अलवर के मुंडावर विधानसभा के नीमराणा उपखंड के ग्राम पंचायत कुतीना में एक अनोखी पहल देखने को मिली. उप सरपंच दीनदयाल शर्मा के घर पर जन्मी गौ माता जिसने 25 वर्ष पूरे किए और लम्पी वायरस के चलते उसकी मृत्यु हो गई. जिसके बाद उप सरपंच की ओर से हिंदू रीति रिवाज से गौमाता को अंतिम विदाई दी गई.
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Alwar: अलवर के मुंडावर विधानसभा के नीमराणा उपखंड के ग्राम पंचायत कुतीना में एक अनोखी पहल देखने को मिली. यहां ग्राम पंचायत उप सरपंच दीनदयाल शर्मा के घर पर जन्मी गौ माता जिसने 25 वर्ष पूरे किए और लम्पी वायरस के चलते उसकी मृत्यु हो गई. जिसके बाद उप सरपंच की ओर से हिंदू रीति रिवाज से गौमाता को अंतिम विदाई दी गई. हिंदू संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और माता को भगवान के समान माना जाता है, हिंदू धर्म में गौ माता की पूजा होती है.
उप सरपंच दीनदयाल शर्मा हिंदू रीति रिवाज के साथ गौ माता की पूजा मंत्र उच्चारण के साथ की और उन्हें गंगाजल से स्नान कराया गया, धूपबत्ती लगाई गई. इस पर ग्राम पंचायत सरपंच रविंदर सिंह और गौ सेवक मौजूद रहें. सभी ग्रामीणों ने लुगड़ी उठाकर, नमक दान किया. इस दौरान दीनदयाल शर्मा ने संकल्प लिया कि इसी तरह गौ माता की सेवा करता रहूंगा और गौ माता की मूर्ति बनाने का भी संकल्प लिया. पूरे प्रदेश में लम्पी वायरस महामारी से जहां गायों की रोजाना मौत हो रही हैं, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा अभी तक कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए हैं. इसके विपरीत नीमराणा गांव में लम्पी रोग रूप से गाय की मौत हो जाने के बाद गाय के मालिक के द्वारा अंतिम दर्शन के लिए लोगों को इकट्ठा कर बुलाया साथ ही डीजे के साथ अंतिम यात्रा भी निकाली गई.
गाय की डीजे के साथ अंतिम यात्रा देख हर कोई चकित रह गया और कहने लगा जिस तरह जीव जंतु प्राणी का पवित्र रिश्ता होता है, अगर मनुष्य उसको इसी तरह बनाए रखें तो इस प्रकृति का संतुलन बना रहेगा. गांव निवासी कुतीना उपसरपंच दीनदयाल शर्मा के द्वारा पिछले 25 सालों से इस गाय को पाला गया था, जिसका गाय से गहरा नाता था और वह अपने परिवार के सदस्य की तरह उसकी देखभाल करता था. 3 दिन पहले गाय को लम्पी रोग हो गया, तो वह चिंतित हो गया और अपने ड्यूटी छोड़कर गांव के लिए रवाना हो गया लेकिन गांव पहुंचने से पहले ही गाय की मौत हो गई. घर आने के बाद वह बड़ा मायूस था, लेकिन जिस तरह गौ माता को उसने पाला था उसको लेकर उसने कहा कि मेरी गौ माता के लिए विधि विधान से अंतिम दर्शन करवा लूंगा और उसके बाद उसका अंतिम संस्कार भी करूंगा. जिसको लेकर उन्होंने गांव के पंच से सलाह मशवरा किया और ठाकुर जी महाराज के मंदिर से नई गौशाला तक गौ माता का अंतिम दर्शन करवाया, जिससे गांव के बुजुर्ग महिला बच्चे सभी लोग अंतिम दर्शन में शामिल हुए. जिसने भी यह नजारा देखा वह अचंभित रह गया और कहने लगा काश हर मनुष्य इसी तरह अपने पशु पक्षियों से प्रेम रखें और इसी तरह मान मर्यादा बनाए रखें.
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