एलसीएच ऊंचे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इससे चीन बॉर्डर पर भारत की रक्षा क्षमताओं में इजाफा होगा. ये हेलीकॉप्टर सियाचिन ग्लेशियर के साथ ही लद्दाख में भी काम करने में सक्षम हैं.
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नई दिल्लीः देश में बने लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया है. सोमवार को जोधपुर में हुए एक कार्यक्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एलसीएच को आधिकारिक रूप से वायुसेना में शामिल किया. इस हेलीकॉप्टर से भारत की कॉम्बैट क्षमताओं में इजाफा होगा और चीन और पाकिस्तान के बॉर्डर पर भी मजबूती मिलेगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एलसीएच की खूबियों को देखते हुए इसे प्रचंड नाम दिया है.
दुनिया के सबसे शानदार हेलीकॉप्टर्स में शामिल
एलसीएच दुनिया के सबसे बेहतरीन कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स में से एक है और यह दुनिया का एकमात्र हेलीकॉप्टर है जो 5000 मीटर की ऊंचाई पर लैंड और टेक ऑफ कर सकता है. एलसीएच को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है. यह हेलीकॉप्टर 5.8 टन वजनी है और दो इंजन से लैस है. हेलीकॉप्टर का इंजन भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने फ्रांस की इंजन बनाने वाली कंपनी साफरान के साथ मिलकर ही विकसित किया है.
कारगिल युद्ध से आया आइडिया
कारगिल युद्ध के दौरान जब दुश्मन ऊंची पहाड़ियों पर बैठा हुआ था तो उस वक्त देश की सेनाओं को ऐसे अटैक हेलीकॉप्टर की जरूरत महसूस हुई थी, जो दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सके. उस वक्त भारतीय सेना के पास रूस में निर्मित एमआई-35 हेलीकॉप्टर थे, जो कारगिल की ऊंची पहाड़ियों तक पहुंचने में नाकाम रहे थे. इससे भारतीय सैनिकों को काफी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा था. इसके बाद एचएएल ने करीब दो दशक के रिसर्च और डेवलेपमेंट के बाद एलसीएच का निर्माण किया.
चीन, पाकिस्तान को जवाब
एलसीएच ऊंचे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इससे चीन बॉर्डर पर भारत की रक्षा क्षमताओं में इजाफा होगा. ये हेलीकॉप्टर सियाचिन ग्लेशियर के साथ ही लद्दाख में भी काम करने में सक्षम हैं. वहीं जोधपुर जैसे रेगिस्तानी इलाकों में इसके काम करने की क्षमता को देखते हुए पाकिस्तान को तगड़ा जवाब दिया जा सकेगा.
जानिए एलसीएच हेलीकॉप्टर की खूबियां
इस हेलीकॉप्टर में 20एमएम की गन, 70 एमएम का रॉकेट सिस्टम और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल लगी है. यह दो लोगों के बैठने की क्षमता वाला दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है. जिनमें पायलट और को-पायलट शामिल होता है. यह हेलीकॉप्टर 51.10 फीट लंबा और 15.5 फीट ऊंचा है. एलसीएच अधिकतम 700 किलो वजन के हथियार लेकर अधिकतम 5800 किलो वजन के साथ उड़ान भर सकता है. यह 268 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. एलसीएच एक बार में उड़ान भरने के बाद अधिकतम 3 घंटे 10 मिनट तक उड़ान भर सकता है.
इस हेलीकॉप्टर को वायु रक्षा, काउंटर अटैक, खोज और बचाव, टैंकरोधी आदि भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है. यह रेगिस्तान और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी काम कर सकता है. इसके साथ ही एलसीएच चौबीसों घंटे तैनाती, सर्च और रेस्क्यू, दुश्मन के एयर डिफेंस पर हमला और काउंटर इमर्जेंसी जैसे ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने में सक्षम हैं.
3,887 करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी
इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीएस) की बैठक में स्वदेश विकसित 15 एलसीएच को 3,887 करोड़ रुपये में खरीद को मंजूरी दी गई थी. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 10 हेलिकॉप्टर वायुसेना और पांच थलसेना के लिए होंगे. देश में विकसित इन हल्के लड़ाके हेलिकॉप्टरों को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि ये दुश्मन के किसी भी रडार से बच निकलने में सक्षम है. इसके अलावा ये हेलिकॉप्टर रात के समय में किसी भी आपात स्थिति में हमला करने के लिए तैयार किए गए हैं.