाख का सहयोग किया, उछब सोनी ने 151 पौधे जिसमें 108 पीपल के, महेंद्र मीणा द्वारा 201 पौधा, सत्यनारायण तेली 51 पौधे, मनमोहन मुंडालिया 31 पौधे, सुरेश पटेल सरसिया ने 101 पौधे का सहयोग दिया. इस समय मधुवन में गुलमोहर, गूंदा, पीपल, बड़ ,नीम, सीसम, आंवला, आम, जामुन, बदाम सहित कई छायादार व औषधीय पौधे का रोपण किया गया है और मटका सिंचाई पद्धति से उन्हें पानी दिया जाता है.
क्या है मटका सिंचाई पद्धति
इसमें मिट्टी के मटकों में सुराख कर उसमें सूती डोरे बांधा दी जाती हैं, फिर पेड़ या पौधे की जड़ों के पास जमीन में डोरो का दूसरा हिस्सा दबा दिया जाता हैं, पौधे के पास ही मटकी को भी जमीन में दबा दिया जाता हैं सिर्फ मुंह ऊपर रहता हैं साथ ही इसमें पानी भरकर रख देते हैं, जिससे पौधे की जड़ों में पानी बूंद-बूंद करके टपकता रहता है. इस तरह पौधे की जड़ों में नमी बनी रहती है और पौधे की सिंचाई होती रहती हैं, इस कारण पौधा हरा-भरा रहता है और पेड़ जलता नहीं है.
इसमें पॉट इलीगेशन नामक प्राचीन पद्धति से पौधो को सिंचाई करने के लिए प्रत्येक पौधे के साथ जमीन में पानी की मटकी लगाई गई हैं, जो बून्द बूंद से पौधो की सिंचाई करती है. इस कार्यपद्धति का निरीक्षण करने दिल्ली से वर्ड रिकार्ड दर्ज करने वाली गोल्डन बुक की एक टीम ने भी यहां पहुंच कर निरीक्षण कर चुकी है. उन्होंने मौके पर एसडीएम गोविंद सिंह भीचर, पंचायत समिति सदस्य बनवारी शर्मा व अभिषेक कचोलिया को मेडल देकर सम्मानित भी किया.
हरियाणा डिफेंस एकेडमी की टीम ने एक दिन में रोपे 2100 पौधे
इस दौरान चारभुजा मधुवन में सहयोग करते हुए, हरियाणा डिफेंस अकेडमी के छात्रों ने समाजसेवी मुरलीमनोहर जाट के नेतृत्व में 12 घंटे में 2100 पौधारोपण किया गया. चारभुजा मधुवन में लोगों के जीवन के महत्वपूर्ण दिवस जन्मदिन, पुण्यतिथि या कोई उपलब्धि पर लोग यहां आकर पेड़ लगा सकेंगे. इनका संरक्षण युवा टीम द्वारा किया जायेगा.
Reporter - Dilshad Khan
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