पुष्कर में गौरक्षा के लिए बलिदान देने वाले राजपूत वीरों को दी श्रद्धांजलि
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पुष्कर में गौरक्षा के लिए बलिदान देने वाले राजपूत वीरों को दी श्रद्धांजलि

इतिहासकारों की मानें तो विक्रम संवत 1737 भाद्रपद की सप्तमी की दोपहर औरंगजेब के सिपहसालार तहव्वुर खान ने पुष्कर के वराह मंदिर को खंडित कर ब्राह्मणों और गौमाताओं की पुष्कर घाट पर कुर्बानी देने की योजना बनाई थी.

पुष्कर में गौरक्षा के लिए बलिदान देने वाले राजपूत वीरों को दी श्रद्धांजलि

Pushkar: तीर्थ नगरी पुष्कर के सरोवर किनारे बने गौघाट पर गौरक्षा के लिए बलिदान देने वाले राठौड़ राजपूत वीरों को श्रद्धांजलि और तर्पण का आयोजन किया गया. इस दौरान सांसद भागीरथ चौधरी, पुष्कर नगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक, उपाध्यक्ष शिव स्वरूप महर्षि, राम सेवा आश्रम के महंत नंदरामशरण महाराज और मां सावित्री सेवा समिति पुष्कर के विक्रम सिंह मौजूद रहे. इस दौरान आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने गौ सेवा के लिए मेड़तिया राजपूत वीरों की गाथा को याद करते हुए उनके बलिदान को नमन किया. साथी वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वर्गीय आत्माओं के लिए सरोवर के पवित्र जल से तर्पण किया गया.

इतिहासकारों की मानें तो विक्रम संवत 1737 भाद्रपद की सप्तमी की दोपहर औरंगजेब के सिपहसालार तहव्वुर खान ने पुष्कर के वराह मंदिर को खंडित कर ब्राह्मणों और गौमाताओं की पुष्कर घाट पर कुर्बानी देने की योजना बनाई थी. इसकी सूचना कुंवर राज सिंह को दी, जिस पर कुंवर राज सिंह ने अपने विवाह मंडप से पुष्कर की ओर कूच कर दिया. मुगलों और राजपूतों के बीच हुए चार दिवसीय युद्ध के दौरान तकरीबन 700 क्षत्रिय रणबाकुरों ने गौरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर गायों और ब्राह्मणों की जान बचाई.

अंत में राजपूत सेना विजय हुई. मुगल सेना के तहव्वुर खान अजमेर स्थित तारागढ़ की ओर भाग छूटा. इस युद्ध में कुंवर राज सिंह की गर्दन कटने के बावजूद वह दोनों हाथों से युद्ध लड़ते रहे. इसलिए उन्हें झुंझार जी की उपाधि मिली, जिनकी स्मृति में आज भी कस्बे के राष्ट्रीय राजमार्ग 89 पर हाई सेकेंडरी स्कूल के पास स्मारक बना हुआ है. इन्हीं गौरक्षक सेनानियों के बलिदान को याद रखने के लिए सरोवर किनारे गऊघाट की स्थापना की गई थी. इस घटना से जुड़े पौराणिक स्थलों का उल्लेख हरविलास शारदा और जनरल टॉड जैसे इतिहासकारों की किताबों में आज भी दर्ज हैं. इतना ही नहीं, राजपूत समाज का इतिहास लिखने वाली राव परंपरा की बही खातों में इस घटना का विस्तृत लेख पढ़ने को मिलता है.

Reporter- Ashok Bhati

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