अजमेर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 811वां उर्स रजब का चांद दिखाई देने पर 22 जनवरी से शुरू हो जाएगा.
Trending Photos
Ajmer News: राजस्थान के अजमेर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 811वां उर्स रजब का चांद दिखाई देने पर 22 जनवरी से शुरू हो जाएगा. उर्स को लेकर खुद्दाम ए ख्वाजा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. देशभर में जायरीनों को उर्स के लिए संभावित कार्यक्रम की जानकारी डाक द्वारा भेजी जा रही हैं. खादिमों द्वारा उर्स के बारे 1 महीने पहले ही जायरीनों को जानकारी दे दी जाती हैं, जिससे कि वह यहां समय पर पहुंच सकें. इसके साथ ही स्थानीय प्रशासन की ओर से भी विश्व प्रसिद्ध मेले को लेकर तमाम व्यवस्थाएं सुचारू की जा रही हैं.
धार्मिक नगरी अजमेर में विश्व प्रसिद्ध मेले को लेकर हर साल विशेष व्यवस्था की जाती है. इस साल भी देश दुनिया से आने वाले जायरीन को इसका निमंत्रण दिया जाना है, तो वहीं स्थानीय प्रशासन भी अपनी तैयारियों में जुट गया है. 811वें उर्स के प्रस्तावित कार्यक्रम में जानकारी ये हैं कि 22 जनवरी से उर्स शुरू होगा और 1 फरवरी 2023 तक उर्स की सभी रस्मे पूरी हो जाएंगी. चांद रात के दिन यानी 22 जनवरी 2023 को परंपरा के अनुसार, दरगाह में जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा. यदि इसी दिन रजब महीने का चांद दिखाई दे जाता है, तो रात से ही उर्स की महफिल शुरू हो जाएगी. देर रात को गरीब नवाज की मजार को गुस्ल देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. चांद नजर नहीं आने पर अगले दिन से यह रस्में होंगे.
दरगाह के खादिम सैयद फखर काजमी ने बताया कि उर्स 811वें उर्स की तैयारिया शुरू हो गई हैं. खासतौर पर जायरीनों के आने का, रहने का, खाने का इंतजाम किया जाता है और दरगाह शरीफ को रंग रोगन, धुलाई-पुताई से सजाया जाता है. पूरे भारत में एक मेले की शक्ल में रूप में तैयारी करते हैं. सरकारे गरीब नवाज का उर्स आ गया है और हमको जाना है. इस उर्स में खास बात ये हैं कि 811 में 11 अदद आए है, इसलिए लोगों में जोश और खरोश है. यहां पर हर साल की तरह इस साल भी सभी प्रकार की सुविधाएं जायरीनों को उपलब्ध करा दी जाती हैं, जिससे कि देश भर से आने वाले जायरीनों को कोई तकलीफ ना सकें. उर्स के खत्म होने पर खादिमों द्वारा तबरुक तस्किम किया जाता है, जो जायरीन किसी कारण से अजमेर शरीफ में ख्वाजा साहब की दरगाह में उर्स के मौके पर नहीं आ पाते हैं, उनको भी तबरुक भेजा जाता है.
25 जमादुल आखिर से ख्वाजा साहब के उर्स की रस्म शुरू होती हैं. उस दिन सुबह फजर की नमाज के बाद सरकार गारीब नवाज के आस्ताने मुबारक पर लोगों का आना जारी हो जाता है. शाम को दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म अदा की जाती है. यहां से उर्स की अनौपचारिक रूप से शुरुआत हो जाती है. उसके बाद चांद रात को ईशा के बाद गुस्ल दिए जाते हैं, जो चांद रात से 5 तारीख तक दिए जाते है और जन्नती दरवाजा 6 दिनों के लिए लगातार खुला रहता है. 6 तारीख को यानी छटी शरीफ को सुबह जायरीनों के लिए बंद किया जाता है, क्योंकि छटी शरीफ की रस्में मजारे मुबारक में अदा की जाती है, मैं दुआ करता हूं कि हमारे देश में अमन चैन भाई चारा मोहब्बत कायम रहे, हमारा देश खूब तरक्की करे.
विश्व प्रसिद्ध उर्स मेले में इस बार कोविड-19 महामारी के बाद यह पहला मौका होगा, जब सभी पाबंदी हटा दी गई है और समाज से डेढ़ गुना जायरीन जियारत के लिए पहुंचेंगे. ऐसे में स्थानीय पुलिस व प्रशासन की ओर से भी व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं. अजमेर दरगाह में सुरक्षा के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं के साथ कायड़ विश्राम स्थली में सभी के ठहरने की व्यवस्था भी की जा रही है. रेल और सड़क माध्यम से आने वाले जायरीन को लेकर भी पुलिस व प्रशासन अलर्ट पर है. इसे लेकर समय-समय पर बैठक कर अधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश भी दिए जा रहे हैं.
Reporter- Ashok Bhati