'नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी'...यहां पढ़िए चुनिंदा शायरियां

Harsh Katare
Dec 27, 2024

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

कल के बारे में ज़ियादा सोचना अच्छा नहीं चाय के कप से लबों का फासला है जिंदगी

छोटी सी जिंदगी है अरमान बहुत है हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत है

दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा एक ही रंग है दुनिया को जिधर से देखा

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया

चले तो पाँव के नीचे कुचल गई कोई शय नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम

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