Surajgarh Jhunjhunu Vidhansabha Seat: सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा वक्त में भाजपा के सुभाष पूनिया विधायक है. पिछले दो बार से लगातार कांग्रेस यहां हार रही है.
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SurajgarhJhunjhunu Vidhansabha Seat: झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा वक्त में भाजपा के सुभाष पूनिया विधायक है. यह सीट 2003 तक अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी. हालांकि अब यह एक सामान्य सीट है, पिछले दो चुनाव से यहां भाजपा जितती आई है.
सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड सुंदर लाल के नाम है. 1972 में सुंदरलाल ने कांग्रेस की टिकट पर जीत दर्ज की. इसके बाद 1980 में वह निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे और जीते. 1985 में फिर कांग्रेस से लड़े और जीते, 1993 में सुंदरलाल ने एक बार फिर निर्दलीय ही चुनाव लड़ा. इसके बाद सुंदरलाल भाजपा में शामिल हो गए और 2003 में भाजपा की टिकट पर जीत दर्ज की. वहीं इस सीट पर हुए अब तक 13 विधानसभा चावन में से सिर्फ चार बार ही कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई है, जबकि तीन बार भाजपा दो बार निर्दलीय और स्वराज पार्टी तो वहीं एक-एक बार जनता दल और जनता पार्टी यहां से जीत का खाता खोल चुकी है.
सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र का गठन 1962 में हुआ. गठन के साथ यह क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. यहां के पहले चुनाव में कांग्रेस ने महादेव प्रसाद को टिकट दिया तो वहीं स्वराज पार्टी से शिवरीनारायण छाछिया उतरे. इस चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस को 9487 वोट मिले तो वहीx स्वराज पार्टी के शिवनारायण 11500 मतों से विजयी हुए.
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और एमपी बुनकर को टिकट दिया. वहीं स्वराज पार्टी की ओर से सूरजमल ताल ठोकते नजर आए. चुनाव में कांग्रेस के बंकर को 14,350 मत मिले तो वहीं 15,589 मतों के साथ स्वराज पार्टी के सूरजमल की जीत हुई.
1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर उम्मीदवार बदला और अब सुंदरलाल को टिकट दिया तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन विधायक सूरजमल निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरे. सूरजगढ़ की जनता ने सूरजमल को 9451 मत दिए तो वही सुंदरलाल को 18,632 मतदाताओं का साथ मिला और उसके साथ ही पहली बार इस सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की.
1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर सुंदर लाल को ही टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से सुभाष चंद्र आर्य चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में सुंदरलाल को 18,233 मत मिले तो वहीं सुभाष चंद्र आर्य 23,881 मत पाने में कामयाब हुए और उसके साथ ही सुभाष चंद्र आर्य की जीत हुई.
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मूलचंद को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी सेकुलर की ओर से सूरजमल उतरे. वहीं सुंदरलाल ने निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरना तय किया. इस चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस के बागी सुंदरलाल की जीत हुई और उन्हें 23,010 मत मिले तो वहीं सूरजमल 17,292 मत हासिल करने में कामयाब हो सके. हालांकि कांग्रेस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही.
1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी गलती सुधारी और सुंदरलाल को एक बार फिर टिकट दिया तो वहीं लोकदल की ओर से सूरजमल अपनी किस्मत आजमाने उतरे. इस चुनाव में सूरजमल को 31,645 मत मिले तो वहीं कांग्रेस के सुंदर माल को 40,061 मतदाताओं का साथ मिला और उसके साथ ही सुंदरलाल एक बार फिर चुनाव जीतने में कामयाब हुए.
1990 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की ओर से सुंदरलाल ही उम्मीदवार बने तो वहीं जनता दल ने बाबूलाल को टिकट दिया. इस चुनाव में जनता दल के बाबू लाल 54,765 मत हासिल करने में कामयाब हुए तो वहीं सुंदरलाल 35,114 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ इस चुनाव में जनता दल के बाबूलाल की जीत हुई.
1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाबूलाल खांडा को टिकट दिया तो सुंदरलाल एक बार फिर बगावत पर उतर आए और उन्होंने निर्दलीय ही पर्चा भर दिया. चुनावी नतीजे आए तो चुनाव में सुंदर लाल एक बार फिर विजयी हुए और उन्हें 38,378 मत मिले. वहीं बाबूलालखंडा 34,511 मतों ही मिल सके.
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से हनुमान प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया तो अबकी बार सुंदरलाल भाजपा में शामिल हो गए. चुनावी नतीजे आए तो सुंदरलाल 34,240 मत पाने में कामयाब हुए तो वहीं कांग्रेस का दांव सफल रहा और हनुमान प्रसाद 40,261 के साथ विजय हुए और कांग्रेस की फिर से वापसी हुई.
2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विश्वास सुंदर लाल पर कायम रहा तो वहीं निर्दलीय के तौर पर बाबूलाल खांडा चुनावी मैदान में उतरे. वहीं कांग्रेस ने इस चुनाव में हनुमान प्रसाद को एक बार फिर टिकट दिया. इस चुनाव के नतीजे आए तो सुंदरलाल एक बार फिर विजयी हुए और उन्हें 43,555 मत हासिल हुए जबकि निर्दलीय उम्मीदवार बाबूलाल खांडा 39,838 मतों के साथ दूसरे तो कांग्रेस के हनुमान तीसरे स्थान पर रहे.
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने श्रवण कुमार को टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से संतोष अहलावत चुनावी मैदान में इस चुनाव में समीकरण बदल चुके थे और चुनावी ताल ठोकने वाले चेहरे भी बदल गए. दर्असल 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस सीट को सामान्य घोषित कर दिया गया. ऐसे में टिकट दावेदार भी बदल गए. इस चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी के संतोष अहलावत 37,371 मत हासिल करने में कामयाब हुए तो वहीं कांग्रेस के श्रवण कुमार की जीत हुई और उन्हें 44,965 मत मिले.
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने उम्मीदवार रिपीट किया. हालांकि चुनावी नतीजे आए तो बाजी पलट चुकी थी. इस चुनाव में बीजेपी के संतोष अहलावत को 1,08,840 मत मिले तो वहीं कांग्रेस के श्रवण कुमार 58,621 मत ही हासिल कर सके और इसके साथ ही मोदी लहर पर सवार संतोष अहलावत की जीत हुई.
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदला तो कांग्रेस ने रिपीट किया. कांग्रेस ने जहां श्रवण कुमार को टिकट दिया तो वहीं भाजपा ने सुभाष पूनिया को चुनावी मैदान में उतारा. इस मुकाबले में कांग्रेस के गोकुल राम 76,488 मत हासिल कर सके तो वहीं सुभाष पूनिया 79,913 मतों के साथ विजयी हुए और उसके साथ इस चुनाव में भाजपा की जीत हुई.
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