बांधवगढ़ में कैपेसिटी से ज्यादा हुए बाघ, लगातार हो रहे बाघ के हमलों से 96 गांवों में फैली दहशत
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बांधवगढ़ में कैपेसिटी से ज्यादा हुए बाघ, लगातार हो रहे बाघ के हमलों से 96 गांवों में फैली दहशत

बाघों की सघनता और सहजता से बाघ दर्शन के लिए दुनिया भर में मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बफर एरिया से लगे 96 गांवो के ग्रामीण बाघ की दहशत का सामना कर रहे हैं.

बांधवगढ़ में कैपेसिटी से ज्यादा हुए बाघ, लगातार हो रहे बाघ के हमलों से 96 गांवों में फैली दहशत

Bandhavgarh Tiger Reserve: बाघों की सघनता और सहजता से बाघ दर्शन के लिए दुनिया भर में मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बफर एरिया से लगे 96 गांवो के ग्रामीण बाघ की दहशत का सामना कर रहे हैं. आलम यह है कि बाघों के हमले से इसी वर्ष में अप्रैल के बाद से छह ग्रामीणों की असमय जाने चली गईं, और दर्जनों मवेशी रोजाना बाघ का निवाला बन रहे हैं.  प्रबंधन के मुताबिक टाइगर रिजर्व में केयरिंग कैपेसिटी से ज्यादा बाघों का मौजूद है. अब बाघ जंगल से लगे गावों में पहुंच रहे हैं.

बता दें कि बांधवगढ़ के कोर और बफर क्षेत्र मिलाकर कुल 1680 वर्ग किमी के जंगल में 100 बाघों के रहवास की क्षमता है लेकिन वर्ष 2022 की गणना में यहां 160 से ज्यादा बाघों की मौजूदगी के आंकड़ें जारी हुए है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है. संख्या बढ़ने से बाघ जंगल से लगे गांवों की ओर रुख कर रहे हैं. जहां उनका सामना ग्रामीणों से होता है और हमले में ग्रामीणों की जान चली जाने से प्रबंधन को मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट का सामना करना पड़ता है. वहीं ग्रामीण भी बाघों के दहशत के साए में जी रहे हैं.

12 बाघों की मौत हुई
बांधवगढ़ में बढ़ी बाघों की संख्या महज मानव जीवन के लिए खतरा नहीं बनी बल्कि गांवों के आसपास रहवास बनाने से बाघों की मौत के आंकड़ें भी बढ़े हैं. वर्ष 2023 की शुरुआत से देखें तो बांधवगढ़ में अब तक 12 बाघों की मौत हो चुकी है जो पूरे मध्यप्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्वो में हुई कुल 35 बाघों की मौत में से सर्वाधिक है. गांवों में बाघों की दहशत रोकने प्रबंधन अब तक नौ बाघों का रेस्क्यू भी कर चुका है. बावजूद इसके पार्क प्रबंधन ग्रामीणों को बाघ की समस्या से निजात दिलाने और बाघों को गांवो की ओर जाने से रोकने में नाकाम है.

हालांकि वन्य जीव विशेषज्ञों का तर्क है कि बाघ प्रभावित गांवों के चरवाहों को जंगल में जाने से रोकने के लिए गांव के आसपास आर्टिफिशयल ग्रासलैंड बनाकर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है. वहीं जिला प्रशासन ग्रामीणों को राहत प्रदान करने के अलग अलग प्रयास करने के दावे कर रहा है.

बांधवगढ़ में बढ़ी बाघों को संख्या मानव और वाण्यजीवों के बीच सैकड़ो हजारों वर्षों से चली आ रही सहअस्तित्व के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है. कॉन्फ्लिक्ट को रोकने प्रबंधन के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं और मानव वन्य जीव के बीच द्वंद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. अब देखना होगा कि आने वाले समय में प्रबंधन इसे रोकने में सफल होता है या फिर इस तरह की घटनाओं को रोकने में प्रबंधन के दावे हमेशा की तरह कागजी ही साबित होंगे.

रिपोर्ट - अरुण त्रिपाठी

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