बारां जिले में प्री मानसून की अच्छी बारिश होने से छीपाबड़ौद को छोड़ शेष अन्य सात उपखंडों पर खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई का दौर शुरू हो गया. किसान सुबह से देर शाम तक खेतों में पड़ाव डाल सोयाबीन की बुवाई करने लगे हैं.
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Baran: बारां जिले में प्री मानसून की अच्छी बारिश होने से छीपाबड़ौद को छोड़ शेष अन्य सात उपखंडों पर खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई का दौर शुरू हो गया. किसान सुबह से देर शाम तक खेतों में पड़ाव डाल सोयाबीन की बुवाई करने लगे हैं.
जिले में अब तक 98 मिमी औसत बुवाई शुरू हुई है. इसमें 119 मिमी बारां, 133 मांगारोल, 88 किशनगंज, 84 शाहाबाद, 57 अन्ता, 74 अटरू, 78 मिमी बारिश छबड़ा उपखंड मुख्यालय पर दर्ज की गई है. सबसे कम 23 मिमी बारिश छीपाबड़ौद उपखंड मुख्यालय पर हुई है. सामान्त: सोयाबीन की बुवाई के लिए 70 से 80 मिमी बारिश आवश्यक होती है. इसके साथ अधिकतम तापमान भी 30 से 32 डिग्री सेल्सियस तक उपयुक्त माना जाता है. इससे अब किसान सोयाबीन की बुवाई के लिए पूरी तरह से जुटने लगे हैं.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन की बुवाई के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक समय अनुकूल रहता है. इसके बाद बारिश पूरे वेग से होती है। इससे बुवाई का अवसर हाथ से छिटक जाता है. कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को बीजोपचार के बाद ही बुवाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं. जिले में अब तक 11 हजार हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी है.
कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार जिले में वर्तमान में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. वर्तमान में आदान विक्रेताओं समेत सहकार समितियों के पास करीब 20 हजार मैट्रिक टन यूरिया, 13 हजार मैट्रिक टन डीएपी व 14 हजार मैट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट उपलब्ध है. जिले में उर्वरक को लेकर कहीं भी मारा-मारी के हालात नहीं है. कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार इस वर्ष जिले में 3.35 हैक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की फसलों की बुवाई होगी. इसमें सर्वाधिक 2.20 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन का क्षेत्रफल रहेगा.
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गत वर्ष अतिवृष्टि से सोयाबीन में हुए खराबे से किसानों को खासा नुकसान हुआ था. ऐसे में किसानों को इस वर्ष सोयाबीन के बीज के लिए खासे जतन करने पड़े थे. अधिकांश किसानों ने कृषि अधिकारियों व पर्यवेक्षकों की देखरेख में घरों पर उपलब्ध सोयाबीन की ग्रेडिंग कर बीज का बंदोबस्त किया है. कई किसान बीज के लिए पड़ोसी राज्य मध्यपदेश के बड़े शहरों तक पहुंचे थे.
Reporter- Ram Mehta
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