Papmochani Ekadashi: एकादशी हर 15 दिन में एक बार आती है. लेकिन, इसका हर बार कुछ अलग नाम और फल होता है. इसी के अनुसार हर एकादशी के लिए विधि और मुहूर्त होता है. आइये 5 अप्रैल को पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी के बारे में जानते हैं.
सनातन मान्यता में एकादशी का काफी महत्व है. बहुत से लोग इसदिन व्रत रखते हैं और जो व्रत नहीं रखते वो भी इस दिन पूजा पाठ में संलग्न होते हैं और ईश्वर की आराधना करते हैं. आइये जानते हैं 5 अप्रैल को पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी के व्रत, विधि और मुहूर्त के बारे में सारी जानकारी.
5 अप्रैल को पापमोचनी एकादशी है. माना जाता है कि इस दिन कुछ उपाय करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही जीवन की कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला ने एक मीडिया संस्थान से इस संबंध में चर्चा कर सारी जानकारी बताई है.
चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष पर आने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं. यह एकादशी इस साल 5 अप्रैल को पड़ रही है. ग्रंधों की माने तो इस एकादशी के व्रत से जाने या अनजाने में हुए पाप कट जाते हैं. इस दिन विधि, विधान से पूजन करने के और भी लाभ मिलते हैं.
एकादशी के दिन सुबह स्नान करके फुरसत हो जाएं और भगवान विष्णु की पूजा करें. इसके बाद घी का दीपक जलाकर धोखे से भी हुए पापों के लिए माफी मांगें और भगवान से प्रार्थना करें. इस दौरान ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पापमोचनी एकादशी के नाम से ही स्पष्ट है कि यह सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाली है. यह व्रत रखने से जन्म-जन्मांतर के पाप खत्म हो जाते हैं और मोक्ष मिलता है.
पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में कहा जाता है कि इस व्रत को विधी पूर्वक करने से सभी तीर्थ स्थलों के दर्शन करने और गायों के दान से भी ज्यादा पुण्य होता है.
वैदिक पंचांग के मुताबिक, एकादशी 4 अप्रैल को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो जाएगी. इसका समापन अगले दिन 5 अप्रैल को होगा. दोपहर 1 बजकर 29 मिनट में उदयातिथि को आधार इसका पारण किया जा सकता है.
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