Earth Day 2024: हरे-भरे जंगल, जंगल में जानवर और जानवरों की चहलकदमी हर किसी को देखना अच्छा लगता है. यह प्राकृतिक सुंदरता मन को शांति देने के लिए अलावा स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है. यहीं नहीं पर्यावरण का यह संतुलन हमानी पृथ्वी का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. भारत में मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा एरिया में जंगल है. यहां कई नेशनल पार्क हैं, जिन्हें देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं. आज अर्थ-डे के मौके पर एमपी के सभी नेशनल पार्क के बारे में बताते हैं...
अर्थ डे हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है. यह पर्यावरण को सुरक्षित रखने और पर्यावरण के स्थिरता के महत्व की याद दिलाता है. अर्थ डे का मकसद अपने पृथ्वी के पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उसे बचाने के प्रयासों को संगठित करने का होता है.
इस साल अर्थ डे का थिम "प्लेनेट VS प्लास्टिक"( Planet VS Plastics) है. यह थिम पृथ्वी के पर्यावरणीय में सुधार, जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देता है.
भारत में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र मध्य प्रदेश राज्य में है. पर्यावरणीय की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश में कई योजना बनाई गई है. यह प्रदेश हमेशा से कई जानवरों और प्रकृती की सुरक्षा में आगे रहा है. यही कारण है की मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या भारत में सबसे अधिक है. एमपी के नेशनल पार्कों में पर्यावरणीय को सुरक्षित रखने के लिए हर कदम उठाए है.
बांधवगढ़ राष्ट्रीय पार्क अपने बाघों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है. उनका बेहद ही सही तरीके से उच्च घनत्व वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक सुखद आश्चर्य है. जैव-भौगोलिक वर्गीकरण के अनुसार, पार्क क्षेत्र 6 ए-डेक्कन प्रायद्वीप, केंद्रीय हाइलैंड्स में स्थित है.
प्रमुख प्रजातियों की एक विविध श्रृंखला के साथ, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान 50 स्तनपायी प्रजातियों का घर है, जिनमें से 14 लुप्तप्राय स्तनपायी और सरीसृप प्रजातियां हैं, और 52 से अधिक रॉयल बंगाल टाइगर्स हैं जो एक रोमांचक जंगल सफारी के लिए हजारों वन्यजीव प्रेमियों का ध्यान आकर्षित करते हैं.
कान्हा पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुए, स्लॉथ भालू, बारासिंघा और भारतीय जंगली कुत्ते की महत्वपूर्ण आबादी है. रुडयार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध उपन्यास द जंगल बुक में दर्शाया गया जंगल इस अभ्यारण्य सहित जंगलों पर आधारित है। यह आधिकारिक तौर पर शुभंकर, "भूरसिंह द बारासिंघा" पेश करने वाला भारत का पहला बाघ अभयारण्य भी है.
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान ने भारत में एक संरक्षण इतिहास रचा है. अभी कुछ समय पहले इस राष्ट्रीय उद्यान के सभी बाघों का शिकार कर लिया गया था। वन विभाग के सघन प्रयास के बाद ही पन्ना में महज 3 बाघों से शुरू हुई बाघों की संख्या अब 35 बाघों के करीब पहुंच गई है.
वन विहार में पूरी तरह से स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रबंधन है. एक पूर्णकालिक पशुचिकित्सक, जो वन्यजीव स्वास्थ्य और प्रबंधन में योग्य है, को जानवरों की नियमित स्वास्थ्य निगरानी और पशु चिकित्सा देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वह वन विहार टीम के साथ जानवरों की भलाई सुनिश्चित करते हैं.
कुनो राष्ट्रीय उद्यान को विलुप्त जानवर की देक रेक करने के लिए इष्टतम स्थान के रूप में चुना गया था. पार्क में चिंकारा, चित्तीदार हिरण और काले हिरण की अच्छी आबादी है, जिनका चीता शिकार कर सकते हैं और जंगल में बढ़ सकते हैं. इसे एशियाई शेर और चीतों के पुनरुत्पादन परियोजना को लागू करने के लिए एक संभावित स्थल के रूप में चुना गया है, जिसका उद्देश्य भारत में शेरों और चीतों की दूसरी आबादी स्थापित करना था.
दुर्लभ, लुप्तप्राय से लेकर असुरक्षित तक, पार्क कई जंगली प्रजातियों की निवास भूमि के रूप में कार्य करता है. यह अपने बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है. वर्तमान में, पार्क क्षेत्र के शिकार-समृद्ध जंगलों में लगभग 50 बाघ रहते हैं.
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