रीवा को सूखा ग्रस्त जिला घोषित करने की मांग, किसानों को मिलेगा मुआवजा
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रीवा को सूखा ग्रस्त जिला घोषित करने की मांग, किसानों को मिलेगा मुआवजा

रीवा (Rewa News) जिले के विधायकों ने सीएम शिवराज सिंह से मुलाकात की. विधायकों ने सीएम से रीवा जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की गई. 

रीवा को सूखा ग्रस्त जिला घोषित करने की मांग, किसानों को मिलेगा मुआवजा

आकाश द्विवेदी/भोपालः रीवा संभाग के विधायकों ने आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. यह मुलाकात भोपाल में हुई. इस दौरान रीवा के विधायकों ने रीवा जिले को सूखाग्रस्त जिला घोषित करने की मांग की. रीवा जिले में कम बारिश हुई है और इसकी वजह से किसानों की फसलें सूख रही हैं. विधायकों ने सीएम से मांग की है कि किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए राहत राशि दी जाए. 

रीवा के त्योंथर से विधायक श्याम लाल द्विवेदी ने बैठक के बाद बताया कि मुख्यमंत्री ने सूखा राहत देने की बात कही है और विधायकों से उनके क्षेत्र को लेकर चर्चा की. वहीं सरकार में विंध्य को प्रतिनिधित्व देने के सवाल पर श्यामलाल द्विवेदी ने कहा कि विंध्य से प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. विंध्य का बड़ा योगदान है लेकिन यह संगठन तय करेगा. उन्होंने ये भी दावा किया कि 2023 में रीवा की सभी 8 सीटों पर बीजेपी को जीत मिलेगी. रीवा के भाजपा जिला अध्यक्ष अजय सिंह ने भी कहा कि सीएम से कम बारिश को लेकर चर्चा हुई.

बता दें कि इस सीजन में मध्य प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश हुई और इसके चलते बाढ़ के हालात रहे लेकिन कई जिले ऐसे भी हैं, जहां सामान्य से कम बारिश हुई. जिन जिलों में कम बारिश हुई, उनमें दतिया, रीवा, सतना, झाबुआ, अलीराजपुर शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन जिलों में 20 से 60 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है. रीवा में करीब 40 फीसदी कम बारिश हुई है, जिससे यहां सूखे के हालात पैदा हो गए हैं. 

किसानों को मिलेगा ये फायदा
बता दें कि किसी जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने पर वहां के किसानों को काफी राहत मिलती है. सूखाग्रस्त घोषित होने पर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें राजस्व विभाग, सिंचाई विभाग समेत कई अन्य सरकारी विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं. यह कमेटी तय करती है कि सूखाग्रस्त जिले के हर किसान को किस फसल में कितना नुकसान हुआ है. नुकसान का आकलन फसल के बिकने पर होने वाले लाभ के आधार पर किया जाता है और लाभ के 50 फीसदी के बराबर राहत राशि किसानों को दी जाती है. साथ ही यदि किसान ने फसल बुवाई के लिए लोन लिया है तो उसमें भी राहत दी जाती है और किसानों से तय समयसीमा के बीच का ब्याज भी नहीं लिया जाता है. जिन फसलों का बीमा होता है, उन्हें भी बीमे की राशि का भुगतान किया जाता है.  

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