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मध्य प्रदेश में बड़ी खोज: बांधवगढ़ में मिलीं हजारों साल पुरानी मंदिर और गुफाएं, देखें फोटो

historic monuments: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक बार फिर मध्य प्रदेश में कई ऐतिहासिक चीजों की खोज की है. ASI को बांधवगढ़ में हजारों साल पुरानी मंदिर और गुफाएं मिली हैं. माना जा रहा है इनके जरिए भारत के इतिहास और संस्कृति के विषय में कई काफी अहम जानकारीयों मिल पाएंगी.

 

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पुरातत्व विभाग की खुदाई में 26 मंदिरों की शृंखला मिली है, जिनमें भगवान विष्णु की शयन मुद्रा की प्रतिमा के साथ बड़ी-बड़ी वराह की प्रतिमा भी मिली हैं. खोज के लिए बांधवगढ़ के करीब 170 स्क्वायर किमी इलाके की पहचान की गई है. इसे सबसे पहले 1938 में पहचाना गया था.

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बताया जा रहा है बांधवगढ़ में मिले 26 मंदिर कलचुरी कालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच के बौद्ध कालीन मंदिर हैं. इसमें दो बौद्ध मठ, दो स्तूप, 24 ब्राह्मी लिपियां , 46 मूर्तियां और दूसरी से लेकर 15वीं शताब्दी की 19 पानी की संरचना मिली हैं.

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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1100 स्कावायर मीटर में फैला है. अभी एक जोन तलागर में सर्च अभियान चला है. यहां मिलीं पत्थर की प्राचीन गुफाएं मानव द्वारा बनाई गई हैं.  इनमें बौद्ध धर्म से जुड़े कई अहम तथ्य मिले हैं.

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ASI को एक वराह प्रतिमा मिली है, जो 6.4 मीटर लंबी, 5.03 मीटर ऊंची और 2.77 मीटर चौड़ी है. ये अभी तक मिली सभी वराह की मूर्तियों से कई गुना बड़ी है.

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टाइगर रिजर्व में मिले मंदिर 9वीं सदी के हैं. मंदिर 2000 साल पुराने हैं जिनमें कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं. इसमें भगवान विष्णु की शयन मुद्रा वाली मूर्ति और और वराह की मूर्तियां खास हैं.

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एएसआई को कुल 26 गुफाएं मिली हैं. ये गुफाएं महाराष्ट्र की गुफाओं से मिलती-जुलती हैं. गुफाओं को बौद्ध धर्म से जोड़कर देखा जा रहा है. एएसआई के मुताबिक, ये गुफाएं मानव निर्मित हैं.

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यहां मिली आकर्षक मूर्तियां भगवान विष्णु के दशावतार से जुड़ी हैं. इनमें विष्णु के वराह, कूर्म व मत्स्य अवतार की मूर्तियां व एक जलाशय के पास शयन करते विष्णु की बेहद विशाल मूर्ति प्रमुख हैं. जानकारी के अनुसार, एक मंदिर में राम दरबार भी मिला है. इसके अलावा संत कबीर से जुड़े मंदिरों के कई अवशेष मिले हैं.

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बांधवगढ़ में मिलने वाली चीजों के बारे में अध्ययन जारी है. इस बीच हजारों साल पुराने मंदिर और गुपाएं मिलने से पुरातत्व विभाग का जोश और बढ़ गया है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस खोज से बांधवगढ़ को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने में काफी मदद मिलेगी.

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बांधवगढ़ पर लंबे समय तक मघ राजवंश का शासन रहा. बांधवगढ़ का जिक्र शिव पुराण में भी आता है. मान्यता है कि लंका से अयोध्या लौटते वक्त बांधवगढ़ को भगवान राम ने भाई लक्षण को उपहार के तौर पर दिया था.

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बता दें बांधवगढ़ नेशनल पार्क का स्थापना मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में साल 1968 में की गई थी. बांधवगढ़ में बाघों की संख्या क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत ज्यादा है. 32 पहाड़ियों से घिरे इस नेशनल पार्क को बाघों का पुनर्स्थापना का केंद्र भी कहा जाता है.