MP Mysterious River: मध्य प्रदेश में कई ऐसे एतिहासिक स्थल है जिसकी पौराणिक मान्यता दूर- दूर तक प्रसिद्ध है, ऐसी ही एक नदी है गुप्त गोदावरी, जिसका इतिहास काफी ज्यादा रहस्यमयी है, चित्रकूट के राम घाट से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है. गुप्त गोदावरी नाम का स्थान न केवल अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. बल्कि यहां की रहस्यमयी गुफाएं और अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं. यहां विंध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं से दो जल-धाराएं फूटती है. ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं. जानिए क्या है इसकी धार्मिक मान्यता.
मध्यप्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में एक रहस्यमयी नदी है. जिसे गुप्त गोदावरी के नाम से जाना जाता है. जो चित्रकूट के राम घाट से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित है. गुप्त गोदावरी नाम का स्थान न केवल अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है.
यहां की रहस्यमयी गुफाएँ और अद्भुत प्राकृतिक दृश्य भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. यहां विंध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं से दो जल-धाराएं फूटती हैं. ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं. दूसरी गुफा कुछ नीचे है. इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है.
गुफा संकरी होती हुई बंद हो जाती है. जहां गुफा बंद होती है वहीं से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद वह जल एक पीपल के वृक्ष के पास पहुंचकर गुप्त हो जाता है. इसलिए इसे गुप्तगोदावरी के नाम से पुकारा जाता है.
गुप्त गोदावरी में दो प्रमुख गुफाएं हैं, जिनमें से एक बड़ी और दूसरी छोटी लेकिन लंबी है. बड़ी गुफा में प्रवेश करते ही पर्यटकों को एक अजीब सी खामोशी का एहसास होता है. इस गुफा में पानी नहीं मिलता और जैसे-जैसे आप गुफा के अंत में पहुंचते हैं, खामोशी और सन्नाटा और भी बढ़ जाता है.
गुफा के आखिरी में एक तालाब पाया जाता है. जो इस स्थान के रहस्य को और भी गहरा कर देता है. दूसरी गुफा में पानी भरा होता है. और जैसे-जैसे आप अंदर जाते हैं, पानी आपके घुटनों तक पहुंच जाता है. इन गुफाओं में चलते हुए कुछ स्थानों पर पानी का एहसास होता है. जबकि वहां पानी नहीं होता, जो एक और रहस्य उत्पन्न करता है.
गोदावरी धारा की विशाल जलराशि वाली दूसरी गुफा से जल निकलकर बाहर कुंड के बाद दिखाई नहीं देता. कहा जाता है इस गुफा में बहने वाली गोदावरी के उद्गम के बारे में कई जानकारों और विशेषज्ञों ने खोज करने की कोशिश की. लेकिन अब तक रहस्य बरकरार है.
हिंदू पौराणिक महाकाव्य रामायण में गुप्त गोदावरी का जिक्र है, कहा जाता है कि भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के दौरान कुछ समय के लिए इस गुफा में रुके थे और एक दरबार भी लगाया था.
इतिहासकारों के अनुसार, गुफा के भीतर की चट्टानों से गोदावरी नदी बहती है, जो पहाड़ों में गायब हो जाती है, बाद में पानी विशाल चट्टान की छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है, कहा जाता है कि जहां से पानी निकलता है, वह स्थान दानव मयंक के अवशेष के रूप में मौजूद हैं.
पुरानी कथाओं के अनुसार, जब माता सीता नहा रही थीं, तब दानव मयंक ने उनके कपड़े चुराने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप लक्ष्मण ने उसे मारकर गुफा की छत पर चिपका दिया था, आज भी वह स्थान गुफा की पीली छत से बाहर निकली काली चट्टान के रूप में मौजूद हैं.
किंवदंती के अनुसार, गोदावरी नदी नासिक से केवल राम के दर्शन के लिए इस स्थान पर बहती थी, गुप्त गोदावरी गुफा से निकलने वाली यह नदी एक तालाब में बहती है और फिर भूमिगत हो जाती है, यह स्थान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी रहस्यमयी घटनाओं और अद्भुत प्राकृतिक संरचनाओं के कारण भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
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