Albert Einstein Birthday: पैथोलॅाजिस्ट ने क्यों चुराया था आइंस्टीन का दिमाग, जानिए कितना खास था इनका ब्रेन
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Albert Einstein Birthday: पैथोलॅाजिस्ट ने क्यों चुराया था आइंस्टीन का दिमाग, जानिए कितना खास था इनका ब्रेन

Albert Einstein Brain: आज के समय में भी एल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein Brain) के दिमाग का उदाहरण दिया जाता है. आइंस्टीन 20 वीं शताब्दी में सबसे प्रभावशाली फिजिसिस्ट (physicist)में एक थे. जब उनका निधन हुआ तो उनका दिमाग पैथोलॅाजिस्ट थॅामस हार्वे (Thomas Harvey) ने चुरा लिया और उसके 240 टुकड़े करके उस पर अध्ययन (Study in Einstein Brain) किया.  

फाइल फोटो

Albert Einstein Birthday: एल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म में हुआ था. आइंस्टीन का दिमाग (Einstein Brain) इतना तेज था कि आज भी लोग उनका उदाहरण देते हैं. आइंस्टीन 20 सदीं के सबसे प्रभावशाली फिजिसिस्ट (physicist) में एक थे जिनके दिमाग की चर्चा दुनिया भर के हर कोने में होती थी. आइंस्टीन अपने जीवन काल में कई पुरूस्कार (award) जीते लेकिन जब इनका निधन हुआ तो इनके दिमाग को पैथोलॅाजिस्ट थॅामस हार्वे ने चुरा लिया. उन्होंने क्यों ऐसा किया इसका क्या रहस्य है जानते हैं.

बिना अनुमति के चुराया दिमाग
आइंस्टीन का निधन 18 अप्रैल 1955 को प्रिंसटन अस्पताल में हुआ. उनके निधन के बाद बिना परिजनों की अनुमति से पैथोलॅाजिस्ट हार्वे ने उनके दिमाग को चुरा लिया. लेकिन जब ये बात सामने आई तो पैथोलॅाजिस्ट ने आइंस्टीन के बेटे से इसकी अनुमति प्राप्त की. लेकिन कहा गया कि इसका इस्तेमाल केवल विज्ञान के हितों के लिए किया जाएगा.

आइंस्टीन चाहते थे दाह संस्कार
ब्रायन ब्यूरेल की पुस्तक पोस्टकार्ड्स फ्रॅाम द ब्रेन म्यूजियम के अनुसार पता चला कि आइंस्टीन चाहते थे कि जब उनका निधन हो तो उनका अंतिम संस्कार किया जाए. वो नहीं चाहते थे कि उनके शरीर और दिमाग का अध्ययन किया जाए. उनकी किताब के अनुसार वो चाहते थे कि उन्होंने पहले से ही लिख दिया था कि उनका अंतिम संस्कार किया जाए और राख को कहीं बिखेर दिया जाए.

बियर कूलर में छिपाकर की स्टडी
प्रिंसटन अस्पताल में आइंस्टीन के निधन के बाद थॅामस हार्वे की नौकरी चली गई. इसके बाद वो आइंस्टीन का दिमाग लेकर फिलाडेल्फिया लेकर चले गए. इसके बाद यहां पर उन्होंने दिमाग के 240 टुकड़े किए और उसे सेलोइडिन में रख दिया. उन्होंने टुकड़ों को दो जार में विभाजित करके रख दिया.

उनके ऐसा करने की वजह से उनकी पत्नी नाराज हो गई और टुकड़ों को नष्ट करने की धमकी देने लगी इसकी वजह से वो इसे लेकर मिडवेस्ट चले गए और यहां पर वो एक बायो लेब्रोरेट्री में एक मेडिकल सुपरवाइजर के रूप में नौकरी करने लगे. इल दौरान उन्होंने एक बीयर कूलर में आइंस्टीन के दिमाग के टुकड़ों को रख दिया था.

मिसौरी में भी किया अध्ययन
थॅामस हार्वे आइंस्टीन के दिमाग को कुछ दिन बाद लेकर वेस्टन, मिसौरी चले गए और यहां पर खाली समय में ये आइंस्टीन के दिमाग का अध्ययन करने लगे. कहा जाता है कि साल 1988 में इन्होंने अपना मेडिकल लाइसेंस भी खो दिया.

ऐसा था आइंस्टीन का दिमाग
साल 1985 में कैलिफोर्निया में थॅामस हार्वे और उनके सहयोगियों ने मिलकर आइंस्टीन के दिमाग का पहला अध्ययन प्रकाशित किया. इसमें इन्होंने दावा किया कि इनके दिमाग में न्यूरॅान्स और ग्लिया दो प्रकार की कोशिकाओं का असामान्य अनुपात था. इसके बाद आइंस्टीन के दिमाग को लेकर पांच और स्टडी प्रकाशित हुई जिसमें कहा गया कि आइंस्टीन के मस्तिष्क का अध्ययन करने से दिमाग के तंत्रिका संबंधी आधारों को उजागर करने में काफी मदद मिल सकती है.

नोबेल पुरूस्कार
एल्बर्ट आइंस्टीन को 09 नवंबर, 1922 को उन्हें 'सैद्धांतिक भौतिकी' में अपनी सेवाओं के लिए और विशेष रूप से फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्‍ट की खोज के लिए 'फिजिक्‍स में 1921 का नोबेल पुरूस्कार दिया गया था. इसके अलावा कहा जाता है कि आइंस्टीन ने प्रिंसटन कार्यालय में एक ब्लैकबोर्ड पर लिखा था कि 'जो कुछ भी मायने रखता है उसे हमेशा गिना नहीं जा सकता है, और वह सब कुछ नहीं जो गिना जा सकता है, जरूरी नहीं वह मायने रखता हो'.

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