जुलू जनजाति में ये भी प्रथा है कि वर्जिनिटी टेस्ट पास करने के बाद लड़की को जुलू जनजाति के पारंपरिक परिधान में डांस करना होता है. बता दें कि जुलू जनजाति के पारंपरिक परिधान में लड़कियां टॉपलेस रहती हैं.
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नई दिल्लीः दुनियाभर की विभिन्न जनजातियों में कई रीति-रिवाज ऐसे होते हैं, जो काफी अजीब होते हैं. हालांकि सदियों से इन रीति-रिवाजों का पालन किया जा रहा है. ऐसा ही एक रिवाज है दक्षिण अफ्रीका में पाई जाने वाली जुलू जनजाति का, जिसमें जुलू जनजाति की लड़कियों को 21 साल की होने पर वर्जिनिटी टेस्ट देना होता है. वर्जिनिटी टेस्ट में पास होने पर लड़की के परिजन भव्य पार्टी का आयोजन करते हैं, जिसमें खाना-पीना और डांस होता है.
दरअसल जुलू जनजाति में प्रथा है कि वहां लड़की के परिजन ध्यान रखते हैं कि उनकी बेटी 21 साल की उम्र तक वर्जिन रहे और इस दौरान वह किसी के साथ शारीरिक संबंध ना बनाए. 21 साल की होने पर लड़की का वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है और अगर लड़की उस टेस्ट में पास हो जाती है तो परिजन इस खुशी में भव्य पार्टी का आयोजन करते हैं, जिसमें उनके समुदाय के लोग शामिल होते हैं और खूब नाच-गाना और खाना-पीना होता है. दरअसल लड़की के वर्जिनिटी टेस्ट पास करने पर लड़की के परिजनों की समाज में इज्जत बढ़ती है और यह माना जाता है कि उनकी लड़की पवित्र है.
जुलू जनजाति में ये भी प्रथा है कि वर्जिनिटी टेस्ट पास करने के बाद लड़की को जुलू जनजाति के पारंपरिक परिधान में डांस करना होता है. बता दें कि जुलू जनजाति के पारंपरिक परिधान में लड़कियां टॉपलेस रहती हैं. इस प्रथा का स्याह पक्ष ये है कि जो लड़कियां वर्जिनिटी टेस्ट पास नहीं कर पाती हैं, उन्हें समाज और परिवार में तिरस्कार झेलना पड़ता है. समुदाय उस लड़की को अपमान की दृष्टि से देखता है. कई बार लड़कियां वर्जिनिटी टेस्ट में फेल होने के बाद डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती हैं. हालांकि सदियों से जुलू जनजाति में यह प्रथा बदस्तूर जारी है.
जुलू जनजाति दक्षिण अफ्रीका की सबसे बड़ी जनजाति है और इनकी संख्या 20वीं शताब्दी में करीब 90 लाख थी. दक्षिण अफ्रीका की 22 फीसदी आबादी इसी जनजाति से ताल्लुक रखती है. आज इस जनजाति के लोग मॉर्डन जिंदगी जी रहे हैं और ईसाई धर्म अपना चुके हैं. हालांकि अभी भी यह अपनी प्रथाओं से जुड़े हुए हैं.