Constitution Day 2023: आज देश 73वां संविधान दिवस मना रहा है. संविधान के बारे में सब ने सुना है, लेकिन कम ही लोग होंगे, जिन्होंने संविधान की मूल प्रति को देखा होगा. आज हम दिखा रहे हैं इसकी मूल प्रति जो ग्लालियर के सेंट्रल लायब्रेरी में रखी हुई है. इसके साथ ही इससे जुड़े कुछ खास जानकारी भी यहां हम दे रहे हैं.
16 में से एक प्रति ग्वालियर में:- संविधान लागू होने के समय देशभर में कुल 16 मूल प्रतियां जारी की गई थीं. भारत सरकार ने एक मूल प्रति सिंधिया राजवंश को दी थी. 1950 में सिंधिया राजवंश को मिली ये मूल प्रति सन 1956 में महाराज बाड़ा स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई. लाइब्रेरी में यह प्रति 31 मार्च 1956 में आई थी.
एक हजार साल है इन कागजों की उम्र:- लाइब्रेरी के प्रबंधकों का कहना है कि संविधान का ये कागज बेहत उच्च गुणवत्ता वाला है, जिसकी उम्र एक हजार साल तक रहेगी. हर साल संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस के मौके पर लाइब्रेरी में संविधान की मूल प्रति लोगों के देखने के रखी जाती है. सामान्य तौर पर यह अलमारी में सुरक्षित रहती है. गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और संविधान दिवस के मौके पर इसे देखने के लिए काफी लोग आते हैं.
लोग इसे देख गौरव महसूस करते हैं:- संविधान की प्रति को देखने आने वाले भी इसे अनमोल मानते है, साथ ही उनका कहना है कि इससे हमे देश के गौरवशाली संविधान के बारे में जानने का मौका भी मिलता है. इसके साथ वो इसे देखने पर अपने देश के गौरवशाली इतिहास पर गर्व करते हैं.
संविधान की प्रति की जानकारी
- संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को ड्राफ्टिंग का गठन हुआ
- लगभग दो साल बाद 26 नवंबर 1949 पूर्ण रूप से संविधान तैयार हुआ
- संविधान के निर्माण में कुल 284 सदस्यों का सहयोग रहा
- संसदीय समिति ने 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया
- उस समय संविधान की 16 मूल प्रतिया बनाई गई थी
- संविधान की एक प्रति ग्वालियर की सेन्ट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है
साल में तीन बार प्रदर्शित होती है संविधान की प्रति:- आज के दौर के लिहाज से संविधान की मूल प्रति का डिजिटल वर्ज़न तैयार हो गया है, लायब्रेरी की स्क्रीन पर डिजिटल वर्जन का प्रदर्शन हर वक्त किया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं. हालांकि सेंट्रल लायब्रेरी में संविधान की मूल प्रति साल में सिर्फ तीन बार देखने के लिए बाहर रखी जाती है.
संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना और समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना है. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथों से बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई थी. इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था.
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