Beawar district: ब्यावर बना जिला, लोगों में खुशी का माहौल, जनता ने किया CM गहलोत को धन्यवाद
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Beawar district: ब्यावर बना जिला, लोगों में खुशी का माहौल, जनता ने किया CM गहलोत को धन्यवाद

Beawar district: 67 वर्षों से चल रही ब्यावर को जिला बनाने की मांग 17 मार्च को पूरी हो गई.  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सदन में ब्यावर को जिला बनाने की घोषणा की.

Beawar district: ब्यावर बना जिला, लोगों में खुशी का माहौल, जनता ने किया CM गहलोत को धन्यवाद

ब्यावर उपखंड को आखिर 67 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद मिल जिले का हक
आजादी के बाद से ही जिले का हक रखने वाले ब्यावर उपखंड को आखिर 67 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद जिले का हक मिल गया है. प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को विधानसभा में पेश किए गए बजट सत्र के अंतिम चरण में ब्यावर को जिला बनाने की घोषणा की. सीएम की और से ब्यावर को जिला बनाने की घोषणा करते ही शहरवासियों सहित विधानसभा क्षेत्र की जनता में खुशिया छा गई. टीवी तथा मोबाइल फोन पर सूचना मिलते ही लोगों ने कांग्रेस सरकार तथा सीएम अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे लगाए. मुख्य पांच बत्ती सहित शहर के कई क्षेत्रो में आतिशबाजी कर आमजन ने खुशिंया मनाई. एक दूसरे का मूंह मीठा करकर लोगों ने एक दूसरे को जिले की बधाई दी.

मालूम हो कि मेरवाड़ा स्टेट के समय में मुखयालय वाले शहर ब्यावर का वर्चस्व दिनों दिन घटता गया. साल 1956 में ही जिला बनाने की सहमति होने के बावजूद जिले की घोषणा के लिए तरसते ब्यावर का ख्वाब 17 मार्च 2023 को पूरा हुआ. कर्नल जार्ज डिक्सन ने 1 फरवरी 1836 को ब्यावर की स्थापना की आधारशिला रखी. वर्ष 1839 ईस्वी में 144 मेरवाड़ा बटालियन की मौजूदगी में मेरवाड़ा स्टेट की घोषणा की गई. इस स्टेट का मुखयालय ब्यावर शहर को बनाया गया. 25 जून 1857 ईस्वी को मृत्यु पर्यन्त तक डिक्सन मेरवाड़ा व अजमेर संयुक्त अंग्रेजी स्टेट के कमिश्नर व सुपरिन्टेन्डेंट रहे.

1 नवंबर 1956 को केन्द्र सरकार की सर्वानुमति से राजस्थान प्रदेश में मिलाते समय अजमेर को जिले के साथ राजस्थान की राजधानी और मेरवाड़ा अर्थात ब्यावर राज्य को जिला बनाना तय हुआ था. इसी मसौदे के तहत इन दोनों प्रदेशों ने राजस्थान प्रदेश में मिलने की रजामंदी दी थी. लेकिन राजस्थान की तत्कालीन सुखाडिया सरकार ने केन्द्र सरकार के निर्णय के विरुद्ध अजमेर को राजस्थान की राजधानी न बनाकर मात्र जिला और मेरवाड़ा अर्थात ब्यावर को मात्र उपखंड बना दिया. तब से लेकर अब तक 67 वर्ष बीत गए लेकिन प्रदेश का मेनचेस्टर माने जाने वाले ब्यावर शहर को लगातार बर्बादी का दंश और पतन का मंजर झेलना पड़ रहा था. लेकिन राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने ब्यावर शहर के हक को ध्यान में रखते हुए इस बार ब्यावर को जिले का दर्जा दिए जाने की घोषणा की है.

विगत 67 वर्षाों से ब्यावर को जिला बनाने की मांग को लेकर कई संगठनों और कार्यकर्त्ताओं की और से आंदोलन तथा धरना प्रदर्शन तक किए गए. ब्यावर को जिला बनाने के लिए 1977 में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शांतिलाल शाह ने सरकार को एक माह का नोटिस दिया गया था. उसके पश्चात 21 अप्रैल 1977 को उस समय डिक्शन छत्री, आज का भारत माता सर्किल पर टेंट लगा कर अनशन भी किया गया था. मगर प्रभावी राजनीतिक नेतृत्व क्षमता के अभाव में ब्यावर को जिला बनाने की आस अधूरी ही रही. इसके बाद राज्य में काग्रेस सरकार के शासनकाल में भाजपा ने तथा भाजपा के शासनकाल में कांग्रेस ने ब्यावर को जिला बनाने के लिए आंदोलन किए गए. उनका कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया. 

आजादी के बाद से ही जिले के बराबर का दर्जा रखने वाले तथा प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले ब्यावर उपखंड का दर्जा कम करने के लिए भी राजनैतिक दलों ने बखूबी काम किया. शहर में स्थापित जिले का दर्जा प्राप्त सीएमएचओ कार्यालय को भी अजमेर शिफट कर दिया गया. इसके विरोध में भी राजनैतिक संगठनों की और से आंदोलन किए गए लेकिन कार्यालय को पुनः ब्यावर में नहीं खोला गया. धीरे-धीरे ब्यावर को जिला बनाने से रोकने के लिए कई प्रकार के राजनैतिक कुचक्र चलाए गए लेकिन शहरवासियों ने अपनी मांग को नहीं छोडा. 

पूर्ववर्ती सरकारों ने क्षेत्रफल की दृष्टि से ब्यावर से भी कम माने जाने वाले दौसा तथा प्रतापगढ़ को जिला बना दिया. जिसके बाद ब्यावर को जिला बनाने की मांग क्षीण होने लगी. लेकिन शहरवासियों ने अपने हक की मांग को नहीं छोडा. इस मांग को लेकर कई बार हस्ताक्षर तथा पोस्टकार्ड अभियान चलाए गए. इसी क्रम में राजस्थान विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर तीन बार विधायक बने शंकरसिंह रावत ने भी कांग्रेस के शासनकाल में दो बार पैदल यात्राएं की.

बजट से कुछ ही दिनों पूर्व ब्यावर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चौहान यकायक सक्रिय हुए और सीएम अशोक गहलोत को अपना भगवान बताते हुए अपने भगवान से ब्यावर को जिला बनाने की मांग को लेकर अभियान शुरू किया. अभियान के तहत चौहान ने आम शहरवासियों से ब्यावर को जिला बनाने के पक्ष में हस्ताक्षर शुरू करवाना शुरू किया और जयपुर तक पैदल यात्रा कर हस्ताक्षरयुक्त समर्थन पत्र सीएम को सौंपे. कुल मिलाकर विगत 67 वर्षो से ब्यावर को जिला बनाने की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन के सकारात्मक परिणाम सामने आए और सीएम गहलोत ने ब्यावर क्षेत्र के निवासियों की जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ब्यावर को जिला बनाने की घोषणा की है. ब्यावर को जिला बनाने की घोषणा के बाद आम शहरवासियों में हर्ष व्याप्त है.

REPORTER- DILIP CHAUHAN

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