Masuda : नवरात्रि पर अन्नपूर्णा मंदिर में मां दुर्गा से प्रसाद में मिले अनाज के दाने बताते है मन्नत पूरी होगी या नहीं
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Masuda : नवरात्रि पर अन्नपूर्णा मंदिर में मां दुर्गा से प्रसाद में मिले अनाज के दाने बताते है मन्नत पूरी होगी या नहीं

Masuda : अजमेर के मसूदा के  भिनाय उपखंड की पंचायत सिंगावल में रेलवे पटरियों के नजदीक जंगल में पहाड़ी पर अन्नपूर्णा मातेश्वरी मन्दिर से हजारों श्रद्धालुओं की अकूत आस्था जुड़ी है, तो वहीं जुड़े है चमत्कारों के किस्से और किंवदंतियां भी.

Masuda : नवरात्रि पर अन्नपूर्णा मंदिर में मां दुर्गा से प्रसाद में मिले अनाज के दाने बताते है मन्नत पूरी होगी या नहीं

Masuda : अन्नपूर्णा मन्दिर का इतिहास 500 वर्षों से भी अधिक प्राचीन बताया जाता है. जहां सिन्हनुमा (शेर जैसी दिखने वाली)पहाड़ी पर मातारानी का मंदिर स्थित होने के कारण गांव का नाम सिंगांवल पड़ा. समय के साथ साथ मातेश्वरी के आशीर्वाद और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों श्रद्धालुओं के सहयोग से मन्दिर तक पहाड़ी की चढ़ाई को सुगम करने के लिए ग्रामीणों की पहल पर 300 सीढ़ियों का निर्माण करवाया गया, साथ ही पंचायत और श्रद्धालुओं के सहयोग से मन्दिर विकास संबंधी सराहनीय कदम उठाए गए.

पहाड़ी पर स्थित माता के मन्दिर परिसर में धर्मशाला, पानी के होद, पाइपलाइन ,वाटर कूलर, सुंदर सजावटी और छायादार पौधे लगाकर परिसर को रमणीक बनाया गया है. यहां प्रतिष्ठापित तात्कालीन प्रतिमा आज भी उतनी ही चमकदार और चमत्कारी प्रतीत होती है, जितनी की पहले रही होगी.

पहाड़ी चढ़ने से पूर्व स्थित मैदान पर बाउंड्री कर मेला ग्राउंड बनाया गया है और पक्का निर्माण कर बाहर से आए श्रद्धालुओं के आवास,अल्प प्रवास की व्यवस्था हेतु कई सुविधाएं भी की गई है रसोई , सवामणि इत्यादि करने के लिए पाक शालाएं भी बनवाई गई है. साथ ही पीने के पानी की भी उत्तम व्यवस्था की गई है.

शारदीय नवरात्र की अष्टमी को लगता है मेला
हर वर्ष शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को अन्नपूर्णा का विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जहां हजारों श्रद्धालु मातारानी के दर्शनार्थ पहुंचते है. वर्ष के दोनों नवरात्रों में मातेश्वरी के मन्दिर में भक्तों का ताता लगा रहता है. साथ ही हर रविवार मातारानी के दर्शानार्थ दरबार में सैंकड़ों श्रद्धालु उपस्थित होते है.

वार्षिक गांवाई थाली
सिंगावल के ग्रामीण भी मातारानी को वार्षिक थाली का भोग लगाते हैं, जिसमें गांव के प्रत्येक घर में प्रसाद बनाकर अन्नपूर्णा मन्दिर में भोग लगाया जाता है और माता से गांव और क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाती है. इस विशेष दिन सिंगावल के ग्रामवासी अपने रिश्तेदारों,सगे संबंधियों,बहिन बेटियों तथा मित्रों को प्रसाद ग्रहण करने हेतु आमंत्रित करते है.

अन्नपूर्णा मन्दिर में लगभग 42वर्षों से ढोल बजाने आ रहे शंभू राव और लगभग 29 वर्षों से बारोठिया परिवार से नवरात्र में आवासीय साधना करते आ रहे है. पुजारी परिवार की तीसरी पीढ़ी यहां सेवा दे रही है. माता के वर्तमान पुजारी भरत जोशी ने बताया कि उनके परिवार से आज तीसरी पीढ़ी अन्नपूर्णा रानी की सेवा कर रही है, उनके दादा स्व. शिवराज जोशी ने वर्षों तक अन्नपूर्णा की सेवा की उनके बाद पिता परमेश्वर जोशी के साथ अब वह खुद माता की सेवा पूजा करते है.

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माता की "पाती" और "आखे की ऐकी" करती है मनोकामनाएं पूर्ण
पुजारी भरत जोशी ने बताया कि अन्नपूर्णा माता मन्दिर से क्षेत्रवासियों की अपार श्रद्धा है. आज भी श्रद्धालु मातारानी से पाती देने की प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि अन्नपूर्णा द्वारा पाती दिए जाने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. वहीं दिए गए आखों में "एकी" का आना मनोकामना के पूर्ण होने का संकेत होता है.

मान्यता है कि मातारानी के समक्ष रखे अनाज में से याचक के लिए पुजारी द्वारा चिमटी में अनाज के दानों को लेकर ज्योत पर उंवारते है, उक्त दानों की संख्या यदि विषम संख्या होती है तो इसे एकी कहते है और प्रथम प्रयास में एकी का आना मातारानी का श्रद्धालु के इच्छित कार्य के पूर्ण होने मे आशीर्वाद माना जाता है.

ज्योत" और "अगर" करती है रोगमुक्त
माता की ज्योत से बच्चों में नजर का उतारा और कई शारीरिक कष्टों से मुक्ति प्रदान करते है. गाय के गोबर के उपलों , सूखे नारियल के गोलों की चटक और देशी घी से ज्योत जलाकर माता को धूप किया जाता है, उक्त ज्योत की अगर(भभूत) भी बच्चों को खिलाए जाने पर कई शारीरिक कष्टों से मुक्त करती है. अन्नपूर्णा मन्दिर के साथ क्षेत्रवासियों की धार्मिक आस्था जुड़ी है, जहां प्रदेश भर से हजारों श्रद्धालु दर्शनार्थ उपस्थित होते है. ग्रामीणों की मांग के अनुसार उन्होंने सरकार से उक्त धार्मिक केंद्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की विनम्र अपील की है.

शारदीय नवरात्रों की अष्टमी को आयोजित किए जाने वाले मां अन्नपूर्णा के मेले में प्रतिवर्ष नये आयोजनों के समावेश के साथ मेले को क्षेत्र के सबसे बड़े आयोजित किए जाने वाले मेलों मे शुमार करना उनकी प्राथमिकता है. पुजारी ने ये भी बताया कि मन्दिर एवं मेला मैदान में पक्के निर्माण कार्यों सहित कई अन्य विकास कार्य करवाए जा चुके है , सिंहद्वार वीरेंद्र सिंह राठौड़ (प्रादेशिक परिवहन अधिकारी अजमेर) के प्रयासो से निर्माणाधीन है जिसे जल्दी ही पूरा करवाया जाएगा और मां अन्नपूर्णा मन्दिर एवं मेला ग्राउंड विकास कार्य के तहत मसूदा विधायक राकेश पारीक द्वारा मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजनांतर्गत 20 लाख रुपए राशि स्वीकृति हेतु प्रस्ताव जिला कलेक्टर महोदय के पास भेजा गया है स्वीकृत होने पर कार्य प्रारंभ किया जाएगा.

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