संतोष और मनोज मेघवाल का खेल बिगाड़ सकते हैं बाबूलाल कुलदीप! जानें इतिहास में किसे मिला साथ
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संतोष और मनोज मेघवाल का खेल बिगाड़ सकते हैं बाबूलाल कुलदीप! जानें इतिहास में किसे मिला साथ

 सुजानगढ़ की स्थापना 25 नवंबर1520 ई में सूरत सिंह द्वारा सूजन सिंह के नाम पर की गई थी और उनके नाम पर ही सुजानगढ का नाम रखा गया है. महाराजा सूरत सिंह ने 1835 ई० में इस क्षेत्र को अधिकार में लेकर इसका नाम सुजानसिंह के नाम पर सुजानगढ़ रखा.

संतोष और मनोज मेघवाल का खेल बिगाड़ सकते हैं बाबूलाल कुलदीप! जानें इतिहास में किसे मिला साथ

Sujangarh Vidhansabha Seat News: सुजानगढ़ की स्थापना 25 नवंबर1520 ई में सूरत सिंह द्वारा सूजन सिंह के नाम पर की गई थी और उनके नाम पर ही सुजानगढ का नाम रखा गया है. महाराजा सूरत सिंह ने 1835 ई० में इस क्षेत्र को अधिकार में लेकर इसका नाम सुजानसिंह के नाम पर सुजानगढ़ रखा. यहाँ पुराना किला अब भी विद्यमान है. यहाँ 46 मंदिर, 15 मस्जिदें और कई धर्मशालएँ है. आज़ादी से पहले सुजानगढ़ जिला था. जिसका गौरव 6 अक्टूबर 2023 को पुनः लौटा दिया गया. यह शहर राजस्थान की राजधानी जयपुर से उत्तर पश्चिम दिशा में 200 किमी की दूरी पर है. यहाँ का वैंकटेश्वर बालाजी मंदिर रेल्वे स्टेशन के पास है. 6 अक्टूबर 2023 को सुजानगढ़ राजस्थान का 51 वाँ ज़िला बनाया गया है. यहाँ पर तिरपाल मंडी भी एशिया की सबसे बड़ी मंडी मानी जाती है.

विधानसभा - सुजानगढ़

कुल मतदाता - 2,87995
पुरुष मतदाता -150794  
महिला मतदाता-137200
टोटल बूथ -- 266

जातीय समीकरण - ब्राह्मण, जाट, ओबीसी , दलित, राजपूत व मुस्लिम
विधायक -मनोज मेघवाल - ( कांग्रेस)

गर्मियों में अधिक गर्म और सर्दियों में अधिक ठंडा रहने वाले चूरू जिले का सुजानगढ़ भी देश के मौसम तंत्र में अपनी अलग ही छाप रखता है, इस बार सर्दियों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तपिश यहां अभी से देखी जा सकती है. इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है.  यह क्षेत्र दलित व जाट बाहुल्य है, 1977 में यह सीट एससी के लिए रिजर्व आरक्षित है. यहां से कांग्रेस के टिकट व भाजपा के टिकट से मेघवाल समाज से उम्मीदवार चुनाव लड़ते रहे हैं.

 वोटों का मार्जिन (जीते और हारे के बीच)

सुजानगढ़ विधानसभा सीट की अगर हम बात करे तो इस सीट पर सबसे पहले सन 1952 में प्रताप सिंह विधायक बने थे, प्रताप सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़कर कन्हैयालाल को 1646 मतों से चुनाव हराया. इसके बाद सन 1957 में पहली बार महिला प्रत्याशी निर्दलीय उम्मीदवार शन्नो देवी शर्मा निर्दलीय विधायक बनी, शन्नो देवी ने शांति कुमार शर्मा को 208 मतों से पराजय किया. इसके बाद  1962 में पहली बार फूलचंद जैन कांग्रेस से विधायक बने, फूलचंद जैन ने जनसंघ के कैलाश शेखर को 15385 मतों से पराजय किया. इसके बाद जनसंघ के यशकरन बेद ने कांग्रेस के फूलचंद जैन को 11323 मतों से चुनाव हराया. 1972 में फिर फूलचंद जैन ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लडा और जनसंघ के देवी सिंह को 5371 वोटो से चुनाव हराया. 1977 में सुजानगढ़ सीट रिजर्व हो गई और रावतराम आर्य जनसंघ से चुनावी समर में उतरे और कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ रहे मास्टर भंवरलाल को 15182 वोटों से पराजय किया. इसके बाद मास्टर भंवरलाल ने 1980 में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए रावतराम आर्य को 7315 वोटों से चुनाव हराया.

1985 में चुन्नीलाल भाजपा से चुनाव लड़ कर मास्टर भंवरलाल को 5302 वोटो से पराजय किया. 1990 में मास्टर भंवरलाल ने रावतराम आर्य को 13751 वोटों से पराजित किया. भाजपा के रामेश्वर भाटी ने कांग्रेस के मास्टर भंवरलाल को 1732 मत से चुनाव हराया. 1993 में रामेश्वर भाटी ने भाजपा से चुनाव लडा और मास्टर भंवरलाल को 1732 वोटो से चुनाव हराया. 1998 में मास्टर भंवरलाल ने भाजपा के रामेश्वर भाटी को 14165 वोटो से चुनाव हराया. 2003 के चुनावों में भाजपा ने यहां से खेमाराम मेघवाल को टिकट दी, खेमाराम मेघवाल ने मास्टर भंवरलाल को 5591 वोटो से चुनाव हराया. विधानसभा चुनाव 2008 में सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार मास्टर भंवर लाल को कुल 56292 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी खेमा राम दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 42231 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 14061 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में सुजानगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार खेमा राम ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 78920 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार मास्टर भंवर लाल को 65271 वोट मिल पाए थे, और वह 13649 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 255485 मतदाता थे, और उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मास्टर भंवर लाल मेघवाल को 83632 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि भाजपा उम्मीदवार खेमाराम को 44883 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 38749 वोटों से चुनाव हार गए थे.

सुजानगढ़ में 35,611 वोटों से जीते कांग्रेस के मनोज मेघवाल

सुजानगढ़ सीट पर दिवंगत कांग्रेस ​विधायक, मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल ने उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार खेमाराम मेघवाल को 35,611 वोटों से हराया है. मनोज मेघवाल को 79,253 वोट मिले. भाजपा उम्मीदवार खेमराम मेघवाल को 43,642 वोट और आरएलपी के सोहनलाल नायक को 32210 वोट मिले हैं.  

सुजानगढ़ में भाजपा की साख बमुश्किल बच पाई. यहां काउंटिंग के कई राउंड में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी ने भाजपा को पछाड़कर तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया था. हालांकि, बाद में भाजपा दूसरे नंबर पर पहुंच गई. भाजपा उम्मीदवार को भितरघात का सामना करना पड़ा है. हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से अलग होकर खुद भले न जीते न हो लेकिन भाजपा को हरवा दिया है.

सीट के प्रमुख मुद्दे

1. सुजानगढ जिले की घोषणा के बाद नोटिफिकेशन जारी नही होने से संसय जारी है. सबसे बड़ा मुद्दा आज भी बना हुआ है.

2. रेलवे ओवर ब्रिज की बड़ी मांग, ओवर ब्रिज नही होने से वाहनों की घण्टो लंबी लाइन लगी रहती है.
3. शहर के मध्य सड़को का सुदृढ़ीकरण,

4. बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा, यहां पर बड़े उद्योगों कक स्थापना की मांग.

5. नगरपालिका में जमकर भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा.

6. जो विकास कार्य करवाएगा उन्ही को मिलेंगे चुनाव में वोट

इस बार सुजानगढ विधानसभा चुनाव रोचक स्थिति में आगया है. एक तरफ कांग्रेस के मनोज मेघवाल सुजानगढ को जिला बनाने की घोषणा सहित अशोक गहलोत सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों व स्थानीय चुनावों में जनता से मिले समर्थन के अधार पर जीत का दावा कर रही है. वही दूसरी ओर भाजपा के संतोष मेघवाल को अपनी परंपरागत सीट मानते हुए केन्द्र की मोदी सरकार की जनकल्याण कारी योजनाओं के बल पर जीत का दावा कर रही है. वही यहां पर तीसरा मोर्चा के रूप में आरएलपी के प्रत्याशी भी दोनों पार्टियों के समीकरण बिगड़ रहे हैं. ऐसे में भाजपा व कांग्रेस के लिए यह सीट निकालना प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है.

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