ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों में शिक्षकों की कमी के समाचार सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन अजमेर जिले के सावर कस्बे में व्याख्याताओं के अभाव में राम भरोसे हैं, जिसके चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है.
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Kekri: अक्सर ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों में शिक्षकों की कमी के समाचार सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन अजमेर जिले के सावर कस्बे में व्याख्याताओं के अभाव में राम भरोसे हैं, जिसके चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है और यह क्रम आज कल से नहीं 3 वर्षों से चला रहा है, लेकिन प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है. इसके चलते छात्र-छात्राओं में गहरा आक्रोश है.
केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के सावर कस्बे में उच्च शिक्षा की स्थिति बहुत दयनीय है. यहां पर सरकार ने 3 साल पहले क्षेत्र के लोगों को सोगात देते हुए कॉलेज शुरू की, लेकिन व्याख्याता नहीं लगाए, जिसके चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई रामभरोसे है. व्याख्याताओं के साथ कालेज में प्राचार्य की कमी का असर भी व्यवस्था पर पड़ रहा है.
राजस्थान सरकार ने वर्ष 2020 में कॉलेज की शुरुआत करते हुए हिंदी साहित्य अंग्रेजी साहित्य भूगोल राजनीतिक विज्ञान , इतिहास , संस्कृत साहित्य , गृह विज्ञान आदि विषय सावर महाविद्यालय में स्वीकृत किए, लेकिन यहां स्टाफ नहीं भरा गया, जिसके चलते छात्र-छात्राओं की शिक्षा बाधित हो रही है.
वहीं, ऑफिस के कामकाज के लिए भी केकड़ी जाना पड़ता है, क्योंकि कॉलेज में न तो कंप्यूटर है और न ही कोई अन्य संसाधन है. कॉलेज में एलडीसी यूडीसी सहायक लेखाधिकारी सहित सभी पद रिक्त है. वहीं, बरसात के समय कॉलेज के छत से पानी टपकता रहता है.
स्कूल में चल रहा है कॉलेज
राजकीय महाविद्यालय सावर का 3 वर्षों में भवन नहीं बना है, जिसके चलते कॉलेज राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की एक बिल्डिंग में चल रहा है, जहां पर कमरे टूटे-फूटे हैं और बरसात के समय सभी कमरों से पानी टपकता है. यहां पर दो कमरों में पट्टी टूटी हुई है, जिसके चलते लोहे के सपोर्ट लगा रखे हैं.
इससे कभी भी बड़ी घटना घटित हो सकती है. कॉलेज में अवस्थाओं का आलम है, यहां पर छात्राओं के लिए शौचालय तक नहीं है, जिसके चलते बालिकाओं को इधर-उधर भटकना पड़ता है. वहीं, पीने के पानी के लिए भी स्कूल में जाना पड़ता है. अव्यवस्थाओं के चलते छात्र-छात्राएं 40 किलोमीटर दूर केकड़ी जाकर पढ़ाई करते हैं.
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राजकीय महाविद्यालय सावर में निशा माथुर सह आचार्य पद पर कार्यरत है, लेकिन वह अवकाश पर चल रही है. इसी तरह सरकार ने बारां से मुकेश कुमार मीणा को प्रयोगशाला सहायक के रूप में डेपुटेशन पर लगा रखा है. ऐसी स्थिति में अस्थाई रूप से कार्यरत चपरासी के कंधों पर ही सारी जिम्मेदारी होती है.
चालीस रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लगा रखा है चपरासी
राजकीय महाविद्यालय सावर एकमात्र चपरासी के भरोसे है. कॉलेज प्रशासन ने यहां सत्यनारायण शर्मा को 40 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से व्यवस्था लगा रखा है, जो कॉलेज का गेट खोलकर बैठ जाता है और समय पूरा होने के बाद गेट बंद करके कर चला जाता है.
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